अपनी स्थिति मज़बूत करने के लिए यत्नशील है बिहार महागठबंधन

बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, जो राज्य में जाति सर्वेक्षण के प्रमुख समर्थक हैं, के लिए परिणाम अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (ईबीसी) के बीच सत्तारूढ़ महागठबंधन के सामाजिक समर्थन आधार को मज़बूत करने की भांति हैं, जिसके तहत 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले इन समुदायों से किया गया एक महत्वपूर्ण वायदा पूरा हुआ है। अब सत्तारूढ़ जद (यू)-राजद महागठबंधन राज्य भर में ज़मीनी स्तर पर लोगों तक अपना संदेश पहुंचाने के लिए काम कर रहा है। पूरे बिहार में आयोजित किए जा रहे सार्वजनिक समारोहों में दोनों दल जातिगत सर्वेक्षण के लाभों के बारे में बात कर रहे हैं और यह भी बता रहे हैं कि कैसे केंद्र सरकार ने इसे गुप्त एडेंडे के माथ्यम से रोक दिया था। इस बीच भाजपा प्रधानमंत्री मोदी की लाइन पर चल रही है कि हिन्दुओं को बांटने के लिए ऐसी मांग की जा रही है। जद (यू) ने कपूरी चर्चा (कपूरी ठाकुर के विचारों पर चर्चा) के अपने राज्यव्यापी कार्यक्रम में जातिगत सर्वेक्षण को भी शामिल किया है। राजद ने अपने अम्बेडकर परिचर्चा (अम्बेडकर के विचारों पर चर्चा) के माध्यम से निचली जातियों के खिलाफ  कथित तौर पर भेदभाव की बात करनी शुरू कर दी है। भाजपा सरकार द्वारा, राजद की अम्बेडकर परिचर्चा शृंखला अप्रैल से चल रही है, जद (यू) ने सात अलग-अलग टीमों का गठन किया है और उन्हें बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में से प्रत्येक का दौरा करने और 24 जनवरी, 2024 तक चर्चा शृंखला को पूरा करने का काम सौंपा है, जो कपूरी ठाकुर की जन्म शताब्दी को भी चिह्नित करेगा।
मुख्यमंत्री गहलोत की ज़िद 
अशोक गहलोत सरकार के कई मंत्रियों का भाग्य अधर में लटका हुआ है क्योंकि कांग्रेस 25 नवम्बर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की सूची तैयार करने के लिए बैठकें कर रही है। मुख्यमंत्री गहलोत अपने सभी मंत्रियों को फिर से नामांकित करने पर अड़े हुए हैं। वह 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए सभी छह पूर्व बसपा विधायकों और उन निर्दलीय विधायकों को भी मैदान में उतारना चाहते हैं जिन्होंने पिछले संकट के दौरान उनकी सरकार का समर्थन किया था। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस आलाकमान उन लोगों को टिकट नहीं देने के फैसले पर कायम रहना चाहता है जिनके पास इस बार सीटें बरकरार रखने की संभावना कम है। इस बीच, केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) ने बुधवार को लगभग 120 सीटों के लिए उम्मीदवारों पर चर्चा करने के लिए बैठक की, लेकिन सूत्रों ने कहा कि पैनल ने उनमें से केवल आधी सीटों को ही मंजूरी दी है। बैठक के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस पार्टी की संभावनाओं पर भरोसा जताते हुए कहा, ‘कांग्रेस के सुशासन के कारण राजस्थान में बदलाव आया है। हमें विश्वास है कि जनता हमें फिर से आशीर्वाद देगी।’ इस बीच राहुल गांधी ने तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिज़ोरम में कांग्रेस की जीत पर भरोसा जताते हुए विभिन्न राज्यों के लिए पार्टी के दृष्टिकोण और पहल पर ज़ोर दिया।
अखिलेश का ध्यान दलित-पिछड़े वर्गों पर
जैसे ही कांग्रेस, जेडीयू, राजद ने ओबीसी, ईबीसी और दलित राजनीति के लिए आवाज़ उठाई, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अब अपना ध्यान पी.डी.ए. (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) मुद्दे पर केंद्रित कर रहे हैं। सपा गैर-यादव अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को भी लुभाने की कोशिश कर रही है, जिनकी आबादी लगभग 35 प्रतिशत है। हर गांव के युवाओं से सीधे जुड़कर भविष्य की रणनीति बनाने के साथ ही सपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में ‘मिशन-80’ की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी जीत की ज़मीन तैयार करने के लिए गाजीपुर, घोसी, मऊ, आज़मगढ़, मिज़र्ापुरी, गोंडा और कुशीनगर जैसी पूर्वांचल की सीटों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है।
कांग्रेस नरम हिन्दुत्व दांव
कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत के दलितों, ओबीसी, गरीबों की स्थिति का बेहतर मूल्यांकन करने के लिए देशव्यापी जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं और महिला आरक्षण में ओबीसी कोटा की सिफारिश कर रहे हैं। हालांकि मध्य प्रदेश कांग्रेस नरम हिंदुत्व का खेल खेल रही है, इसके मुख्यमंत्री चेहरे कमल नाथ खुद को हनुमान भक्त के रूप में पेश कर रहे हैं। हनुमान-थीम वाले कार्यक्रमों की अध्यक्षता करना, अपने क्षेत्र छिंदवाड़ा में एक विशाल हनुमान प्रतिमा स्थापित करना, दक्षिणपंथी बजरंग सेना को कांग्रेस में विलय के लिए आमंत्रित करना और विवादास्पद बागेश्वर धाम के मुख्य पुजारी धीरेंद्र शास्त्री की मेजबानी करना और उनका आशीर्वाद लेना पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की कुछ हालिया गतिविधियां हैं। कांग्रेस ने आगामी विधानसभा चुनाव में बुधनी निर्वाचन क्षेत्र में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ  लोकप्रिय अभिनेता विक्रम मस्तल को मैदान में उतारा है। मस्तल को आनंद सागर के 2008 के टैलीविजन शो रामायण में हनुमान की भूमिका के लिए जाना जाता है। लेकिन कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती हिन्दू पहचान की राजनीति के सवाल पर सख्ती से चलना है और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण से बचना है, जिसे भाजपा बैकफुट पर होने पर जानबूझकर अपनाती है।(आईपीए सेवा)