देश पर भारतीय जनता पार्टी की पकड़ और मज़बूत हुई

प्रत्येक वर्ष बहुत सारी खट्टी-मिट्ठी, कड़वी और खुशी देने वाली घटनाएं हमारी झोली में डालकर रूख्सत हो जाता है। बीत रहे वर्ष के अंतिम दिनों में अकसर हम एक बार फिर पीछे की तरफ नज़र डालकर यह देखते हैं कि इसमें क्या अच्छा, क्या बुरा हुआ है। इस संदर्भ में ही यदि हम अपने देश भारत की बात करें तो वर्ष 2023 में बहुत कुछ अच्छा बुरा हुआ है, जिस पर इन कालम में एक नज़र देखने की कोशिश करेंगे।
यदि राजनीति की बात करें तो इस वर्ष पहले त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड आदि उत्तर पूर्वी राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए। त्रिपुरा में भाजपा दोबारा अपनी सरकार बनाने में सफल हुई। मेघालय और नागालैंड में वह स्थानीय पार्टियों के साथ दूसरे दर्जे की सहयोगी के तौर पर वहां की सरकारों में शामिल हुई। इस वर्ष कर्नाटक विधानसभा के हुए चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस पार्टी अपनी सरकार बनाने में सफल रही। नवम्बर माह में 5 राज्यों के हुए विधानमभा चुनावों में भाजपा मध्य प्रदेश में दोबारा सत्ता में आ गई और इसके अलावा इसने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को हराकर सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया और तेलंगाना में कांग्रेस पार्टी भारत राष्ट्रीय समिति और भाजपा को हराकर सत्ता में आ गई। मिजोरम में एक नई स्थानीय पार्टी ज़ोरम पीपल्ज़ मूवमैंट सत्ता पर कब्ज़ा करने में सफल हो गई। समूचे तौर पर कहा जा सकता है कि इस वर्ष देश में हुए राज्य विधानमभा के चुनावों में कांग्रेस के मुकाबले भारतीय जनता पार्टी का हाथ ऊपर रहा और इस कारण 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भी उसके पक्ष में हवा बनती नज़र आ रही है। दूसरी तरफ कांग्रेस सहित देश की 28 के लगभग पार्टियों ने भाजपा का लोकसभा चुनावों में सामना करने के लिए ‘इंडिया’ गठबंधन बनाया है लेकिन 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान इस गठबंधन की गतिविधियां नाममात्र ही रहीं। कांग्रेस ने इस गठबंधन में शामिल पार्टियों को राज्य विधानसभा चुनावों में कोई अधिक महत्व नहीं दिया। विधानसभा चुनावों के 3 दिसम्बर को परिणाम आने के बाद ‘इंडिया’ गठबंधन की सहयोगी पार्टियां दोबारा सक्रिय हुई हैं, लेकिन अब यह देखने वाली बात होगी कि सीटों का उचित विवरण करके, लोकपक्षीय चुनावी एजेंडा बना कर और चुनाव लड़ने के लिए उचित रणनीति बनाने के साथ-साथ वित्तीय साधन जुटा कर ये पार्टियों भाजपा को कितनी बड़ी चुनौती दे सकेंगी?
इस वर्ष की कुछ और राजनीतिक और गैर-राजनीतिक घटनाओं की बात करें तो जनवरी में भारतीय कुश्ती फैडरेशन के प्रधान बृजभूषण शरण सिंह के विरुद्ध कई पहलवान और महिला पहलवान आंदोलन करते नज़र आए। उन्होंने बृजभूषण शरण सिंह पर मानसिक और शारीरिक शोषण करने के गम्भीर आरोप लगाए। उन्होंने उसके विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए केन्द्र सरकार तक पहुंच की लेकिन उनकी सुनवाई न होने के कारण वे जंतर मंतर पर धरने पर बैठ गए। इन पहलवानों का नेतृत्व करने वालों में विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया आदि पहलवान शामिल थे। दिल्ली पुलिस ने एक समय इन पर कार्रवाई करके इनको धरने से उठा दिया लेकिन बाद में कुश्ती संघ के प्रधान बृजभूषण शरन सिंह के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट के दखल के उपरांत केस दर्ज होने से पहलवान कुछ शांत हो गए, पर हाल ही में कुश्ती संघ के हुए नए चुनाव में बृजभूषण शरण सिंह गुट के संजय सिंह के प्रधान चुने जाने के बाद साक्षी मलिक ने कुश्ती से संयास लेने का ऐलान कर दिया। इसके उपरांत बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट और एक अन्य पहलवान ने अपने पद्मश्री सम्मान वापस करने का फैसला कर लिया। केन्द्र सरकार ने कुश्ती संघ की नई कार्यकारिणी को स्थगित कर दिया है लेकिन यह विवाद अभी भी बना हुआ है।
आम आदमी पार्टी के लिए यह वर्ष कठिनाइयों भरा ही रहा। इसके दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीश सिसोदिया शराब घोटाले में गिरफ्तार हो गए जबकि इसके एक मंत्री सत्येन्द्र जैन पहले ही भ्रष्टाचार के मामले में जेल में रहे हैं और इस समय ज़मानत पर हैं। इस पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को भी ई.डी. ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है। ई.डी. द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री को भी पेश होने के लिए कई नोटिस जारी किए गए हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी इस वर्ष निरंतर खबरों में रहे। उन्होंने कन्या कुमारी से लेकर कश्मीर तक लम्बी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की। इसको लोगों द्वारा भरपूर समर्थन मिला लेकिन उनको मिला समर्थन कांग्रेस के लिए चुनावों में कुछ खास तबदीली नहीं कर सका। अब कांग्रेस ने राहुल गांधी के नेतृत्व में उत्तर-पूर्व राज्य मणिपुर से महाराष्ट्र तक ‘न्याय यात्रा’ शुरू करने का फैसला किया है। इसको लोगों का कितना समर्थन मिलता है, यह देखने वाली बात होगी। राहुल गांधी को इस वर्ष मोदी ‘सरनेम’ के नाम से जाने गये मामले में सूरत की एक अदालत ने दो वर्ष की सज़ा सुनाई थी, जिसके कारण उनकी लोकसभा सदस्यता भी चली गई लेकिन सुप्रीम कोर्ट के दखल के कारण उनकी सदस्यता पुन: बहाल हो गई।
इस वर्ष मई में उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर के मैदानों में रहने वाले मैतई समुदाय के लोगों और पहाड़ों में रहने वाले कुकी समुदाय के लोगों के बीच हिंसक टकराव हो गया और इसके साथ मणिपुर के बड़े क्षेत्रों में हिंसा और कत्लेआम का दौर चलता रहा। वहां की भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार और केन्द्र सरकार महीनों तक वहां फैली हिंसा पर काबू न पा सकीं। वहां महिलाओं के बड़े स्तर पर हुए शील-भंग संबंधी वायरल हुई वीडियोज़ के साथ दोनों समुदायों के लोगों में तनाव और टकराव और भी बढ़ गया और यह तनाव अभी भी बना हुआ है।
इस वर्ष जुलाई-अगस्त माह में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को भयानक बाढ़ों का सामना करना पड़ा। अधिक नुकसान हिमाचल में हुआ, जहां भूस्खलन होने से बहुत सारी इमारतें गिर गईं। बहुत सारी सड़कें और पुल तबाह हो गए। मंडी, कुल्लू, मनाली, शिमला और कांगड़ा में विशेष तौर पर अधिक तबाही हुई। कुल 360 लोग मारे गए और 12,000 के लगभग लोगों के घर तबाह हो गये। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस बाढ़ में कुल 12,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
इस वर्ष देश ने कुछ अहम उपलब्धियां भी हासिल कीं, जिनका यहां पर ज़िक्र करना बनता है। देश को संसद की नई इमारत मिली, जिसका 28 मई को प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन किया गया लेकिन इस समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को न बुलाने के कारण विपक्ष द्वारा समारोह का बायकॉट किया गया। अगस्त माह में अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में देश ने एक बड़ा कीर्तिमान स्थापित किया। चंद्रयान-3 चांद के निकट पहुंच गया और वह सफलता के साथ विक्रम लैंडर को अलग होकर रोवर ने चांद की सतह पर विचरण करते हुए कई प्रयोग किए।
इस वर्ष सितम्बर माह में दिल्ली में जी-20 के सदस्य देशों का शिखर सम्मेलन हुआ, जिसके साथ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के प्रभाव में भारी वृद्धि हुई। इसी वर्ष सुप्रीम कोर्ट द्वारा कुछ महत्वपूर्ण फैसले सुनाए गए जिनमें से दो फैसले अधिक चर्चित रहे। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इन्कार कर दिया और कहा कि इस संबंधी विधान पालिका ही कोई फैसला ले सकती है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने लम्बी सुनवाई के बाद जम्मू-कश्मीर में केन्द्र सरकार द्वारा हटाई गई धारा 370 के पक्ष में फैसला किया और इस संबंधी दाखिल की गई याचिकाओं को रद्द कर दिया।
इस वर्ष 2 जून को उड़ीसा के बालासोर ज़िले में कोरोमंडल एक्सप्रैस और एस.एम.बी.टी. बैंगलूर-हावड़ा एक्सप्रैस गाड़ियां आपस में टकरा गईं और इस हादसे में 280 लोग मारे गए और 850 से अधिक घायल हो गए। 
उत्तर प्रदेश में चाहे आदित्यनाथ योगी की सरकार ने अमन कानून की स्थिति को काफी हद तक सुधारने का दावा किया है लेकिन फिर भी इस वर्ष अप्रैल में एक सनसनीखेज़ घटना यह हुई कि गैंगस्टर अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में पुलिस की मौजूदगी में कुछ लोगों ने गोलियां मारकर हत्या कर दी। इससे पूरे राज्य में दहशत फैल गई।
उत्तराखंड में नवम्बर माह के दौरान एक निर्माणाधीन सुरंग में मलबा गिरने से 41 मज़दूर बीच में ही फंस गए और उनको बचाने के लिए कई दिनों तक राहत कार्य चलाना पड़ा जो कि निरंतर 400 घंटों तक जारी रहा। इस दौरान आधुनिक मशीनों का उपयोग भी किया गया और अंत में हस्त खुदाई करने वालों ने रिवायती ढं़ग से चूहों की तरह खुदाई करके 41 मज़दूरों तक पथ बनाया और आप्रेशन को सफल रहा।
यदि खेलों की बात करें तो इस वर्ष चीन में हुई एशियाई खेलों और कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में भारत के खिलाड़ियों ने बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की। अकेले एशियाई खेलों में 100 से अधिक पदक जीतने में खिलाड़ी सफल रहे लेकिन भारत में हुए एक दिवसीय विश्व क्रिकेट कप के फाइनल में पहुंचने के बावजूद विश्व कप जीतने से भारत की क्रिकेट टीम वंचित रह गई और यह सफलता आस्ट्रेलिया की टीम को हासिल हुई।
इस वर्ष के अंत में भारत की नई बनी संसद की सुरक्षा के मामले में एक बड़ी लापरवाही सामने आई। दो नौजवान दर्शक गैलरी से छलांग लगाकर लोकसभा के चैंबर में दाखिल हो गए और उन्होंने दो कनस्तरों में से पीली गैस छोड़ दी और नारेबाज़ी की। इन नौजवानों के दो अन्य साथियों ने संसद के बाहर इसी प्रकार के कनस्तरों में से पीली गैस छोड़ी और सरकार के विरुद्ध नारेबाज़ी की। जब विपक्षी दल के सांसदों ने संसद की सुरक्षा के मामले में हुई इस लापरवाही का मुद्दा उठाकर देश के गृह मंत्री अमित शाह से बयान की मांग की तो विपक्षी दलों से संबंधित 148 के लगभग राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों को पूरे सैशन के लिए बर्खास्त कर दिया गया। उनकी अनुपस्थिति में ही केन्द्र सरकार ने तीन आपराधिक बिलों सहित अन्य कई अहम बिल संसद में पास करवा लिए। केन्द्र सरकार के इस व्यवहार से देश में लोकतंत्र के भविष्य संबंधी विपक्षी क्षेत्रों के दिलों में शंकाएं दोबारा उभर रही हैं। केन्द्र सरकार के इस व्यवहार के विरुद्ध विपक्षी दल रोष प्रदर्शन कर रहे हैं।
-अजीत ब्यूरो