हरियाणा के पूर्व विधायक राठी की हत्या

दूध का दूध, पानी का पानी हो!

हरियाणा के एक समय के शक्तिशाली राजनीतिक चौटाला परिवार और उनकी ओर से गठित क्षेत्रीय पार्टी इंडियन नैशनल लोक दल के प्रदेशाध्यक्ष नफे सिंह राठी की दिन-दिहाड़े गोलियां मार कर की गई हत्या ने जहां प्रदेश में व्याप्त राजनीतिक हिंसा की ओर इंगित किया है, वहीं हरियाणा में चार बार मुख्यमंत्री रह चुके ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी में पारिवारिक विभाजन के बाद, इनैलोद के ठहरे हुए पानी में एक बड़ा-सा कंकर भी ज़ोरदार तरीके से दे मारा है। ओम प्रकाश चौटाला किसानों के मसीहा कहे जाते, और एक समय अर्थात 1990 में देश के उप-प्रधानमंत्री पद तक जा पहुंचे चौधरी देवी लाल के वारिस सपूत हैं। पारिवारिक विभाजन के बाद उनके छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला के हाथ में इनैलोद की विरासत थी, और चौटाला परिवार ने ही नफे सिंह राठी को अपना अति-महत्त्वपूर्ण विश्वासपात्र जानकर उन्हें पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया था। नफे सिंह राठी की अहमियत एवं लोकप्रियता का पता इस तथ्य से भी चल जाता है, कि वह प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों से जुड़े पूर्व विधायकों के संगठन के अध्यक्ष भी थे, लेकिन उनकी राजनीति का एक त्रासद पक्ष यह भी रहा है कि वह हरियाणा और दिल्ली की सीमा पर स्थित एक अति विवादास्पद क्षेत्र उस बहादुर गढ़ से जुड़े राजनीतिज्ञ थे जहां कदम-कदम पर भूमि विवाद, राजनीतिक विवाद और हिंसा के साये कंडियाली थोहरों की भांति सिर उठाये रहते हैं।
नफे सिंह राठी इसी बहादुरगढ़ से नगर पार्षद के तौर पर अपनी राजनीति शुरू करके पहले चेयरमैन और फिर दो बार विधायक चुने गये। उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी लड़ा किन्तु उनकी राजनीतिक पृष्ठ-भूमि कहीं न कहीं से ऐसे आपराधिक तत्वों से भी जुड़ी रही थी। एक विरोधी दल के एक बड़े राजनीतिज्ञ के बेटे की आत्महत्या को लेकर भी उन पर आरोप लगे थे। अब भी उनकी हत्या के लिए जिन लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज की गई है, उनमें इस पुराने विवाद से जुड़े कई लोगों के नाम भी शुमार हैं। क्षेत्र के कई अन्य विवादों में भी उनका नाम जोड़ा जाता रहा है लेकिन इसके बावजूद उनकी लोकप्रियता और अपने क्षेत्र के लोगों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं आई थी।
अब बेशक प्रदेश सरकार और गृह मंत्री ने इस हत्या की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो से कराये जाने का भरोसा दिया है। हत्या के आरोप में कुछ नामज़द लोगों सहित कुल 12 के विरुद्ध केस भी दर्ज कर लिया गया है। कुछ निजी क्षेत्रों की ओर से इस हत्याकांड के पीछे गिरोहबाज़ी विशेषकर जेल में बंद गैंगस्टरों का हाथ होने का भी आरोप लगाया जा रहा है। तथापि, हम समझते हैं कि लोकसभा चुनावों की घोषणा से ऐन पूर्व, इस प्रकार की राजनीतिक हत्या के पीछे कई सबब हो सकते हैं, किन्तु हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और गृह मंत्री अनिल विज पर यह एक बहुत बड़ा दायित्व आ जाता है, कि वे इस मामले की जांच किसी भी एजेंसी से करायें, किन्तु पूरी प्रतिबद्धता के साथ करायें ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। यह कार्य आरोप-प्रत्यारोप के धरातल से दूर रह कर ही किया जा सकता है। इस गोलीबारी में एक पार्टी कार्यकर्ता की मृत्यु हो गई जबकि उनके दो अंग-रक्षक घायल भी हुए। दर्ज हुए केस में सत्तारूढ़ पक्ष के कई नेताओं के नाम शामिल हैं। इस नाते ऐसी किसी जांच का होना और भी ज़रूरी हो जाता है।