एकजुटता के बिना विपक्ष कैसे करेगा भाजपा का मुकाबला

भाजपा को हराने के लिए गठित विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डिवैल्पमेंट इन्क्लुसिव अलायंस’ (इंडिया) में उथल-पुथल हो रही है। गठबंधन अपनी पकड़ खो रहा है और विपक्ष की पहले से बिखरी हुई स्थिति में लौटने का खतरा मंडरा रहा है। दरारें बढ़ रही हैं और गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बन रही। उनकी साझी विरोधी पार्टी भाजपा यह सब देख रही है और अपनी स्थिति को और मज़बूत कर रही है। ममता बनर्जी, नितीश कुमार, भगवंत मान सहित अनेक विपक्षी नेता हैं ‘इंडिया’ गठबंधन को झटके पर झटका दे रहे हैं।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी का कहना है कि उनकी पार्टी अकेले लड़ेगी और उसे दबंगई करने वाली कांग्रेस के साथ गठबंधन की ज़रूरत नहीं है। कांग्रेस के खिलाफ क्षेत्रीय दलों के एकजुट होने से ममता संतुष्ट हैं। फिर, आम आदमी पार्टी भी उसी का अनुसरण कर रही है, जो कि ‘इंडिया’ गठबंधन के ताबूत में अपने कोटे की कील ठोक रही है।
उधर बिहार के मुख्यमंत्री और जद (यू) नेता नितीश कुमार अपना पैंतरा दिखा रहे हैं। ‘इंडिया’ गठबंधन की मुसीबत पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब और केरल तक फैल गयी है। सीट-बंटवारा मुख्य समस्या है। गठबंधन की मुख्य पार्टियां हमेशा एक-दूसरे के विरोध में रहती हैं। प्रत्येक पार्टी सीटों में बड़ा हिस्सा या अपने आवंटित हिस्से से अधिक हिस्सा चाहती है। क्या परस्पर विरोधी ‘इंडिया’ गठबंधन घटकों को इस बात का एहसास भी है कि वे क्या कर रहे हैं?
ममता की कहानी सरल और सीधी है। दूसरों की तरह ममता भी ‘इंडिया’ के शीर्ष पद की तलाश में हैं। बिल्कुल वैसे ही जैसे नितीश कुमार और अरविंद केजरीवाल। राहुल गांधी भी इसमें शामिल हैं। कांग्रेस का मानना है कि वह 2019 की तुलना में 2024 में बेहतर स्थिति में है। कांग्रेस एक गांधी प्रधानमंत्री का ताज पहनने की उम्मीद कर रही है और शायद भारत का एक चौथाई हिस्सा भी गांधी को शीर्ष पर चाहता है। हालांकि, ममता बनर्जी नहीं चाहतीं कि कांग्रेस के साथ गठबंधन आगे बढ़े। उन्हें पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन ममता बनर्जी की मुख्य शिकायत कांग्रेस से है। राहुल गांधी के यह कहने के एक दिन बाद कि पश्चिम बंगाल में सीट-बंटवारे के लिए बातचीत चल रही है, ममता ने इस दावे का खंडन किया। 
ममता इस बात के लिए भी कांग्रेस से नाराज़ हैं कि उन्होंने उनकी आवाज़ नहीं उठायी और राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ जो पश्चिम बंगाल से भी गुजरेगी में उन्हें शामिल करने में विफल रही। सवाल यह है कि क्या ममता क्षेत्रीय पार्टियों के लिए बोलती हैं? ममता का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद क्षेत्रीय दलों की बैठक के बाद ही आगे का फैसला लिया जायेगा।
कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे पर ममता केवल दो सीटें छोड़ने को तैयार हैं, वही दो सीटें जो कांग्रेस के पास पहले से ही हैं—मालदा दक्षिण और बरहामपुर। ऐसा प्रतीत होता है कि टीएमसी आम चुनाव में अकेले उतरने को लेकर गंभीर है। ‘इंडिया’ ब्लॉक का क्या होगा? अधीर रंजन चौधरी कहते हैं, ‘कांग्रेस के पास पश्चिम बंगाल में खोने के लिए कुछ नहीं है’ और सीपीआई (एम) टीएमसी के साथ कुछ भी लेना-देना नहीं चाहती है।
उधर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि ‘आप’ पंजाब की सभी 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ऐसी स्थिति में ‘आप’ और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे की बातचीत का क्या होगा? कांग्रेस और ‘आप’ के बीच पंजाब में तो तालमेल नहीं बन पा रहा, परन्तु गोवा और गुजरात भी गंभीर युद्ध के मैदान बनते जा रहे हैं। 2019 में कांग्रेस ने पंजाब में 8 संसदीय सीटें जीतीं। आम आदमी पार्टी को एक सीट मिली थी। हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनावों ने ‘आप’ को 117 में से 92 सीटें मिली थीं। कांग्रेस को 18 सीटें मिलीं और भाजपा तस्वीर में कहीं नहीं थी। जो भी हो, ‘आप’ व कांग्रेस के बीच गठबंधन से इन्कार किया गया है। टीएमसी की तरह आप भी अकेले चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस भी उन राज्यों में अकेले चुनाव लड़ेगी। जानकारी के अनुसार कांग्रेस और ‘आप’ ने दिल्ली के लिए सीट बंटवारे पर समझौता कर लिया है और हरियाणा के लिए हो सकता है।
‘इंडिया’ गटबंधन को लेकर बिहार भी थोड़ा तनाव में है। कांग्रेस के पास बिहार की केवल एक लोकसभा सीट है, लेकिन उसके पास लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल के रूप में एक मज़बूत सहयोगी पार्टी है। भले ही नितीश कुमार की जद (यू) फिसलन भरी ढलान पर है। दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री को किसी खास पद पर बांधना मुश्किल है। नितीश कुमार क्या चाहते हैं, यह उनके मन में है, शेष सभी अटकलें हैं। लेकिन ममता बनर्जी के सक्रिय रहने से नितीश कुमार के पास शायद अपना कोई खेल नहीं है। ‘इंडिया’ गठबंधन की उलझनों को सुलझाने के लिए बहुत कम समय है। अगले दो महीने में और बहुत देर हो जायेगी। भारत के नेताओं को सीट बंटवारे पर साझेदारों के बीच सभी मतभेदों को सुलझाने के लिए एक आपातकालीन बैठक बुलानी चाहिए जिसकी सफलता पुनरुत्थान वाली भाजपा से मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण है। (संवाद)