तेलंगाना की चुनाव गतिविधियां

पिछले दिनों देश के पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों की व्यापक चर्चा होती रही है। इन पांच में से चार राज्यों के चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं, तथा इस वीरवार अभिप्राय 30 नवम्बर को तेलंगाना के विधानसभा चुनाव के लिए भी मतदान की प्रक्रिया पूरी हो गई है। तेलंगाना में लगभग 64 प्रतिशत मतदान हुआ है। इन सभी राज्यों में मतगणना 3 दिसम्बर को होगी। जहां तक तेलंगाना का संबंध है, यह देश का सबसे नया बना प्रदेश है। वर्ष 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग होकर यह नया राज्य अस्तित्व में आया था। उस समय से ही के. चन्द्रशेखर राव की पार्टी भारत राष्ट्र समिति श्री राव के नेतृत्व में सत्तारूढ़ है। विगत साढ़े 9 वर्ष तक प्रशासन चलाने के बाद चन्द्रशेखर राव का वह प्रभाव नहीं रहा जो राज्य के पुनर्गठन के समय था। इस नये राज्य की स्थापना का श्रेय चन्द्रशेखर राव को दिया जाता रहा है, जबकि उस समय कांग्रेस ने भी यह नया राज्य बनाने का समर्थन किया था, परन्तु राव द्वारा अपनी नई पार्टी के गठन की घोषणा के बाद उनके लिए चुनाव जीतना बेहद आसान हो गया था। 
अब दो पारियों के बाद जहां राव की कार्यशैली विवादों में घिरी प्रतीत होती है, वहीं उन पर तथा उनके परिवार पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते रहे हैं। चाहे दक्षिण के इस राज्य में इस समय मुख्य रूप में भारत राष्ट्र समिति के अतिरिक्त कांग्रेस तथा भाजपा भी चुनाव मैदान में उतरी हैं परन्तु फिर भी इस समय मुख्य मुकाबला भारत राष्ट्र समिति तथा कांग्रेस के मध्य ही प्रतीत होता है। कांग्रेस ने कुछ समय पहले ही दक्षिणी राज्य कर्नाटक में भाजपा को पराजित कर अपनी सरकार बनाई है, इसलिए वह इस समय अधिक उत्साहित दिखाई देती है। अब कांग्रेस कर्नाटक वाला फार्मूला तेलंगाना में भी उपयोग कर रही है। इसमें भिन्न-भिन्न वर्गों के लोगों को मुफ्त की योजनाओं की घोषणा करके भ्रमित करने का यत्न किया जा रहा है।
विगत दिवस कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 17 दिसम्बर को इन चुनावों के लिए 42 पृष्ठों का घोषणा-पत्र जारी करने के बाद एक जनसभा में यह घोषणा की थी कि उनकी सरकार ़गरीबों को घर बनाने के लिए 5 लाख रुपये देगी, बुजुर्ग शहरियों को 4,000 रुपये प्रति मास पैन्शन दी जायेगी, राजीव आरोग्यश्री योजना के तहत 10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा करवाया जायेगा तथा विद्यार्थियों को शिक्षा के लिए 5 लाख रुपये दिये जायेंगे। दूसरी तरफ भाजपा राव के प्रशासन को घोटालों का शासन बता रही है। उसका कहना है कि भारत राष्ट्र समिति ने पहले जो वायदे किये थे, उन्हें अभी तक पूरा नहीं किया गया तथा वह अपने दावों पर खरी नहीं उतरी, परन्तु पूरे यत्नों के बावजूद भाजपा का प्रचार ज़ोर नहीं पकड़ सका। चाहे दिसम्बर, 2020 में हैदराबाद नगर निगम के चुनावों में उसे 150 में से 48 सीटें मिली थीं तथा भारत राष्ट्र समिति को 56 सीटें प्राप्त हुई थीं। हैदराबाद राज्य की राजधानी भी है।
परन्तु इसके साथ-साथ राज्य में यह प्रभाव भी बना रहा है कि चन्द्रशेखर राव केन्द्र में भाजपा की सरकार के साथ स्वर मिला कर चल रहे हैं। यही कारण बताया जा रहा है कि अन्य राज्यों के नेताओं के विपरीत चन्द्रशेखर राव तथा उनके परिवार के पीछे केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय एजेंसियों को नहीं लगाया। चाहे कांग्रेस इस समय इस राज्य में आगे बढ़ते दिखाई दे रही है परन्तु उसे यह ़खतरा ज़रूर महसूस हो रहा है कि यदि भारतीय जनता पार्टी इन चुनावों में कुछ अधिक सीटें जीत जाती है तो इसका नुकसान बड़ी सीमा तक कांग्रेस को ही होगा, जिससे अब तक के सभी राजनीतिक आकलन बदल सकते हैं। नि:संदेह 3 दिसम्बर को पांच राज्यों के आने वाले चुनाव परिणाम राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करेंगे। इनसे कुछ न कुछ हद तक आगामी वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों के प्रति लोगों के रुझान का ज़रूर पता चल सकेगा।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द