बेहद ज़रूरी है कैंसर के प्रति जागरूकता

विकासशील देशों में होने वाली कुल मौतों का कैंसर अब दूसरा सबसे बड़ा कारण बन चुका है। हृदय रोगों से होने वाली मौतों के बाद इन देशों में सर्वाधिक मौतें अब कैंसर से ही हो रही हैं। आधुनिक जीवनशैली ने हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करते हुए हमें आसानी से ऐसे रोगों का शिकार बनाना शुरू कर दिया है, जो अक्सर मौत का बड़ा कारण साबित होते हैं। इन्हीं जानलेवा रोगों में से कैंसर मौतों की एक बहुत बड़ी वजह साबित हो रहा है। चिंता की बात यह है कि हर आयु वर्ग के लोग अब कैंसर की गिरफ्त में आ रहे हैं, जिनमें महिलाएं और कम आयु के बच्चे भी शामिल हैं। यह बीमारी पूरी दुनिया में नासूर की भांति फैल रही है और विश्वभर में कैंसर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस जानलेवा बीमारी के खतरे को इसी से समझा जा सकता है कि दुनियाभर में कैंसर से जुड़े दो करोड़ से भी ज्यादा मामले प्रतिवर्ष सामने आ रहे हैं। दुनिया के कई जाने-माने कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में कैंसर से प्रतिदिन 1300 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है और प्रतिवर्ष करीब 12 लाख नए कैंसर के मरीज सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस भयावह स्थिति से निपटने के लिए तत्काल आवश्यक कदम नहीं उठाए गए तो वह दिन दूर नहीं, जब भारत को ‘कैंसर की सुनामी’ जैसे खतरे का सामना करना पड़ सकता है। लोगों को कैंसर होने के संभावित कारणों के प्रति जागरूक करने, प्राथमिक स्तर पर कैंसर की पहचान करने और इसके शीघ्र निदान तथा रोकथाम के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 19 सितम्बर 2014 को निर्णय लिया गया था कि प्रतिवर्ष 7 नवम्बर को ‘कैंसर जागरूकता दिवस’ मनाया जाएगा, तभी से इस दिन राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है।
पिछले दिनों स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने लोकसभा में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद्-राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (आई.सी.एम.आर-एन.सी.आर.पी.) के हवाले से बताया था कि 2022 में देश में कैंसर के मामलों की कुल संख्या 1461427 थी, जो 2021 में 1426447 जबकि 2020 में 1392179 थी। देश में सर्वाधिक कैंसर मरीज उत्तर प्रदेश में हैं, जहां 2020 में कैंसर मरीजों की संख्या 201319, 2021 में 206088 जबकि 2022 में 210958 थी। राज्यमंत्री बघेल द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक कैंसर से देशभर में 2020 में मरने वालों की संख्या 770230 थी जबकि 2021 में कैंसर से 789202 मरीजों की मौत हुई और 2022 में कैंसर से मरने वालों की संख्या बढ़कर 808558 पर पहुंच गई। ‘इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर’ द्वारा यह चेतावनी दी जा चुकी है कि 2030 तक भारत में प्रतिवर्ष कैंसर के करीब 15 लाख नए मरीज सामने आ सकते हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की एक रिपोर्ट में भी बताया जा चुका है कि देश में आगामी पांच वर्षों में कैंसर के मामलों की संख्या में 12 प्रतिशत की वृद्धि होगी और 2025 तक ही कैंसर के मरीजों की संख्या प्रतिवर्ष 15.7 लाख के पार हो सकती है। इंस्टीट्यूट फॉर हैल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आई.एच.एम.ई.) द्वारा किए एक वैज्ञानिक अध्ययन में जो आंकड़े सामने आए, उनके मुताबिक 2010 में दुनियाभर में 82.9 लाख लोगों की मौत कैंसर से हुई थी लेकिन 2019 में कैंसर से मरने वालों की संख्या करीब एक करोड़ थी, जो 2010 की तुलना में 20.9 प्रतिशत ज्यादा थी। इस अध्ययन के अनुसार 2010 में कैंसर के 1.87 करोड़ नए मामले सामने आए थे जबकि 2019 में कैंसर के सामने आए नए मामलों का आंकड़ा बढ़कर 2.3 करोड़ पहुंच गया, जो 2010 की तुलना में 2019 में 26.3 प्रतिशत ज्यादा था। हालांकि इन आंकड़ों में नॉन-मेलेनोमा स्किन कैंसर से पीड़ित मरीजों के आंकड़ों को अलग रखा गया, जिनका आंकड़ा करीब 1.72 करोड़ था।
कैंसर आधुनिक विश्व में एक ऐसी भयानक बीमारी बन चुका है, जिसके चलते लाखों लोग हर साल मौत के मुंह में समा रहे हैं। यह भारत में भी दूसरी सबसे बड़ी प्राणघातक बीमारी के रूप में उभर रहा है। ‘ग्लोबल कैंसर इंसीडेंस, मोरालिटी एंड प्रीविलेंस’ (ग्लोबोकोन) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में कैंसर के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हो रही है और यह बीमारी दिनों-दिन और घातक बनती जा रही है, जिससे प्रतिवर्ष देश में 7.8 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में कैंसर होने और उससे मौत के सर्वाधिक मामले उत्तर-पूर्वी राज्यों में दर्ज किए गए हैं और देशभर में कैंसर होने के मामलों में तीस प्रतिशत तथा कैंसर से मौत होने के मामलों में 20 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनियाभर में करीब 12 प्रतिशत मौतें कैंसर से ही होती हैं और विकसित देशों में करीब 21 प्रतिशत लोगों की मौत इसी बीमारी के कारण होती है, जो मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण बनकर सामने आया है। दुनियाभर में कैंसर के इस कदर फैलते जाने के लिए बड़ता प्रदूषण और पोषक खानपान का अभाव अहम कारण हैं। अधिक मात्रा में तम्बाकू सेवन, धूम्रपान, अल्कोहल तथा नशीले पदार्थों का उपयोग, निष्क्रिय जीवनशैली, मोटापा, खानपान की गलत आदतें, प्रदूषित वातावरण, कमजोर इम्यून सिस्टम, रसायनों, रेडिएशन इत्यादि कैंसर होने के प्रमुख कारण बनते हैं।
वैसे तो कैंसर के सौ से भी ज्यादा प्रकार हैं लेकिन ब्रेन कैंसर के अलावा पुरूषों में मुख्यत: मुंह व जबड़ों का कैंसर, फेफड़े का कैंसर, पित्त की थैली का कैंसर, पेट का कैंसर, लीवर कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, कोलन कैंसर, त्वचा कैंसर, सॉफ्ट टिश्यू कैंसर इत्यादि प्रमुख रूप से देखने को मिलते हैं जबकि महिलाओं में होने वाले कैंसर में स्तन तथा ओवेरियन कैंसर प्रमुख हैं। कैंसर के इलाज में बड़ी समस्या यही है कि या तो मरीज का कैंसर ठीक ही नहीं होता या फिर इलाज के बाद इसके दोबारा वापस लौटने की संभावना बरकरार रहती है। हालांकि आज कैंसर पूरी तरह लाइलाज नहीं रहा, चिकित्सा विज्ञान द्वारा कैंसर के इलाज के लिए कई कारगर दवाएं और थैरेपी खोजी जा चुकी हैं। कैंसर के इलाज में सबसे बड़ी बाधा इसका अत्यधिक महंगा होना और इसके साथ ही इस बीमारी का देरी से पता चलना ही है। इसलिए कैंसर से बचाव के लिए इसके प्रति जागरूकता सबसे ज़रूरी है।