पुण्य-पथ पर राम मंदिर का सफर

राम मंदिर की कहानी की शुरुआत 1528 से होती है। इस समय भारत में बाबर ने दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया और पूरे देश में मुगल साम्राज्य की नींव रख दी। जानकारी के अनुसार बाबर के कमांडर यानि जनरल मीर बाकी ने बाबर के आदेश पर अयोध्या में राम मंदिर को तुड़वा दिया और इसके बाद वहां एक मस्जिद बनाई। इस मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद रखा गया। तुलसीदास ने 1574 में रामचरितमानस का अवधि में अनुवाद किया। वर्ष 1838 में पहली बार अयोध्या में सर्वे किया गया। सर्वे करने वाला अधिकारी ब्रिटिश था, जिसका नाम मॉन्टगोमेरी मार्टिन था। मार्टिन ने सर्वे के बाद बताया कि मस्जिद में जो पिलर मिले हैं, वो हिंदू मंदिर से लिए गए हैं।  वर्ष 1947 में देश आज़ाद हुआ। बंटवारे के जख्म ताजा थे। हिन्दू और मुसलमानों के बीच नफरत थी। आज़ादी के बाद राम मंदिर की मांग जोर पकड़ती है। दिसम्बर 1949 में अयोध्या में 9 दिनों के रामचरितमानस पाठ का आयोजन किया जाता है। इस आयोजन में गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजय नाथ भी शामिल थे। 22 और 23 दिसम्बर की रात मस्जिद में भगवान राम की मूर्तियां मिलती हैं। आरोप हिंदुओं पर लगता है। कहा जाता है कि उन्होंने मूर्तियों को विवादित स्थान पर रखा। 23 दिसम्बर की सुबह मस्जिद में रामलला की पूजा शुरू हो जाती है। हिन्दू वहां पूजा और दर्शन करने पहुंचते हैं तो मुस्लिम वहां विरोध करने पहुंचते हैं। मामला फिर कोर्ट में पहुंचता है। ये वो समय था जब देश में संविधान लागू नहीं हुआ था। संविधान की धर्मनिरपेक्षता अब तक तय नहीं की जा सकी थी। इस दौरान प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बयान दिया और कहा कि जो हुआ वह गलत हुआ किसी भी धार्मिक स्थान को कोई हथिया नहीं सकता। 
16 जनवरी, 1950 को गोपाल सिंह विशारद सिविल केस फाइल करते हैं। वो कोर्ट से मांग करते हैं कि हिंदुओं को पूजा की अनुमति दी जाए और मूर्तियों को उस जगह से न हटाया जाए। लेकिन कोर्ट ने इस अपील को खारिज कर दिया। साल 1959 में निर्मोही अखाड़ा एक बार फिर पिक्चर में आता है। निर्मोही अखाड़ा कोर्ट पहुंचता है। अखाड़े ने इस बार केवल राम चबूतरे की ही नहीं बल्कि पूरे 2.77 एकड़ जमीन का हक कोर्ट से मांगा। इसके दो साल बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी कोर्ट में केस दायर किया। वक्फ ने मुस्लिमों का पक्ष रखते हुए केस फाइल किया और कहा कि यहां पहले मस्जिद थी और अब भी मस्जिद है। इसके बाद अगले 20-25 साल तक कोर्ट में केस चलता रहा।
अब वर्ष 1980 में भाजपा जनसंघ से अलग हो गई थी। भाजपा ने खुलकर हिंदू संगठनों और राम मंदिर का समर्थन किया। हिंदू संगठन एक्टिव हो जाते हैं। मांग उठती है कि बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर का निर्माण किया जाए। विश्व हिंदू परिषद (वी.एच.पी.) नेता अशोक सिंघल ने रथयात्रा निकालने की बात कही, लेकिन इसके 6 महीने बाद ही इंदिरा गांधी की हत्या हो जाती है। रथयात्रा को टाल दिया गया। 
विहिप ने विवादित स्थल के पास राम मंदिर की नींव रख दी और मंदिर निर्माण के लिए अभियान तेज़ कर दिया। 25 सितम्बर, 1990 को लालकृष्ण आडवाणी रथयात्रा निकालने की घोषणा करते हैं। रथयात्रा जो सोमनाथ से अयोध्या तक निकाली जानी थी, जिसे 30 अक्तूबर, 1990 तक अयोध्या पहुंचना था। नरेन्द्र मोदी उस समय गुजरात में रथयात्रा के प्रभारी थे। कार सेवकों को बड़ी संख्या में अयोध्या पहुंचने का आदेश होता है। योजना थी कि 30 अक्तूबर को अयोध्या में पहली कारसेवा की जाएगी। आडवाणी ने रथयात्रा निकाली। इस दौरान देशभर में खूब हिंसा और दंगे हुए। 23 अक्तूबर को आडवाणी की रथयात्रा बिहार के समस्तीपुर पहुंचती है। वी.पी. सिंह के आदेश पर तत्कालीन बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने रथयात्रा को रुकवा दिया। आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी की यह जानकारी दिल्ली पहुंची तो अटल बिहारी वाजपेयी ने वी.पी. सिंह की सरकार से समर्थन वापिस खींच लिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसमें दखल दिया और निर्माण कार्य पर रोक लगा दी। पी.वी. नरसिम्हा राव 30 अक्तूबर, 1992 को दोनों पक्षों यानि हिन्दू और मुस्लिम पक्षों को दिल्ली बुलाते हैं। बातचीत करने के लिए दिल्ली पहुंचे दोनों गुटों के बीच बातचीत का कोई निष्कर्ष नहीं निकलता। 6 दिसम्बर, 1992 को अयोध्या में लगभग 2 लाख कारसेवक पहुंच चुके थे। ये कारसेवक मस्जिद की तरफ बढ़ते हैं। भीड़ ने मस्जिद को गिरा दिया। वहां रामलला के लिए एक छोटे मंदिर को तैयार किया। राम लाल उसमें विराजमान होते हैं। मुलायम सिंह की तरह तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने कोई सख्त एक्शन नहीं लिया। बल का भी प्रयोग नहीं किया, जब मस्जिद गिरी तो वीएचपी और भाजपा के कई नेता वहां मंच पर मौजूद थे। वो कार्यकर्ताओं और कारसेवकों से संयम बरतने की अपील करते हैं।  बाबरी मस्जिद गिरने के बाद अगले कुछ समय तक मामला शांत रहता है। अगले कुछ सालों में केंद्र में भाजपा की सरकार आ जाती है। अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बन जाते हैं। 2001 में वी.एच.पी. केंद्र सरकार को कड़ा संदेश देती है। कहती है, ‘मस्जिद गिर चुकी है, राम मंदिर बनाने की तैयारी शुरू करें।’ सरकार यदि नहीं करेगी तो वी.एच.पी. खुद मंदिर बनाएगी। अप्रैल 2003 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन जजों की बेंच विवादित स्थल के मालिकाना हक की कार्रवाई शुरू करती है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई को वैज्ञानिक सबूत जुटाने का काम दिया जाता है। एएसआई विवादित स्थान पर खुदाई करती है। खुदाई 6 महीने तक चलती है। अगस्त 2003 में एएसआई रिपोर्ट पेश करती है। 
रिपोर्ट में एएसआई ने बताया कि खुदाई में 10.12 सेंचुरी के बीच के हिन्दू मंदिरों के अवशेष मिले हैं। पिलर, ईंटे, शिलालेख और अन्य चीजें मिली हैं। पहली बार विवादित स्थल से जुड़े वैज्ञानिक सबूत मिलते हैं। मामला कोर्ट में चलता रहता है। 30 सितम्बर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनोखा फैसला सुनाया। कोर्ट ने 2.77 एकड़ वाली विवादित भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांट दिया। इसमें एक तिहाई हिस्सा निर्मोही अखाड़ा, एक तिहाई हिस्सा राम जन्मभूमि न्यास और बाकी एक तिहाई हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया। इस फैसले से तीनों ही नाखुश थे। साल 2011 में पहली बार तीनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जनवरी 2019 में अयोध्या केस की सुनवाई के लिए पांच जजों की संवैधानिक पीठ बनाई गई। इसकी अध्यक्षता कर रहे थे चीफ  जस्टिस रंजन गोगोई। पीठ में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस बोबड़े  और जस्टिस एनवी रमन्ना को शामिल किया गया। 5 जजों की बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। 9 नवम्बर 2019 को ऐतिहासिक फैसला आया। इस फैसले ने राम मंदिर के 492 साल पुराने संघर्ष पर विराम लगा दिया। बेंच ने सर्वसम्मति से फैसला लिया और एएसआई की साइंटिफिक रिपोर्ट का हवाला दिया तथा 2.77 एकड़ की पूरी जमीन जो विवादित थी, वह रामलला विराजमान को दे दी गई। सरकार को आदेश हुआ कि राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनें। सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में किसी और स्थान पर 5 एकड़ जमीन देने का भी आदेश हुआ। 5 फरवरी, 2020 को रामजन्मभूमि ट्रस्ट को मंजूरी मिली। 5 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या पहुंचते हैं। रामजन्मभूमि का पूजन और शिलान्यास करते हैं। अंत में 22 जनवरी, 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे।

(यह जानकारी इंटरनेट से ली गई है)