आईसीसी विश्व कप : सालों याद आएंगे ये सपनीले लम्हे

जब जीत का महत्व सबसे अधिक था, तब आईसीसी पुरुष 2023 विश्व कप में टीम इंडिया भले ही हार गई हो, लेकिन फाइनल तक के सफर में वह अजेय फोर्स थी और उसने अपनी दस लगातार जीत के दौरान न केवल अपने साहसिक अंदाज़ व विजय-अंतर से प्रभावित किया बल्कि ऐसे यादगार पल भी दिए, जिनका हमेशा जश्न मनाया जाता रहेगा। आओ, उन यादों को एक बार फिर ताज़ा कर लेते हैं।
विराट कोहली ने सचिन तेंदुलकर की 49 एकदिवसीय शतकों का रिकॉर्ड लिटल मास्टर के सामने ही मुंबई के वानखड़े स्टेडियम में तोड़ा। 50वां शतक लगाना वास्तव में परीकथा पल था, न केवल कोहली के लिए बल्कि उन सभी के लिए जिन्होंने इन दो भारतीय दिग्गजों के कुल 99 शतकों की यात्रा को करीब से देखा है। कोहली मुंबई में ही श्रीलंका के विरुद्ध अपना 49वां शतक लगा सकते थे, लेकिन केवल 12 रन की कमी रह गई। उन्होंने तेंदुलकर के रिकॉर्ड की बराबरी कोलकाता में की और विश्व कप का अपना सबसे महत्वपूर्ण शतक मुंबई में लगाया। हालांकि यह विशाल महत्व का उनका व्यक्तिगत कीर्तिमान है, लेकिन 113 गेंदों में 117 रन भारत के स्कोर को न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध सेमीफाइनल में 398 रन तक पहुंचाने में अहम थे और वह ही अंत में निर्णायक साबित हुए। श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, नीदरलैंड, न्यूज़ीलैंड व फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध क्रमश: 88, 101 नाबाद, 51, 117 व 54 के स्कोर करके कोहली पहले बैटर बन गये हैं, जिन्होंने अब तक के विश्व कपों में दो बार 50-प्लस के पांच लगातार स्कोर किये हैं, इससे पहले उन्होंने 2019 विश्व कप में लगातार 82, 77, 67, 72 व 66 के स्कोर किये थे। इस विश्व कप में कोहली ने तीन शतक व 6 अर्द्धशतक के साथ कुल 9 परियां 50-प्लस की खेलीं, जो विश्व कप के एक सत्र के लिए रिकॉर्ड हैं। इस बार अपनी 11 पारियों में कोहली ने 95.62 की औसत से कुल 765 रन बनाये जो विश्व कप में सर्वकालिक रिकॉर्ड है।
ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 200 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत ने अपने तीन विकेट मात्र 2 रन पर खो दिए थे, जब कोहली व राहुल एक साथ क्रीज़ पर आये। उस गेम में हार से टीम का मनोबल टूट सकता था। भारत का किस्मत ने साथ दिया, जब मार्श ने 20 के स्कोर पर कोहली का कैच छोड़ दिया। इसके बाद कोहली व राहुल ने 164 रन की शानदार साझेदारी की, जिसने पूरी प्रतियोगिता का टेम्पलेट तैयार कर दिया। भारत जो मैच हार सकता था, उसमें उसे 6 विकेट से जीत मिली। विश्व कप मुकाबलों में भारत हमेशा ही पाकिस्तान पर भारी पड़ा है। इसलिए अहमदाबाद में पाकिस्तान पर जीत आश्चर्य न थी। लेकिन जिस तरह से स्पिनिंग ट्रैक पर भारतीय टॉप आर्डर ने 192 रन चेज़ किये, उससे सबको मालूम हो गया कि भारत आक्रमक क्रिकेट खेलेंगा। रोहित शर्मा ने 63 गेंदों पर 83 रन बनाये और भारत ने मात्र 30.3 ओवरों में लक्ष्य हासिल कर लिया। सभी टीम जान गईं कि भारत अलग मूड में है।
पहले चार मैचों में मुहम्मद शमी को बेंच पर बैठाना भारत के लिए कठिन निर्णय था। लेकिन जब बांग्लादेश के विरुद्ध हार्दिक पांडया चोटिल हो गये, तो भारत के पास शमी को 11 में शामिल करने के अतिरिक्त विकल्प न था। घायल शेर की तरह 33 वर्षीय शमी ने तुरंत अपना प्रभाव छोड़ा और धर्मशाला की ऊंचाइयों पर 54 रन देकर 5 विकेट लिए, जिससे न्यूज़ीलैंड अच्छी शुरुआत के बावजूद 273 रन ही बना सका। शमी ने इसके बाद भी विकेट लेने का सिलसिला जारी रखा, 7 मैंचों में 24 विकेट लिए, विश्व कप में सबसे तेज़ 50 विकेट (17 मैच) लेने का रिकॉर्ड बनाया, भारत के लिए विश्व कप में सर्वाधिक 55 विकेट लिए और इस विश्व कप के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ बनकर उभरे। 
लखनऊ में भारत ने इस विश्व कप के दौरान पहली बार पहले बल्लेबाज़ी की और वह इंग्लैंड के विरुद्ध एक कठिन विकेट पर रोहित के 87 रन की बदौलत 229 रन ही बना सका। सबको लगा कि भारत यह मैच हार जायेगा, लेकिन भारतीय गेंदबाज़ों के इरादे कुछ और ही थे। जसप्रीत बुमराह ने शानदार शुरुआत की और उनके बाद शमी ने 22 रन देकर 4 विकेट लेने का कमाल किया। इंग्लैंड ढह गया और लो-स्कोरिंग मैच में उसे 100 रन से शिकस्त का सामना करना पड़ा। सभी टीमों को एहसास हो गया कि भारत के बैटर्स ही नहीं गेंदबाज़ भी फॉर्म में हैं। भारत की मशीन में सभी पुज़र्े अपनी जगह फिट बैठ गये थे, सिवाय नंबर 4 स्पॉट के। श्रेयस अय्यर रन नहीं बना पा रहे थे और अगर वह एक बार फिर फेल हो जाते तो उन्हें टीम से ड्राप भी किया जा सकता था। तब तक वह शोर्ट बॉल पर काबू नहीं कर पा रहे थे। लेकिन वानखड़े में उन्होंने सभी शक दूर कर दिए, श्रीलंका के विरुद्ध 56 गेंदों में 82 रन बनाये और इसके बाद दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध अर्द्धशतक और नीदरलैंड व न्यूज़ीलैंड के खिलाफ लगातार दो शतक लगाये। भारत की अंतिम कमजोरी भी दूर हो गई थी।
ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध पहले गेम के बाद भारत एक बार फिर तनाव में आया जब सेमीफाइनल में न्यूज़ीलैंड को जीत के लिए 20 ओवर में 200 रन चाहिए थे और वह भी बैटर्स के लिए स्वर्ग मानी जाने वाली वानखड़े की पिच पर। न्यूज़ीलैंड के पास 8 विकेट शेष थे। केन विलियम्सन व डेरिल मिशेल जम चुके थे। इनकी पार्टनरशिप अगर पांच ओवर और चल जाती तो भारत का सफर सेमीफाइनल में ही खत्म हो जाता। तब शमी को उनके दूसरे स्पेल के लिए वापस बुलाया गया। उन्होंने एक ओवर में ही पहले विलियम्सन को और फिर लाथम को आउट कर दिया। शमी ने 57 रन देकर 7 विकेट लिए, जोकि विश्व कप के नॉकआउट मैचों में और भारत के लिए सभी एकदिवसीय मैचों में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ी है। इस तरह भारत चौथी बार विश्व कप के फाइनल में तो पहुंच गया, लेकिन 2003 की तरह अंतिम फ्रंटियर को पार न कर सका, जबकि 1983 व 2011 में वह विश्व चैंपियन बना था। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर