जम्मू-कश्मीर के लिए नया संदेश 

लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जम्मू-कश्मीर दौरे को इसलिए महत्वपूर्ण कहा जा सकता है, क्योंकि विगत समय में यहां बहुत बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। देश में जम्मू-कश्मीर ही एक ऐसा राज्य है जहां मुसलमानों की अधिक आबादी है। 1947 के विभाजन के समय चाहे यहां के राजा हरि सिंह ने इस राज्य को भारत के साथ जोड़ने का फैसला किया था, परन्तु उस समय घटित घटनाक्रम के कारण इस क्षेत्र का बहुत-सा इलाका नये बने पाकिस्तान की सेना ने हड़प लिया था, जो आज भी पाकिस्तान के पास है। पाकिस्तान विभाजन के समय से ही इस क्षेत्र पर अपना अधिकार जमाता आया है, क्योंकि यह एक मुस्लिम बहुसंख्यक क्षेत्र है, परन्तु भारत द्वारा अपने लिखित संविधान तथा इसके धर्मनिरपेक्ष होने की बात को अधिक महत्व दिया जाता रहा है। जहां तक मुसलमानों की आबादी होने का संबंध है, आज भी भारत विश्व भर में आबादी के लिहाज़ से दूसरा बड़ा देश माना जाता है, इसलिए जम्मू-कश्मीर भारतीय गणराज्य के लिए एक परीक्षा भी माना जाता रहा है। विभाजन के समय विशेष हालात में इस राज्य को धारा 370 के तहत विशेष दर्जा दिया गया, परन्तु इसके बावजूद न तो पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आया और न ही वहां के आतंकवादी संगठनों ने इस राज्य में शांति होने दी, अपितु समय-समय पर लगातार लोगों को धर्म के नाम पर भड़काते रहे। 
केन्द्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 को हटा कर इस क्षेत्र को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बदल दिया। उसके बाद आज तक जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख का अलग-अलग यह दर्जा बना हुआ है। चाहे इस धारा को हटाने के बाद यह मांग लगातार उठती रही है कि इसको राज्य का दर्जा देकर यहां चुनाव करवाए जाएं। आज देश की अन्य पार्टियों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर की बहुत सी राजनीतिक पार्टियां भी यह मांग करने लगी हैं। हम महसूस करते हैं कि देर या सवेर यह केन्द्र शासित प्रदेश राज्य की इकाई में बदल जाएगा, जिस प्रकार के हालात बन रहे हैं, उनको देखते हुए केन्द्र भी अनिश्चित समय तक इसको केन्द्र शासित प्रदेश बना कर नहीं रख सकेगा, लेकिन 2019 के बाद लगातार इस क्षेत्र के हालात औसतन सुधरते आ रहे हैं। खास तौर पर यहां आतंकी संगठनों का दबाव कम हुआ है। इस खूबसूरत इलाके में देश और विदेश से यात्रियों का आवागमन भी बहुत बढ़ा है, जो इसकी आर्थिकता का केन्द्र है। आम लोगों में भी अधिक विश्वास और उत्साह देखने को मिल रहा है।
देश के साथ-साथ यहां भी हो रहे लोकसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को अहम राजनीतिक घटना के रूप में देखा जा रहा है, उन्होंने वहां प्रदेश के विकास और नौजवानों को रोज़गार उपलब्ध करने की बात की है, ‘विकसित भारत-विकसित जम्मू-कश्मीर’ का नारा दिया है और यहां 6400 करोड़ की लागत वाली अलग-अलग योजनाओं को जल्द ही पूरा करने का वायदा है। नि:संदेह यह आशा की जाती है कि आने वाले समय में केन्द्र सरकार इस क्षेत्र की तरफ विशेष ध्यान देगी। इसको प्रत्येक तरह से विकास के रास्ते पर चलाकर लोगों के मनों में बड़ा विश्वास पैदा करने में कामयाब होगी। इसका पुन: राज्य का दर्जा बहाल होने के साथ इसके देश की मुख्य धारा में पूरी तरह शामिल होने की उम्मीद की जाएगी परन्तु इसके लिए अभी बड़े कदम उठाए जाने की आवश्यकता होगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द