मालदीव के बहिष्कार का निर्णय कितना उचित ?

मालदीव के मंत्रियों ने शायद भारत देखा ही नहीं। उन्होंने दिल्ली के प्रदूषण की खबरें पढ़ी होंगी या मुम्बई में बारिश की। जब भारतीय पर्यटक परिवार के साथ वहां छुट्टियां बिताने जाते होंगे तो उन्हें लगता होगा कि भारत में हमारे जैसा खूबसूरत बीच और द्वीप कोई नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों जब लक्षद्वीप की तस्वीरें शेयर कीं तो मालदीव के कुछ मंत्रियों को मिर्ची लग गई। उन्हें लगा कि शायद भारत ने झटपट बीच बना लिया और अब उनका टूरिज्म वाला मुनाफा खत्म होने जा रहा है। वे भारत के प्रधानमंत्री पर उल्टे-सीधे आरोप लगाने लगे। पहले पूरा मामला समझ लीजिए। दरअसल, मालदीव के तीन उप-मंत्रियों ने मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत इस केंद्र शासित प्रदेश को मालदीव के वैकल्पिक पर्यटन स्थल के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है। माले में भारतीय उच्चायोग ने आपत्ति जताई तो फौरन मालदीव की सरकार को अपने तीनों मंत्रियों-मालशा शरीफ, मरियम शिउना और अब्दुल्ला माजिद को सस्पेंड करना पड़ा। यह बयान कितना बेतुका है कि भारतीय प्रधानमंत्री अपने भू-भाग पर जाते हैं तो किसी दूसरे देश का नुकसान कैसे हो गया?
भारतीय संस्कृति में ही यह रचा बसा है। यहां के लोग किसी के खिलाफ नहीं सोचते और जहर उगलने वाले को छोड़ते भी नहीं। हुआ भी कुछ ऐसा ही। सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर ताबड़तोड़ ट्वीट आने लगे। एक्टर सलमान खान, अक्षय कुमार और महान क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर जैसी मशहूर हस्तियों ने लोगों से भारत के खूबसूरत द्वीपों की यात्रा करने की अपील की। क्रिकेटर हार्दिक पंड्या, पूर्व खिलाड़ी वेंकटेश प्रसाद, वीरेद्र सहवाग जैसे कई जाने माने चेहरों ने मालदीव के मंत्रियों को खूब सुनाया। सामान्य रूप से भारत के लोग मीडिया में मालदीव घूमते हुए फिल्मी सितारों की तस्वीरें देखते रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी भारतीय सितारे वहां छुट्टी मनाते हुए तस्वीरें शेयर करते हैं। इससे मालदीव के टूरिज्म को फायदा होता है। अब लक्षद्वीप की तस्वीरें आने लगी हैं,तो मालदीव को तगड़ा झटका लगना तय है। मालदीव ने फौरन गलती तो सुधार ली लेकिन जरा सोचिए जिस देश की अपनी अर्थव्यवस्था टूरिज्म पर टिकी हो और उसका पड़ोसी 142 करोड़ की जनता हो, वह ऐसी गलती कैसे कर सकता है। अगर भारतीय सितारों ने मालदीव जाना बंद कर दिया तो क्या होगा? विवाद ही सही, मालदीव के लोगों को इसी बहाने भारत के बारे में थोड़ा जान-समझ लेना चाहिए। भारत के पास गोवा वाला बीच, मुंबई और विशाल दक्षिणी तट ही नहीं, अंडेमान निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप जैसी खूबसूरत जगहें भी हैं जहां भारतीय वो सब महसूस कर सकते हैं जो मालदीव जाकर मिलता है। फिर भी अगर भारतीय उनके देश घूमने जाते हैं तो भारत को कोई दिक्कत नहीं लेकिन इस तरह से भारत के प्रधानमंत्री के खिलाफ जहर उगल कर मालदीव को फायदा नहीं होना वाला है। 
मालदीव के मंत्रियों को नेपाल और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों से ही नहीं, अपने ही लोगों से यह समझना चाहिए कि भारत जैसा पड़ोसी नसीब से मिलता है। पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलेह ने फौरन अपने मंत्रियों की आलोचना करते हुए कहा कि भारत हमेशा से मालदीव का अच्छा दोस्त रहा है। हमें दोनों देशों के बीच सदियों पुरानी दोस्ती पर नकारात्मक प्रभाव नहीं डालने देना चाहिए। एक पूर्व मंत्री ने एक लाइन में अपने देश के लोगों को आगाह करते हुए कहा कि अगर भारतीयों ने मालदीव का बहिष्कार किया तो हमारी अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा असर पड़ सकता है। 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ की गई ‘अपमानजनक’ टिप्पणियों का मुद्दा भारतीय उच्चायोग द्वारा उठाए जाने के बाद भले ही रविवार को मालदीव की सरकार ने अपने आप को बचाते हुए तीन उप-मंत्रियों को कथित तौर पर निलंबित कर दिया। विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक, मालदीव सरकार का मानना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल लोकतांत्रिक और जिम्मेदाराना तरीके से किया जाना चाहिए। इनसे घृणा तथा नकारात्मकता नहीं फैलनी चाहिए और मालदीव तथा उसके अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के बीच घनिष्ठ संबंधों में बाधा नहीं आनी चाहिए। उसने चेतावनी दी कि सरकार के संबंधित अधिकारी ऐसी अपमानजनक टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में कोई संकोच नहीं करेंगे। इससे माना जा सकता है कि मालदीव की मुइज्जू सरकार अब बैकफुट पर है पर जो अपमान का तीर भारतीयों के अहम् को लगा है, उसका घाव इतनी जल्दी भरने वाला नहीं है।
गौरतलब है कि मालदीव की इकॉनमी में टूरिज्म का योगदान 28 प्रतिशत है। वहीं फॉरेन एक्सचेंज में 60 प्रतिशत योगदान टूरिज्म सेक्टर का होता है। मालदीव टूरिज्म डिपार्टमेंट के अनुसार, 2023 में यहां आए टूरिट्स में सबसे ज्यादा भारतीय थे। इसके बाद रूस और चीनी टूरिस्ट्स का स्थान है। 2022 में करीब ढाई लाख भारतीय पर्यटक मालदीव पहुंचे थे। पिछले साल भी करीब दो लाख से ज्यादा पर्यटक इस द्वीपीय देश में घूमने गए थे। ताजा विवाद के बाद सोशल मीडिया पर बायकॉट मालदीव और चलो लक्षद्वीप ट्रेंड कर रहा है। हज़ारों भारतीयों ने मालदीव के लिए अपने फ्लाइट टिकट्स और होटल बुकिंग्स कैंसिल करा दी हैं। मालदीव के लोगों के लिए रोज़गार का सबसे बड़ा आधार भी टूरिज्म ही है। यहां रोज़गार में टूरिज्म का योगदान एक तिहाई से ज्यादा है। वहीं पर्यटन से जुड़े सेक्टर्स को भी शामिल कर लें तो कुल रोज़गार (डायरेक्ट और इनडायरेक्ट) में टूरिज्म की हिस्सेदारी लगभग 70 प्रतिशत है। अब आप समझ लीजिए कि भारतीयों ने मालदीव जाना छोड़ दिया तो इस देश की टूरिज्म इंडस्ट्री तबाह हो जाएगी। इसलिए अब मालदीव सरकार बैकफुट पर आ गई है।
 मालदीव में करीब 26,000 भारतीय रह रहे हैं। ये लोग मालदीव की इकॉनमी में बड़ा योगदान देते हैं। साल 2021 में भारतीय कम्पनी एफकॉन्स ने मालदीव में सबसे बड़े इंफ्रास्क्चर ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट का काम किया था। इसके अलावा कई बार भारत सरकार ने मालदीव की मदद की है। भारत सरकार ने ऑपरेशन कैक्टस 1988 के तहत तख्तापलट की कोशिश को नाकाम कर मालदीव सरकार की मदद की थी। साल 2014 में ऑपरेशन नीर से मालदीव को पेयजल की आपूर्ति की थी। वहीं कोविड के दौरान ऑपरेशन संजीवनी के तहत मालदीव को दवाइयां पहुंचाई थीं।