बेहद नाटकीय रहा सुब्रत राय के जीवन का घटनाक्रम

सहारा इंडिया परिवार के संस्थापक सुब्रत राय का 75 वर्ष की आयु में 14 नवम्बर को मुम्बई में निधन हो गया। उनका जन्म बिहार के ज़िला अररिया में हुआ था। राय ने सन् 1978 में तीस वर्ष की आयु में सहारा की नींव रखी थी। जनकारी के अनुसार रॉय द्वारा 2,000 रुपये, एक अनुसेवक, एक सहायक तथा अपने पिता के स्कूटर के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सहारा की शुरुआत की गई थी। राय ने प्राथमिक शिक्षा के बाद गोरखपुर कालेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। राय ने कारोबार की शुरुआत बहुत छोटे स्तर पर की थी, लेकिन बाद में वह विशाल सहारा इंडिया परिवार के संस्थापक बन गए। सहारा इंडिया परिवार ने एंबी वैली सिटी, सहारा मूवीज़ स्टूडियोज़, एयर सहारा तथा फिल्मों से संबंधित कारोबार भी खड़े किये। सुब्रत राय का साम्राज्य रियल एस्टेट, मीडिया, वित्त, पर्यटन आदि क्षेत्रों में भी फैला हुआ था। सहारा परिवार ने सहारा इंडिया फाइनेंशियल कार्पोरेशन लिमिटेड की भी शुरुआत की थी। इसके ग्राहक छोटे निवेशक थे, जैसे चाय की दुकान करने वाले, रिक्शा चालक आदि। महज़ तीन दशकों में 2008 तक सहारा इंडिया फाइनेंशियल कार्पोरेशन भारत की सबसे बड़ी गैर-बैंकिंग कम्पनी बन गई थी। इसकी जमा पूंजी 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी। 
बढ़ता गया साम्राज्य
सहारा इंडिया समूह के पास व्यापक स्तर पर मीडिया कारोबार भी था। इसकी मीडिया कम्पनी सहारा वन एंड एंटरटेनमैंट तीन हिन्दी समाचार चैनल, एक सामान्य मनोरंजन  चैनल सहारा वन तथा एक फिल्मी चैनल चलाती थी। वितरण कारोबार में मौजूदगी रखने के साथ ही समूह अंग्रेज़ी, हिन्दी और उर्दू में समाचार पत्रों व पत्रिकाओं का प्रकाशन भी किया करता था। सहारा परिवार विमानन कम्पनी एयर सहारा का भी परिचालन करता था, लेकिन बाद में यह कम्पनी 2006 में जेट एयरवेज़ को बेच दी गई। इस समूह ने महंगी अतिथ्य सेवा क्षेत्र में भी अपनी हाज़िरी लगवाईर्। न्यूयार्क प्लाज़ा होटल और लंदन का ग्रो हाउस होटल जैसे बड़े नाम भी इस फेहरिस्त में शामिल थे। 
राय के नेतृत्व में सहारा परिवार ने 2013 तक भारतीय क्रिकेट टीम का प्रयोजन भी किया था। वर्ष 2010 में समूह ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की फ्रैंचाइजी पुणे वारियर्स 37 करोड़ डालर में खरीदी थी। यह किसी भी कम्पनी द्वारा लगाई गई अब तक की सबसे अधिक बोली है। वर्ष 2018 के बाद समूह ने पुणे वारियर्स से निकलने की घोषणा कर दी। सहारा परिवार ने भारतीय हाकी टीम का भी प्रयोजन किया था। इसके अतिरिक्त विजय माल्या की फार्मूला वन रेसिंग टीम में भी भागीदारी खरीदी थी। 
मुश्किलों की शुरुआत
इस समूह के लिए वित्तीय परेशानियों में फंसना कोई नई बात नहीं थी, क्योंकि 1990 के दशक में इस प्रकार के अनेक मामले सामने आए थे, लेकिन सबसे बड़ी मुश्किल 2009 में आई जब समूह की एक इकाई सहारा फिल्मी सिटी ने आरम्भिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में आवेदन किया। इस आवेदन में कज़र् से जुड़े कुछ मामलों का ज़िक्र था जो इसके वैकल्पिक पूर्णत: परिवर्तनीय डिबेंचर (ओएफसीडी) से संबंधित थे। 
आवेदन में की गई घोषणाओं के अनुसार समूह की दो कम्पनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कार्पोरेशन (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंह इन्वेस्टमैंट कार्पोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) ने लाखों निवेशकों से ओएफडीसी के माध्यम से राशि जुटाई थी, जिसकी अनुमति कानूनी तौर पर नहीं थी। यह सेबी अधिनियम के प्रवाधानों के खिलाफ था। इसके बाद एक सामान्य जांच शुरू की गई, परन्तु बाद में इसने एक व्यापक जांच का रूप ले लिया। जांच के बाद पता चला कि ऊपर जो दिख रहा था, अंदर वैसा नहीं था। वर्ष 2011 में सेबी ने एसआईआरईसीएल और एचएसआईसीएल के खिलाफ आदेश जारी कर उन्हें तीन करोड़ लोगों को 24,000 करोड़ रुपये लौटाने के निर्देश दिए। उच्चतम न्यायालय ने 2012 में सेबी का आदेश बहाल रखा। 
इससे पहले 2008 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने समूह को लोगों से भविष्य में और कोई राशि लेने से रोक दिया था।
वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने कम्पनी को पूरी राशि निवेशकों को 15 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया। राय को जेल जाना पड़ा और वह 2016 तक वहीं बंद रहे। बाद में उन्हें पैरोल पर रिहा किया गया। समूह की अधिकतर सम्पत्तियां आयकर विभाग ने ज़ब्त कर लीं।
 फिर 2018 में सेबी ने एक दूसरा आदेश जारी कर सहारा इंडिया कमर्शियल कोर्पोरेशन लिमिटेड (एसआईसीसीएल) को 15 प्रतिशत ब्याज के साथ निवेशकों के 14,100 करोड़ रुपये लौटाने का आदेश दिया। यह राशि लगभग दो करोड़ लोगों से 1998 और 2009 के बीच जुटाई गई थी। 2020 में सेबी की याचिका पर सुनवाई के बाद शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यदि समूह ने निवेशकों को ब्याज व जुर्माने सहित 62,600 करोड़ रुपये नहीं लौटाए तो वह राय का पैरोल रद्द कर देगा। सहारा समूह ने सेबी के पास 15,000 करोड़ रुपये जमा किए थे। यह राशि सहारा के निवेशकों को लौटाई जानी थी। यह रहस्य अभी भी बरकरार है कि इस राशि के लिए दावा करने कुछ ही निवेशक क्यों पहुंच? 
कई लोगों ने इसे भारत की सबसे बड़ी फज़र्ी योजना (पोंजी स्कीम) कहने से गुरेज नहीं किया था।। 


(बिज़नेस स्टैंडर्ड से धन्यवाद सहित)