भारत-कनाडा के बिगड़ते रिश्ते

विगत दिवस नई दिल्ली में हुई जी-20 के सदस्य देशों की अन्तर्राष्ट्रीय कान्फ्रैंस में बहुत-से देशों के प्रमुखों ने भाग लिया था। इसमें कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी शामिल हुए थे। उनका यहां स्वागत किया गया था तथा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उनकी बैठकें भी हुई थीं परन्तु उस समय भी जस्टिन ट्रूडो के दौरे को लेकर यहां गर्मजोशी की कमी महसूस होती रही थी। ट्रूडो वर्ष 2018 में भी भारत के कुछ दिनों के दौरे पर आये थे परन्तु भारत सरकार द्वारा उस समय भी पूरी औपचारिकता तो दिखाई गई थी परन्तु उनके दौरे के प्रति उत्साह की कमी प्रतीत होती थी। इसका बड़ा कारण कनाडा में पंजाब से गये कुछ तत्वों की भारत विरोधी गतिविधियां थीं। भारत का पक्ष था कि कनाडा सरकार ने उन्हें संरक्षण दे रखा है, परन्तु वे वहां से भी भारत विरोधी कार्रवाइयां करते हैं परन्तु कनाडा सरकार ने उन्हें किसी भी तरह रोका-टोका नहीं था। 
इस संबंध में भारत द्वारा समय-समय पर कनाडा सरकार को ऐसी भारत विरोधी गतिविधियों संबंधी विस्तार भी भेजे जाते रहे थे, परन्तु कनाडा सरकार ने कभी भी उन्हें गम्भीरता से नहीं लिया था तथा न ही उनसे भारत की ओर से मिलती शिकायतों के आधार पर कोई पूछताछ ही की गई थी यही कारण है कि आज भारत के विरुद्ध लगातार प्रचार करते भिन्न-भिन्न संगठन वहां खुलेआम विचरण कर रहे हैं। बात सैद्धांतिक ही नहीं, अपितु ऐसे बहुत-से संगठनों के प्रत्यक्ष संबंध पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसियों के साथ भी बने हुए हैं। ज्यादातर ये मिल कर भारत के विरुद्ध हिंसक गतिविधियों को अंजाम देते हैं। इन संगठनों के भारत में भी ज्यादातर सम्पर्क बने हुए हैं, जिनके सहारे ये अपनी भारत विरोधी गतिविधियां करते रहते हैं। पंजाब के बहुत-से व्यक्तियों को निशाना बना कर मारा जाता रहा है। वहां बैठे कुछ कथित नेताओं के विश्व के प्रत्येक देश में रहते भारत विरोधी तत्वों के साथ भी सम्पर्क बने हुये हैं।
दूसरी तरफ पिछले कुछ दशकों में भारत तथा खास तौर पर पंजाब से लाखों लोग रोटी-रोज़ी कमाने के लिए कनाडा जाकर आबाद हुये हैं। बहुत-से विद्यार्थी शिक्षा हासिल करने तथा वहां निवास करने के लिए भी कनाडा जाते रहे हैं और जा भी रहे हैं। कनाडा की राजनीति में तथा वहां की आर्थिकता में पंजाबियों ने, खास तौर पर सिख समुदाय ने बड़ा योगदान डाला है। जब दोनों देशों के बहु-पक्षीय संबंधों को देखें तो कनाडा इस समय भारत का 10वां व्यापारिक भागीदार है तथा 18वां निवेशक है। कनाडा की सैकड़ों कम्पनियां यहां कारोबार करती हैं। दोनों देशों के मध्य व्यापार तथा निवेश को आगे बढ़ाने के लिए भी बातचीत होने वाली थी, जो अब स्थगित हो गई है, परन्तु जिस तरह ऊपर ज़िक्र किया गया है, वहां कुछ लोग जो भारत विरोधी गतिविधियां चलाते रहे हैं, उन्हें नियन्त्रण करने में वहां की सरकारें उचित भूमिका अदा नहीं कर  सकीं। भारतीय दूतावास के कर्मचारियों तथा अधिकारियों को भी धमकियां मिलती रही हैं। इस संबंधी भारत में बेचैनी बढ़ती रही है।
ताज़ा तनाव खालिस्तान कमांडो फोर्स के प्रमुख कहलाते हरदीप सिंह निज्जर की सरी में कुछ अज्ञात लोगों द्वारा हत्या से पैदा हुआ है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा की संसद में ये गम्भीर आरोप लगाये हैं कि उसकी हत्या के पीछे भारतीय एजेंसियों का हाथ है। इसके साथ ही कनाडा के भारतीय दूतावास के एक वरिष्ठ अधिकारी पवन कुमार राय को भी  देश से बाहर निकलने का आदेश दिया है। भारत ने भी प्रतिक्रिया- स्वरूप कनाडा के एक वरिष्ठ कूटनीतिज्ञ को देश छोड़ने के लिए कहा है। दोनों देशों की सरकारों ने अपने-अपने नागरिकों को क्रमवार भारत तथा कनाडा में सुरक्षा के पक्ष से सचेत रहने के लिए कह दिया है, जिससे आगामी समय में दोनों देशों के संबंध और भी बिगड़ सकते हैं।
हमारा यह विचार है कि यदि कनाडा सरकार के पास भारतीय एजेंसियों संबंधी कोई ठोस प्रमाण थे तो उन्हें कूटनीतिक स्तर पर भारत सरकार के समक्ष रखना चाहिए था तथा आवश्यक कार्रवाई के लिए कहना चाहिए था। जल्दबाज़ी में इस मामले को इस सीमा तक नहीं भड़काना चाहिए था।
अभी भी समय की ज़रूरत है कि दोनों सरकारें कूटनीतिक स्तर पर इस मामले का हल ढूंढने के लिए यत्नशील हों। खास तौर पर कनाडा सरकार को कनाडा की धरती पर भारत विरोधी हो रही गतिविधियों को रोकने के लिए भी प्रभावी ढंग से कार्रवाई करनी चाहिए। हरदीप सिंह निज्जर के मामले सहित अन्य सभी मामले भी कूटनीतिक स्तर पर हल किये जाने चाहिएं। दोनों देशों के हित यही मांग करते हैं।  संबंधों में बिगाड़ से दोनों देशों को भारी नुकसान हो सकता है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द