सफलता में आखिर कितनी सहायक हैं सेल्फ हेल्प बुक्स !

कुछ लोग मानते हैं कि स्व-सहायता पुस्तकों से बहुत फायदे मिलते हैं, तो कुछ ऐसे लोग भी हैं जो इनसे दूर रहने की हिदायत देते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि ये किताबें हमें ‘झूठी आशा सिंड्रोम’ के भ्रम में रखती हैं। सवाल है अंतिम रूप से हमारे लिए सही क्या है? क्या वाकई हमें इन किताबों को अपने आपको प्रेरित करने या सफल होने के लिए पढ़नी चाहिए या फिर झूठी आशाओं की बीमारी से बचने के लिए इनसे दूरी बनाकर रखनी चाहिए। अगर विस्तृत अध्ययनों के निष्कर्षों को देखें तो इन किताबों के पढ़ने के, हो सकता है कुछ नुकसान हों, हो सकता है कुछ लोग ओवर कॉन्फिडेंट हो जाते हों और इस चक्कर में भ्रम की दुनिया रच लेते हों। लेकिन ज्यादातर लोगों को इन किताबों को पढ़ने से कई तरह के फायदे होते हैं। सिर्फ कॅरियर के मामले में ही नहीं, असाध्य बीमारियों से जूझने में और मानसिक परेशानियों से निपटने में भी इन किताबों का जबरदस्त योगदान होता है।
ये किताबें हमें कॅरियर के मामले में परीक्षाओं को पास करने के रास्ते सुझाती हैं, ये रणनीतियां बताती हैं, जिनके जरिये हम कठिन परीक्षाओं को क्रैक कर सकते हैं। हमारे हौंसले को बनाये रखती हैं, जो न सिर्फ हमारी रूचियों को बरकरार रखने का जरिया होता है बल्कि हमें लगातार कुछ कर सकने के लिए प्रेरित करता है और सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसी किताबें खुद पर नियंत्रण करना सिखाती हैं। ये हमें अनुशासन में रहना सिखाती हैं और अगर मामला अपनी बीमारियों को जानने, समझने और स्व-चिकित्सा से हो तो ये किताबें हमें इतना संबल देती हैं कि हम लम्बे समय तक इनसे संघर्ष करके जटिल से जटिल बीमारियों से भी पार पा सकते हैं। इसलिए अगर पढ़ने और न पढ़ने से मिलने वाले फायदों पर अंगुली रखना हो तो निश्चित रूप से न पढ़ने के मुकाबले ऐसी किताबों को पढ़ने के कई फायदे होते हैं। 
इन किताबों को पढ़ने का फायदा इसलिए होता है, क्योंकि ये हमारी गलतियों को चिन्हित करती हैं। इनको पढ़कर हम जान पाते हैं कि आखिर हम गलतियां क्या कर रहे हैं और उनसे कैसे बच सकते हैं यानी ये किताबें हमें हमारी कमजोरियों को जानने और पहचानने में मदद करती हैं। इन किताबों को पढ़कर हम नया कुछ सीखने के लिए प्रेरित होते हैं, हमारी उम्र, हमारी भाषाई समझ, हमारा ज्ञान, हमारे लिए किसी तरह की बाधा नहीं बनता। ये हमें एक उत्साह देती हैं, जिससे हम किसी भी उम्र में कोई भी कौशल सीखने के लिए तैयार हो जाते हैं और जब सीखते हैं तो उसका फायदा मिलता ही मिलता है। ऐसी किताबें हमें दृढ़ बनाती हैं, समस्या का समाधान सुझाती हैं और सफलता के लिए रणनीतियां बनाने व उन्हें चिन्हित करने का मौका देती हैं। 
इन किताबों को पढ़ने का हमें एक बड़ा फायदा यह भी मिलता है कि हम उस अभ्यास के तौर तरीके को जान पाते हैं, जो हमें आगे चलकर मदद करता है। ये हमें अपने प्रति ईमानदार बनाती हैं और अपना मूल्यांकन करने के लिए तरीका और पैमाने सुझाती हैं। निश्चित रूप से इन किताबों को पढ़कर हमें ज्ञान होता है, हमें हिम्मत आती है और हम नई तरीके से सोचने की कला सीख जाते हैं। अगर मान लें कि इनमें से कुछ नहीं होता, तो भी निश्चित तौर पर एक बात यह होती है कि हमें इन किताबों के पढ़ने का कोई नुकसान नहीं होता। ये किताबें किसी बुरी संगत की तरह नहीं होती, जो हममें नकारात्मक असर डालें। अगर हम इनसे कुछ सीखते नहीं, तो यह भी तय है कि हम इन किताबों से कुछ खोते भी नहीं है, किसी तरह का हमारा कोई नुकसान नहीं होता। सबसे बड़ी बात यह है कि ये किताबें आम तौर पर 50 पेज से लेकर 200-250 पेज की होती हैं, जिन्हें आसानी से पढ़ा जा सकता है और पढ़ने में बहुत दिन भी जाया नहीं करने पड़ते।
लब्बोलुआब यह कि हमें ये किताबें इसलिए पढ़नी चाहिए कि ये हमें अपनी सीमाएं तोड़ना और नई सीमाएं गढ़ना सिखाती हैं। ये किताबें हमें व्यक्तिगत रूप से परियोजनाएं बनाना और उनमें अपने ढंग से आगे बढ़ना सिखाती हैं। जो काम कोई व्यक्ति, कोई इंस्टीट्यूट हजारों रुपये लेकर करेगा, वह काम ये किताबें बहुत मामूली सी कीमत महज कुछ सौ रुपये में कर देती हैं और आजकल तो ज्यादातर सेल्फ हेल्प बुक ऑनलाइन मुफ्त में उपलब्ध हैं या इन किताबों के तमाम डिजिटल संस्करण नाममात्र की कीमत पर मिल जाते हैं। इसलिए न पढ़ने से बेहतर है ऐसी किताबें पढ़नी चाहिए, कुछ न कुछ फायदा ही मिलता है, जबकि नुकसान कुछ भी नहीं होता।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर