पुरानी पैंशन बहाली में पंजाब सरकार द्वारा देरी क्यों ?

अपने कर्मचारियों को नई पैंशन योजना में लाना या पुरानी पैंशन योजना में लाना राज्य का अधिकार क्षेत्र है। इसी अधिकार के आधार पर सिक्किम के मुख्यमंत्री ने 12 सितम्बर 2023 को अपने राज्य में पुरानी पैंशन की बहाली की घोषणा की थी। यही अधिकार और तर्क उन पांच राज्यों का भी था जिन्होंने 2004 में जब नई पैंशन योजना लागू की थी। पुरानी पैंशन योजना को जारी रखा गया और नई पैंशन योजना को लागू नहीं किया गया। केन्द्र की वाजपेयी सरकार ने 2004 में पुरानी पैंशन योजना को खत्म कर दिया था। उस समय कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल, केरल, त्रिपुरा और मेघालय की कम्युनिस्ट सरकारों को छोड़कर सभी विपक्षी सरकारों के साथ मिलकर चार राज्यों में नई पैंशन योजना लागू की थी। अच्छी बात यह है कि आज कांग्रेस ने अपना पुराना रूप बदल लिया है और खुद को पुरानी पैंशन योजना यानी (ओ.पी.एस.) के पुनरुद्धारकर्ता के रूप में सामने ला दिया है। उसने छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, झारखंड राज्यों में पुरानी पैंशन योजना को पुनर्जीवित कर दिया है।
पंजाब सरकार ने पुरानी पैंशन योजना को बहाल करने के लिए एक अधिसूचना भी जारी की थी। यह अधिसूचना चार लाइन का पेपर बनकर निकली। ऐसा पहली बार हुआ है कि सरकार ने अधिसूचना जारी कर कहा कि हमें अभी इस योजना को लागू करने वाली सरकारों से परामर्श करना बाकी है।  सरकार अधिसूचना जारी कर कह रही है कि हमने मंत्रिमंडलीय उप-समितियां गठित कर दी हैं। उनकी रिपोर्ट का इंतजार करना होगा। पंजाब सरकार की इन चुभती नीतियों से सभी एन.पी.एस. कर्मचारी तंग आ चुके हैं। एक-दो माह बाद सेवानिवृत्त होने वाले सैकड़ों कर्मचारी काफी चिंतित हैं। देशभर में पुरानी पैंशन बहाली के सवाल पर सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसा ही बहाना बना रही है।
जब कोई राज्य अपने अधिकार क्षेत्र के अनुसार पुरानी पैंशन के स्थान पर नई पैंशन योजना लागू करता हैं, तो पी.एफ.आर.डी.ए. संस्थाएं जो इस फंड की लेखा एजेंसी है, उन राज्यों के कर्मचारियों की संचित पैंशन एकत्र करती हैं जिन्होंने पुरानी पैंशन बहाल कर दी है। किन्तु धनराशि वापिस नहीं की जा रही है।
साल 2022 तक राजस्थान के 39,000 करोड़, छत्तीसगढ़ के 17,000 करोड़, झारखंड के 19,000 करोड़ रुपये पी.एफ.आर.डी.ए. के पास पड़े हैं। इस धनराशि का उपयोग सम्बद्ध राज्यों में विकास कार्यों हेतु किया जाना चाहिए।
जब इस पैंशन फंड में केन्द्र सरकार या पी.एफ.आर.डी.ए. का एक भी पैसा नहीं होता है। इसमें केवल कर्मचारियों का सी.पी.एफ. फंड और राज्य सरकार से मिलता-जुलता अनुदान होता है। पी.एफ.आर.डी.ए. द्वारा उस राज्य के पैंशन फंड का अधिग्रहण इन राज्यों के लिए एक बड़ा झटका है।
पंजाब सरकार द्वारा पुरानी पैंशन स्कीम बहाली के लिए नोटिफिकेशन जारी किये, दस महीने बीत गए लेकिन इसे लागू नहीं किया गया। पंजाब सरकार को हिमाचल प्रदेश से सबक लेना चाहिए। जिसने सरकार बनने के तीन माह बाद ही पुरानी पैंशन बहाल करके दिखा दिया है। पंजाब सरकार के कर्मचारियों की मांग को पैंशन फंड के बहाने लटकाया नहीं जा सकता और पंजाब के कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा मिलनी चाहिए। पंजाब सरकार को अपनी पूर्व की गारंटी पूरी करनी चाहिए और जनता की अदालत से बरी होना चाहिए।

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