समाजवादी पार्टी एवं कांग्रेस के लिए राहत

लोकसभा चुनाव सिर पर हैं। भारतीय जनता पार्टी उत्साहित है। देश की दो दर्जन से अधिक पार्टियों ने एकजुट होकर नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा को हराने के लिए कुछ मास पहले ‘इंडिया’ नामक गठबंधन बनाया था। उस समय यह उम्मीद जागी थी कि यह गठबंधन भाजपा तथा उसकी सहयोगी पार्टियों को टक्कर दे सकेगा, परन्तु उसके बाद जिस तरह ‘इंडिया’ गठबंधन बिखर कर तिनका-तिनका होने लगा तो यह प्रभाव और भी दृढ़ हो गया कि भाजपा को पराजित करना बेहद कठिन है। यहां तक कि यह गठबंधन बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले जनता दल (यू) के प्रमुख एवं बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार जैसे वरिष्ठ नेता भी इसे छोड़ गये। कांग्रेस की नाव को डावांडोल होते देख कर पार्टी के अनेक वरिष्ठ नेताओं ने भी इससे किनारा करने में ही अपनी भलाई समझी। राहुल गांधी की ओर से पहली सफल ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद शुरू की गई दूसरी ‘यात्रा’ अपना अधिक प्रभाव डालने में विफ ल दिखाई दे रही है। दूसरी तरफ भाजपा ने आगामी चुनाव जीतने के लिए अपने प्रचार को शिखर पर पहुंचा दिया है। उसके पूरी तरह गर्म हो रहे चुनाव अभियान ने पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं में जोश भरना शुरू कर दिया है।
राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के उत्तर प्रदेश में दाखिल होने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि ‘इंडिया’ गठबंधन की भागीदार समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव यात्रा में राहुल गांधी का साथ देंगे, परन्तु दोनों पार्टियों में समय पर सीटों का विभाजन न होने के कारण वह यात्रा में शामिल नहीं हुए थे। जिस तरह देश भर में इस गठबंधन की ज्यादातर भागीदार पार्टियों ने बिना अन्य पार्टियों  के साथ विचार-विमर्श के अपने तौर पर उम्मीदवारों की घोषणा की है, उसी तरह समाजवादी पार्टी ने भी अब तक उत्तर प्रदेश की 17 सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। पहले समाजवादी पार्टी कांग्रेस को अधिक से अधिक 14 सीटें देने के लिए तैयार थी, जोकि कांग्रेस को स्वीकार नहीं था। ऐसे बटवारे के सम्पन्न न हो पाने के कारण इन पार्टियों में गठबंधन के टूटने की सम्भावना भी बन गई थी। इसी समय के दौरान उत्तर प्रदेश की एक अन्य पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल ने भी इस गठबंधन का साथ छोड़ कर भाजपा के साथ हाथ मिलाने के लिए यत्न शुरू कर दिये थे।
उत्तर प्रदेश देश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला प्रदेश है। लोकसभा चुनावों के लिए इसे इस कारण बेहद महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस प्रदेश की  80 लोकसभा सीटें हैं। स्थिति यह है कि इस समय भाजपा 80 में 62 सीटों पर काबिज़ है। समाजवादी पार्टी के पास सिर्फ पांच सीटें हैं तथा कांग्रेस के हिस्से में सिर्फ एक सीट है। ऐसी परिस्थिति के दृष्टिगत अब सीटों के बटवारे को लेकर कांग्रेस एवं समाजवादी पार्टी के मध्य हुआ समझौता, इनके लिए राहत वाली बात माना जा सकता है। इस समझौते के तहत कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि समाजवादी पार्टी तथा उसकी अन्य भागीदार पार्टियां 63 सीटों पर चुनाव मैदान में उतरेंगी। सोनिया गांधी के पास यहां रायबरेली की सीट थी परन्तु उनके राज्यसभा में चले जाने के कारण यह सीट भी खाली हो गई है। अब इस संबंध में चर्चा शुरू हो गई है, कि क्या राहुल एवं प्रियंका गांधी अपनी पुरानी पारम्परिक सीटों अमेठी एवं रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे? इस संबंध में पार्टी की ओर से आगामी दिनों में कोई फैसला लिया जा सकता है, परन्तु फिलहाल उपरोक्त दोनों पार्टियों का गठबंधन ़गैर-भाजपा मतदाताओं को कुछ सीमा तक उत्साहित कर सकता है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द