चुनावी वर्ष में बड़ी परियोजनाओं, योजनाओं की घोषणा के आसार

उम्मीद है, 2024 बीतने से पहले 13 लाख करोड़ के 900 से ज्यादा परियोजनाएं पूरी होकर क्रियान्वित हो जाएंगी। देश के विकास में इनकी अहमियत समझी जा सकती है। इनमें से कई परियोजनाएं तो युगांतरकारी साबित होंगी, परन्तु कुछ अति महत्वपूर्ण परियोजनाएं ऐसी भी हैं जो विभिन्न कारणों से लम्बित है। चुनावी साल है, सो कई बड़ी परियोजनाओं की घोषणा के आसार हैं। ऐसे में पूरी और अधूरी परियोजनाओं की समीक्षा आवश्यक है।      
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु, केरल और लक्षद्वीप के दौरे पर हैं जहां वह हज़ारों करोड़ की परियोजनाएं सौंपे रहे हैं। इसी महीने वाइब्रेंट गुजरात समिट में 150 से 200 करोड़ रुपये का रोजगार निर्मित करने वाले 56 करोड़ी पनडुब्बी पर्यटन योजना की आधिकारिक घोषणा हो सकती है। यह चुनावी वर्ष है योजनाओं, परियोजनाओं की घोषणाओं का वर्ष रहने वाला है। न सिर्फ  केंद्र बल्कि विभिन्न राज्य भी तमाम ऐसी घोषणाएं कर सकते हैं, भले ही वे चुनावी बाजी जीतने के लिये हों। रेवड़ियां बांटने के वायदे के कारण चाहे वे आकंठ कज़र् में डूबे हों। बेशक सुविचारित परियोजनाओं का देश और राज्य की आर्थिक-सामाजिक उन्नति में अपना महत्व है, बशर्ते वे समय से पूरी हो जायें। इस साल कई महत्वाकांक्षी परियोजनाएं पूरी होने को हैं, जो देश की प्रगति और विकास में अपना महती योगदान देंगी ही संबंधित राज्यों की आर्थिकी का भी इससे कायाकल्प होना संभव है। मगर कुछ लम्बित परियोजनाएं ऐसी भी हैं, जो हमारे अर्थतंत्र पर बोझ बनती जा रही हैं, क्योंकि समय के साथ उनकी लागत बढ़ती जा रही है। 
देश में विकास की प्रबल आवश्यकता को देखते हुये यह नहीं कहा जा सकता कि नई बड़ी परियोजनाओं की घोषणा तभी हों, जब पुरानी परियोजनाएं पूर्ण हो जायें। नि:संदेह जनाकांक्षा और ज़रूरतों के मद्देनज़र ऊर्जा, अवसंरचना जैसे हर क्षेत्र में नई बड़ी परियोजना की घोषणा का स्वागत होना चाहिये पर सरकार और मीडिया को लम्बित या अपने ही विकास में ठिठक गई परियोजनाओं का समयानुकूल आंकलन करते रहना समीचीन होगा। परियोजनाओं का अंतिम उद्देश्य आमजन तक लाभ पहुंचाना है, इसलिये आमजन को भी इसके प्रति जागरूक होना होगा। इस चुनावी साल में तेरह से ज्यादा बड़ी परियोजनाएं पूरी करने में सरकार अपना दमखम झोंक देगी। देश की आर्थिक, सामरिक प्रगति में इनका योगदान तो महत्वपूर्ण होगा ही बेशक ये चुनावी प्रचार के भी काम आएंगी। 
साल की पहली तिमाही में ही एक लाख करोड़ वाला दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे शुरू हो जायेगा। 1332 किलोमीटर की यह सड़क बनने से बन जाने से दिल्ली से मुम्बई की दूरी 25 की बजाए 12 घंटे में तय होगी। इससे सालाना 32 करोड़ लीटर ईंधन और 8 फीसदी लॉजिस्टिक लागत की बचत होगी, 86 करोड़ किलो कार्बन उत्सर्जन घटेगा। महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात से दिल्ली ही नहीं जयपुर, वडोदरा, सूरत, कोटा, इंदौर, भोपाल जैसे महत्वपूर्ण शहर और नोयड़ा भी एयरपोर्ट जुड़ेगा। 84 लाख करोड़ की लागत वाला रेलवे का ईस्टर्न वेस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर इस साल मध्य से आरंभ होगा। देश के सकल घरेलू उत्पाद में लॉजिस्टिक कास्ट 15 फीसदी है, वह इस सबसे बड़े मालवाहक रेलमार्ग के शुरू होने के साल भीतर यह 8 फीसदी पर आ जाएगी। सड़कों पर ट्रक कम होंगे और सवारी गाड़ियों के ट्रैक पर से मालगाड़ियां तो रेलयात्रा सत्वर होगी और सड़क ज्यादा सुरक्षित। दावा है कि इस पर मालगाड़ी 40 की बजाय 150 कि.मी. प्रति घंटा की गति से दौड़ सकती है। ज्यादा माल ढुलाई होगा, रेलवे का मुनाफा बढ़ेगा। प्रदूषण घटेगा। 
इसके अलावा इस साल तकरीबन 16 हज़ार करोड़ की लागत वाला दुनिया का चौथा सबसे बड़ा अत्याधुनिक जेवर एयरपोर्ट भी वर्षांत तक 65 उड़ानों के साथ अपना संचालन शुरू करेगा। 11 दूसरे हवाई अड्डे भी जनता के लिए खुल जाएंगे। 359 मीटर ऊंचा, चिनाब रेलवे पुल की शुरुआत के बाद घाटी से देश अब हर मौसम में जुड़ा रहेगा, तो पर्यटन को नई ऊंचाई और स्थानीय आर्थिकी में उछाल आएगा। इसके अलावा 500 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग और दूसरे 12000 किलोमीटर हाईवे का इस साल काम शुरू होगा। ये तो इस बरस शुरू होने वाली कुछ परियोजनाएं हैं। केंद्र सरकार ने आने वाले सालों में 100 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना चुकी है। 
मगर परियोजनाओं के संदर्भ में एक दूसरा परिदृश्य भी है।  देश में बीते महीने तक तकरीबन 11 लाख करोड़ की परियोजनाओं में मात्र अढ़ाई लाख करोड़ की परियोजनाएं ही पूरी होने की स्थिति में हैं। लगभग 77 फीसदी परियोजनाएं देरी से चल रही है। 2022 में इनका प्रतिशत 51 का था। आम चुनावों को देखते हुये जो परियोजनाएं 6 महीने की देरी से चल रही हैं, वे शायद अब गति पकड़ें और अगले साल पूरी हो जाएं पर जिनमें दशक भर की देरी है उनका क्या होगा? सिलक्यारा टनल 2022 में बन जानी थी अभी चार किलोमीटर ही बन पायी है। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर