सख्ती से निपटना चाहिए देश के ़गद्दारों से

 

एक बार फिर से पाकिस्तान को भारत की रक्षा संबंधी तैयारियों की खबर देने वाले धूर्त शख्स की गिरफ्तारी से साफ है कि अब भी देश में आस्तीन के सांप हैं। उन्हें सख्ती से पूरी तरह से कुचलना ही होगा। उत्तर प्रदेश आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) के हाथ बड़ी सफलता लगी है। एटीएस की टीम ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने वाले एक भारतीय युवक को गिरफ्तार किया है। आरोपी सतेंद्र सिवाल विदेश मंत्रालय के मल्टी टास्किंग स्टाफ  में काम करता था। वर्तमान में वह मास्को स्थित भारतीय दूतावास में कार्यरत था। सतेंद्र हापुड़ का रहने वाला है। एटीएस द्वारा की गई पूछताछ में उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है। अच्छी-खासी पगार पाने वाला एक सरकारी कर्मी का ज़मीर इस कद्र गिर जाएगा और कुछ अतिरिक्त धन के लालच में वह देश के साथ गद्दारी करेगा, ऐसी कभी सोचा नहीं होगा।
सतेंद्र जैसे देश के दुश्मनों को कड़ी से कज़ी सज़ा मिलनी चाहिए। अगर उसे कज़ी सज़ा न मिली तो उन शहीदों का अपमान होगा जिन्होंने देश की खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी। आपको एक महिला अधिकारी माधुरी गुप्ता की कहानी का तो पता ही होगा। उक्त महिला अधिकारी भारतीय विदेश सेवा की ग्रुप की अफसर थी। अपनी लगभग अढ़ाई दशक लम्बी सेवा में उक्त अधिकारी ने पाकिस्तान, इराक, लाइबेरिया, मलेशिया और क्रोएशिया में नौकरी की। उसकी उर्दू पर अच्छी पकड़ थी। सूफियाना मिज़ाज वाली उक्त महिला अधिकारी साहित्यिक गतिविधियों में भी सक्रिय रहती थी। महिला अधिकारी  को उर्दू की अच्छी जानकारी होने के कारण इस्लामाबाद स्थित भारत के उच्चायोग में  पोस्टिंग के दौरान पाकिस्तानी मीडिया पर नजर रखने का काम उसे सौंपा गया था। पाकिस्तान में पोस्टिंग के बमुश्किल छह महीने में उक्त महिला अधिकारी जमशेद नामक व्यक्ति के चंगुल में फंस गई। भारत सरकार के अधिकारियों को जब आभास हुआ कि महिला अधिकारी  शत्रु के जासूसी षड्यंत्र में फंस गयी है तो पुष्टि के लिए उसके माध्यम से एक गलत सूचना जानबूझ कर भेजी गयी। परिणामस्वरूप खुफिया सूचनाओं को लीक करने के महिला अधिकारी के कारनामों का पक्का यकीन हो गया। उसे भूटान में आयोजित होने वाले सार्क समिट की तैयारियों के बहाने स्वदेश वापस बुलाया गया। 22 अप्रैल, 2010 को वह जैसे ही दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरी भारतीय खुफिया एजेंसी के अधिकारियों ने उसे अपनी हिरासत में ले लिया और पूछताछ के लिए अज्ञात स्थान पर ले गये। पूछताछ से पता लगा कि वह आईएसआई के दो जासूसों के साथ सांठगांठ करके उन्हें खुफिया सूचनाएं देती थी। इन आरोपों के आधार पर 20 जुलाई, 2010 को महिला अधिकारी  को गिरफ्तार कर लिया गया और उसे न्यायिक हिरासत में रखा गया। 21 महीने जेल में रहने के बाद 7 जनवरी, 2012 को उसे ज़मानत पर रिहा कर दिया गया। 18 मई, 2018 को दिल्ली के अतिरिक्त सेशंस जज सिद्धार्थ शर्मा ने जासूसी के लिए उक्त महिला अधिकारी को 3 वर्ष की सज़ा सुनाई। वैसे देश के गद्दारों को और अधिक तथा कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए। उसे उसके अपराध के लिए बहुत कम सज़ा मिली।
पाकिस्तान की तरफ से उसके राजधानी दिल्ली स्थित उच्चायोग से भी जासूसी की जाती थी। भारत सरकार ने 1950 के दशक में चाणक्यपुरी में विभिन्न देशों को भू-भाग आवंटित किये थे। पाकिस्तान को भी इस आशा के साथ बेहतरीन जगह पर अन्य देशों की अपेक्षा बड़ा प्लाट दिया गया था ताकि वह भारत से अपने संबंधों को मधुर बना सके परन्तु पाकिस्तान ने भारत को निराश ही किया। वह अपनी करतूतों से न बाज आया, न ही सुधरा। उसके मन में भारत के खिलाफ  नफरत भरी हुई है। भारत से नफरत करना पाकिस्तान के डीएनए में है। वह भारत का सिर्फ  बुरा ही चाहता है। यह बात अलग है कि उसके न चाहने के बाद भी भारत संसार की सैन्य और आर्थिक दृष्टि से एक बड़ी शक्ति बन गया हैं परन्तु पाकिस्तान के घटियापन के बावजूद भारत ने पाकिस्तान को भी किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया। यह सब करना भारत की कूटनीति का अंग ही नहीं है।
सतेंद्र और माधुरी गुप्ता जैसे शातिर लोगों के पकड़े जाने से यह बात भी साबित होती है कि हमारे यहां खास पदों पर तैनात लोगों को ट्रेनिंग इस तरह की नहीं मिलती, कि वे देश के अहम दस्तावेज़ दुश्मन देश को देने के बारे में सोचें ही नहीं। इस तरफ  भी ध्यान देने की ज़रूरत है। यह जानकर दुख होता है कि सरकारी सेवा या फिर सेना में ही कार्यरत कुछ देश के गद्दार महत्वपूर्ण सूचनाएं शत्रुओं को देते रहते हैं। पाकिस्तान की तरह चीन भी लगातार इस कोशिश में रहता है कि भारत की रक्षा तैयारियों की जानकारी उसे मिलती रहे। कुछ समय पहले ही चीन के लिए जासूसी के आरोप में  एक वरिष्ठ पत्रकार को गिरफ्तार किया गया था। तब यह सवाल कई स्तरों पर पूछा गया था कि क्या पत्रकार इस देश और यहां के कानून से ऊपर हैं? क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ऐसा सब कुछ करना उचित है? दरअसल उक्त व्यक्ति भारत सरकार का मान्यता प्राप्त पत्रकार था। वह उस आड़ में अहम सरकारी विभागों से सूचनाएं हासिल करके चीन को देता था। उसे बदले में मोटी रकम मिलती थी। सीधी बात यह है कि देश के दुश्मनों के लिए जासूसी करने वालों का जड़-मूल से खात्मा होना चाहिए।