नशों के चलन को कैसे रोका जाए ?

लम्बे समय तक सरकारी कर्मचारी रहे 53 वर्षीय नरेश बी बताते हैं कि मैंने सोचा था कि अब मैं किसी भी पल मर जाऊंगा, जो 24 वर्षों से शराब के आदी थे, उनके अनुसार उनको यह लत (बुरी आदत) एक तरफा प्यार के कारण शुरू हुई थी। कोविड महामारी के दौरान हालात इतने बिगड़ गये कि उनको घर के अंदर बंद रहना पड़ा, तो वह दिन में हर घंटे शराब पीने लगे। जब वह शराब खरीदने के लिए जाते, कई बार उनकी पत्नी अपने जवान बेटे को उनके साथ भेजती थी, कहीं वह सड़क पर गिर कर घायल न हो जाएं, जो अक्सर होता रहता था। उनको अपने काम से अनुपस्थित रहने के कारण आरोप-पत्र भी भेजा गया था।
उनको 75 प्रतिशत लीवर खराब होने के कारण लीवर सिरोसिस भी हो गया था। आमतौर पर वह जिस अस्पताल में जाते थे वहां उनको दवाई देना बंद कर दिया गया था, क्योंकि कई चेतावनियों के बावजूद उन्होंने शराब पीनी बंद नहीं की थी।
मई 2020 में नरेश ने आर्ट ऑफ लिविंग के ऑनलाइन नशा मुक्ति प्रोग्राम के लिए अपनी रजिस्ट्रेशन की जिसमें विशेष तकनीक सुदर्शन क्रिया सिखाई गई, जो एक शक्तिशाली श्वासों की प्रक्रिया है, जिससे अध्यात्मिक सोच के साथ सकारात्मक दृष्टिकोण में भी वृद्धि होती है, जिससे न सिर्फ शारीरिक और मानसिक तनाव से राहत मिलती है, बल्कि अपनापन, प्रेम, खुशी और सेवा की भावना में भी वृद्धि होती है। विशेषज्ञों की राय है कि अपनेपन की भावना नशे की बीमारी का एक ताकतवर इलाज़ है, इसी लिए आर्ट ऑफ लिविंग के नशामुक्ति प्रोग्रामों की सफलता दर बाकी प्रोग्रामों से बढ़ गई है। नरेश को अब नशामुक्त हुए तीन वर्ष हो गए हैं। उनके रोज़ाना अभ्यास , आध्यात्मिक सोच, समाज और परिवार की सहायता से उनको नशे से मुक्त रहने और अपने निर्णय पर कायम रखने में मदद मिली है। नशीले पदार्थों का प्रयोग और इनकी लत लोगों की गम्भीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रही है, जो अपराध, दुष्कर्म और सड़क दुर्घटनाओं का कारण भी बन रही है। पंजाब में सरकारी और निजी नशामुक्ति केंद्रों में नशे की समस्या में फंसे दस लाख से अधिक लोगों का इलाज चल रहा है।
 आर्ट ऑफ लिविंग का नशामुक्ति प्रोजैक्ट इलाज के साथ-साथ सकारात्मक सोच और आध्यात्मिक शिक्षा का मिश्रण भी है, जो नशे की गुलामी में फंसे लोगों को बाहर आने में मदद करता है।
इस प्रोजैक्ट की विशेषता यह है कि नशे की गुलामी के शिकार लोगों की तरफ खास ध्यान दिया जाता है, क्योंकि उनको शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सहयोग का ज़रूरत होती है, ताकि वह शारीरिक तंदुरुस्ती के साथ-साथ मानसिक और भावनात्मक तौर पर भी स्वस्थमंद हो सकें। 2018 में आर्ट ऑफ लिविंग ने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर, संजय दत्त, कपिल शर्मा, गुरदास मान और बादशाह (कलाकार) आदि की उपस्थिति में ‘नशा मुक्त भारत’ राष्ट्रीय योजना की शुरूआत की गई। इस प्रोग्राम में लगभग 60,000 विद्यार्थियों ने भाग लिया और 1 लाख से अधिक विद्यार्थियों और अध्यापकों ने नशीली दवाइयों के चलन के खिलाफ प्रतिज्ञा ली और ऑनलाइन मुहिम में शामिल हुए।
इससे पहले आर्ट ऑफ लिविंग ने अन्य गैर-सरकारी संगठनों और चंडीगढ़ के माननीय नागरिकों के साथ मिलकर टाइपराइटर क्रैक्शन फलूइड के बड़े स्तर पर दुरुपयोग के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई थी। हरियाणा हाईकोर्ट ने इसके उत्पादन, बिक्री या भंडारण पर पाबंदी लगाने का आदेश भी दिया था।आर्ट ऑफ लिविंग का ‘नशा मुक्ति प्रोजैक्ट’ अगस्त 2008 में लुधियाना में शुरू हुआ और नवम्बर 2010 तक चला। अब यह प्रोग्राम चंडीगढ़ के कुछ हिस्सों में चल रहा है और लोगों को एक बेहतर नशा-मुक्ति जीवन जीने के लिए रास्ता दिखा रहा है। यह प्रोग्राम पंजाब के शहरों- गुरदासपुर, अमृतसर, होशियारपुर, जालन्धर, फिरोजपुर, फरीदकोट, मोगा, संगरूर, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, बरनाला में भी शुरू किया गया था। आज तक 80 गांवों में से 25,000 से अधिक लोगों ने इस प्रोग्राम से लाभ लिया है।
कुछ अनुमानों के अनुसार, पंजाब में दो तिहाई से अधिक घरों में से हर परिवार में एक व्यक्ति को नशे की लत लगी हुई है।
‘नशा मुक्त समाज’ की दृष्टि से, आर्ट ऑफ लिविंग ने अपने संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर से प्रेरित होकर यह प्रोग्राम शुरू किया था। प्रोग्राम के दौरान योग, ध्यान और सुदर्शन क्रिया जो कि सांस लेने की एक शक्तिशाली प्रक्रिया है, जिसका अभ्यास करवाकर आध्यात्मिकता के सहयोग के साथ शरीर में से हानिकारक पदार्थों को बाहर निकाला जाता है। यह योजना एम्ज़-दिल्ली, पी.जी.आई.एम.ई.आर. और चंडीगढ़ मैडीकल कालेज के सहयोग के साथ चलाई गई थी।
ग्राम पंचायत और स्थानीय नेताओं को इस कार्य में शामिल करना कम्युनिटी भाईचारे की एक बड़ी पहल है। इस प्रोग्राम में 20 से अधिक सरकारी अस्पताल और मैडीकल कालेज शामिल हैं। पंजाब के कई डेरा प्रमुख, ज़िला प्रमुख, व्यापारियों और गांवों के सरपंचों ने इस प्रोग्राम को और नशीले पदार्थों के चलन को रोकने और नशों से पीड़ितों के ईलाज संबंधी स्वीकार किया है।
चंडीगढ़ में आर्ट ऑफ लिविंग की एक टीम नशा पीड़ितों को सांस लेने की तकनीक सिखाने के लिए पी.जी.आई.एम.ई.आर. के पुनर्वास केन्द्र के साथ मिलकर काम कर रही है। टीम उनको रोज़गार प्राप्त करने में भी सहायता कर रही है।
-आर्ट ऑफ लिविंग 
ब्यूरो ऑफ कम्यूनिकेशन