फलों की काश्त के लिए तकनीकी जानकारी की ज़रूरत

आजकल पतझड़ में फलदाल पौधों के पत्ते झड़ रहे हैं। इन वृक्षों/पौधों के पत्ते इस माह झड़ जाएंगे। इन पौधों या वृक्षों के पत्ते झड़ने के कारण उन पर कोई ठंड का विपरीत असर नहीं पड़ता। इन पौधों को खाद डालने का भी यही योग्य समय है। यदि दिसम्बर में खाद ना डाली हो तो इस माह खाद डाल देनी चाहिए। इन पतझड़ी फलों के पौधों को देसी रूड़ी खाद और दूसरे सिफारिश की गई सुपरफॉस्फेट और म्यूरेट ऑफ पोटाश (एम.ओ.पी.) खाद इसी माह डाल देनी चाहिए। पयूंदी नाख की हार्ड पीयर किसमें जिनमें पंजाब नाख और पत्थर नाख शामिल है, को भी इस माह लगा देना चाहिए। पंजाब गोल्ड, पंजाब नैकटर, पंजाब ब्यूटी और बग्गू गोशा जैसे साफट पीयर किसमों को भी लगाने के लिए यही माह निश्चित किया गया है। हार्ड पीयर किसम के पौधे और लाईन से लाईन का फासला 25’ गुणा 25’ होना चाहिए। जबकि सॉफट पीयर किसमों के पौधों का फासला 20’ गुणा 20’ रखा जा सकता है। पयूंदी आड़ू की शान ए पंजाब, अरली ग्रैंड, फलोरडा प्रिंस और प्रताप किसमें भी जनवरी-फरवरी के माह में लगती हैं। अंगूर की सुपीरियर सीडलैस, फलेम सीडलैस, ब्यूटी सीडलैस और परलिट किसमें लगाने के लिए भी यही माह ठीक है। आलू बुखारे की सतलुज पर्पल और काला अमृतसरी किसमें इसी माह लगती हैं। सतलुज पर्पल किसम का फल बड़े आकार का होता है। पर इस अकेली वैरायटी को फल नहीं लगता। इसलिए 85:15 अनुपात में सतलुज पर्पल और काला अमृतसरी किसम के पौधे लगाने चाहिए। काला अमृतसरी किसम के फल का आकार छोटा होता है। अनार की गणेश, कंधारी और भगवा किसम भी इन दो माह के अंदर-अंदर लगाई जाती है। अनार के पौधे को झाड़ी नहीं बनने देना चाहिए। सिंगल तने पर ही रखना चाहिए। फालसा लगाने के लिए भी यही समय अनुकूल है। अंजीर जो एक बहुत स्वास्थ्यवर्धक फल है और विटामिन ‘ई’ और लोह कणों से भरपूर है, वह भी इसी समय लगाया जाता है। इस फल को सुपरफीड माना गया है; क्योंकि इसको खाने से यूरिक एसिड कम हो जाता है। इसमें फाइबर होने के कारण कब्ज़ ठीक हो जाती है। कैल्शियम और फास्फोर्स के कारण यह फल हड्डियों को मज़बूत करता है। शुगर रोगियों के लिए भी अंजीर लाभदायक है। इसको सही तरीके से खाने से इसके फाइबर के कारण यह फल वजन को स्थिर रखने  में भी सकारात्मक साबित होता है। यह फल मई-जून माह में पक जाता है।
बागबानी विभाग से सेवामुक्त डिप्टी डायरैक्टर डा. स्वर्ण सिंह मान कहते हैं कि पंजाब के वातावरण में अनार का फल बहुत सफलता के साथ लगाया जा सकता है। इसके पौधे को आजकल 5 से 6 किलो अच्छी खाद डाल देनी चाहिए। पी.ए.यू. से सम्मानित प्रगतिशील किसान बलबीर सिंह जड़ीया धरमगढ़-अमलोह (फतेहगढ़ साहिब) कहते हैं कि वह अपनी बगीचे में लगाये अनारों के पौधे से घर के सभी सदस्यों के लिए समानांतर अनार उपयोग करता रहा है। बागवानों को अनार बहुत ही लाभदायक फल लगता है। अंतर्राष्ट्रीय बागवानी मिशन अधीन बागवानी विभाग नए बाग लगाने के लिए बागवानों और किसानों को वित्तीय सहायता और नेतृत्व भी प्रदान करता है। बहुत सारे उपभोक्ता और बागवान यह शिकायत करते हैं कि वह फलों के पौधे लगाते हैं, लेकिन वह चलते नहीं। उनको इन पौधों से फल की प्राप्ति बताए अनुसार नहीं होती। वास्तव में उनको फलों की काश्त संबंधी तकनीकी जानकारी नहीं। फलदार पौधे लगाने संबंधी उनको बागबानी विभाग या पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी से संबंधित विभाग से नेतृत्व लेना चाहिए और उनके साथ सम्पर्क रखना चाहिए। ब़ाग लगाने से पहले वह फलदार पौधों संबंधी प्राथमिक जानकारी इस दो विभागों से प्राप्त करें।
बागवानों के अलावा प्रत्येक किसान को अपने ट्यूबवैल पर फलों के पौधे लगाने चाहिए। फल बहुत महंगे हैं और कई बार मंडी में मसालों के साथ पकाए हुए मिलते हैं, जो स्वास्थ्य  के लिए हानिकारक हैं। प्रत्येक किसान को स्वयं उगाकर फल खाने की कोशिश करनी चाहिए। उपभोक्ताओं को अपने घरों में छोटे-छोटे बगीचे लगाकर ज़रूर घर के इस्तेमाल के लिए फल लेने चाहिए। फलों के पौधे लगाने से पहले उनकी किसमों के बारे में प्राथमिक जानकारी विशेषज्ञों से यदि प्राप्त की जाए तो बेहतर होगा। अपनी घरेलू बगीचों या खेतों के ट्यूबवैलों पर फलों के पौधे लगाकर उपभोक्ता ज़हर रहित फल  उपयोग करके नामुराद बीमारियों से बचेंगे और उनको पौषटिक तत्व प्राप्त होंगे। शारीरिक तौर पर वह खुशहाल और स्वस्थ रहेंगे। घरेलू बगीची और ट्यूबवैलों पर फलों के पौधों संबंधी कार्य करके वह खाली समय का उपयोग सुचारू ढंग से कर सकेंगे। फलों की तो औषधि के रूप में भी बहुत महत्वत्ता मानी गई है। कई बीमारियों के लिए यह फल दवाई का काम करते हैं।