पाकिस्तान के लोगों का फतवा

8 फरवरी को पाकिस्तान की नैशनल असैम्बली एवं चार राज्यों की सूबाई असैम्बलियों के लिए हुये चुनावों के परिणाम लगभग सामने आ गये हैं। जहां तक राष्ट्रीय असैम्बली का संबंध है, उसमें किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जोकि कई मामलों में हुई सज़ाओं के कारण जेल में बंद हैं, की पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्स़ाफ पार्टी को उचित समय पर पार्टी के संगठनात्मक चुनाव न करवाने के कारण इन चुनावों से पहले ही उसके चुनाव चिन्ह क्रिकेट के बल्ले से चुनाव आयोग ने वंचित कर दिया था। इस कारण उनके उम्मीदवारों को आज़ाद उम्मीदवारों के रूप में चुनाव लड़ने पड़े हैं। नैशनल असैम्बली की कुल 266 में 265 सीटों के लिए चुनाव हुये थे। पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्स़ाफ पार्टी से संबंधित आज़ाद उम्मीदवारों को 100 सीटें मिली हैं। नवाज़ शऱीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) को 73, बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपल्ज़ पार्टी को 54, मुताहिदा कौमी मुहाज़ को 17 एवं फज़ल-उर-रहमान की पार्टी जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम को 3 सीटें मिली हैं। अभी कुछ अन्य सीटों के परिणाम आने शेष हैं। इससे राष्ट्रीय स्तर पर कोई मिली-जुली सरकार ही बन सकती है। 
सूबा सिंध में स्पष्ट रूप से पाकिस्तान पीपल्ज़ पार्टी ने कुल 130 सीटों में से 84 सीटें जीत कर स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। वहीं मुताहिदा कौमी मुहाज़ को 28 एवं आज़ाद उम्मीदवारों को 14 सीटें मिली हैं। इसी तरह खैबर पख्तूनखवा में पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्साफ पार्टी से संबंधित आज़ाद उम्मीदवारों ने कुल 155 में 88 जीत कर पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है। वहीं जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम को 7 एवं पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) को 5 सीटें मिली हैं। बलोचिस्तान में पाकिस्तान पीपल्ज़ पार्टी ने कुल 51 सीटों में से 11 सीटों एवं मुस्लिम लीग (नवाज़)ने 9 सीटों एवं जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम ने 8 सीटों पर जीत हासिल की है। तीनों पार्टियां मिल कर सरकार बनाने के निकट पहुंच सकती हैं। पाकिस्तान के सबसे अहम सूबे पंजाब में भी चाहे पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्स़ाफ पार्टी से संबंधित आज़ाद उम्मीदवारों ने 297 में 136 सीटें जीती हैं, परन्तु इस राज्य में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) ने 135 सीटों एवं पाकिस्तान पीपल्ज़ पार्टी ने 10 सीटों पर जीत हासिल की है। यहां भी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) तथा पाकिस्तान पीपल्ज़ पार्टी की मिली-जुली सरकार बनने की ही अधिक सम्भावना है।
ताज़ा जानकारी के अनुसार पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के नेता शाहबाज़ शऱीफ ने पाकिस्तान पीपल्ज़ पार्टी, जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम (एफ.) तथा राष्ट्रीय मुताहिदा मुहाज़ के साथ राष्ट्रीय स्तर पर सरकार बनाने की बातचीत का सिलसिला आरम्भ किया है। पाकिस्तान के राजनीतिक सूत्रों के अनुसार उपरोक्त पार्टियां इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्साफ को सत्ता से बाहर रखने के लिए एकजुट हो कर सरकार बना सकती हैं। पाकिस्तान की सेना, जो देश की राजनीति में अक्सर हस्तक्षेप करती है, का भी ऐसा ही यत्न होगा, क्योंकि वह इमरान खान के बड़ी सीमा तक खिलाफ हो चुकी है। इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्स़ाफ पार्टी के चेयरमैन गौहर अली खान ने कहा है कि उनकी पार्टी को सरकार बनाने के लिए पाकिस्तान के लोगों द्वारा स्पष्ट रूप में ़फतवा दिया गया है। इसलिए इस ़फतवे का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि चुनावों में व्यापक स्तर पर धांधलियां की गई हैं तथा उनकी पार्टी से संबंधित बहुत-से विजयी उम्मीदवारों को जानबूझ कर हराया गया है या उनके परिणाम रोक दिए गये हैं।
इस दौरान पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के वरिष्ठ नेता तथा तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके नवाज़ शऱीफ ने लाहौर में अपनी पार्टी के मुख्यालय से पाकिस्तान के लोगों तथा अपनी पार्टी के समर्थकों को सम्बोधित करते हुए पाकिस्तान की समूह पार्टियों तथा विजेता आज़ाद उम्मीदवारों  से आह्वान किया है कि इस समय पाकिस्तान को दरपेश गम्भीर आर्थिक तथा राजनीतिक समस्याओं में से निकालने के लिए सभी को मिल कर आगे आना चाहिए और एक संयुक्त सरकार का गठन करना चाहिए।  इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया है कि चाहे राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, परन्तु उनकी पार्टी बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, इसलिए वह सरकार बनाने  के लिए अन्य पार्टियों से बातचीत करेगी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि नई सम्भावित सरकार को पाकिस्तान की आंतरिक समस्यायों का समाधान करने के साथ-साथ अपने पड़ोसी देशों तथा विश्व के अन्य देशों के साथ भी अच्छे संबंध बनाने को प्राथमिकता देनी चाहिए। 
पाकिस्तान के चुनावों के सामने आए उपरोक्त परिणामों तथा पाकिस्तान की वर्तमान राजनीतिक एवं आर्थिक स्थिति के दृष्टिगत हमारा भी यह स्पष्ट विचार है कि विगत लम्बी अवधि से अस्थिरता तथा बदहाली का सामना कर रहे पाकिस्तान को एक स्थिर तथा स्पष्ट दृष्टिकोण वाली सरकार की ज़रूरत है। पाकिस्तान इस समय बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। आम लोग महंगाई की भारी मार सहन कर रहे हैं। इसके साथ-साथ पाकिस्तान को आतंकवाद की भी गम्भीर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। अफगानिस्तान तथा ईरान की धरती से भिन्न-भिन्न आतंकवादी संगठन समय-समय पर पाकिस्तान को अपने हमलों का निशाना बनाते आ रहे हैं। इन चुनावों से पहले भी खैबर पख्तूनखवा तथा बलोचिस्तान में हिंसा की अनेक घटनाएं घटित हो चुकी हैं। दूसरी ओर पाकिस्तान की धरती से भी आतंकवादी संगठन भारत पर लगातार हमले करते आ रहे हैं। पाकिस्तान की सेना तथा उसके प्रभाव के अधीन पाकिस्तान की सरकारें भारत विरोधी इन गतिविधियों का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष ढंग से समर्थन करती रही हैं, जिस कारण भारत तथा पाकिस्तान के संबंध निरन्तर बिगड़े रहे हैं। अब जिस प्रकार कि पाकिस्तान के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शऱीफ ने इच्छा व्यक्त की है कि पाकिस्तान को अपने पड़ोसी देश से संबंध सुधारने चाहिएं, यदि वहां बनने वाली सरकार ऐसी इच्छा-शक्ति का प्रदर्शन करती हुई अपने पड़ोसी देशों से संबंध सुधारने के लिए क्रियात्मक रूप में ठोस पग उठाती है तो भारत तथा पाकिस्तान के संबंधों में सुधार आ सकता है, और इससे पाकिस्तान में भी स्थिरता आ सकती है और वह खुशहाली के मार्ग पर चल सकता है, परन्तु इस संबंध में बहुत कुछ भविष्य के आ़गोश में है। आगामी दिनों में पाकिस्तान में किस तरह की सरकार बनती है और वह किस प्रकार की नीतियां अपनाती है, यह वक्त ही बताएगा। इस समय तो हम पाकिस्तान के लोगों को शुभकामनाएं ही दे सकते हैं।