चुनावों का बिगुल

विगत कई मास से देश भर में लोकसभा चुनावों की घोषित की जाने वाली तिथियों का इंतज़ार था। चुनाव आयोग की ओर से इस संबंध में की गई घोषणा से यह इंतज़ार खत्म हो गया है। वर्ष 2019 में चुनी गई वर्तमान लोकसभा की अवधि 16 जून को खत्म हो रही है। पिछले 10 वर्ष से नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एन.डी.ए.) जिसमें सबसे बड़ा दल भारतीय जनता पार्टी है, सत्तारूढ़ है। लोकसभा के अब आगामी कुछ समय में होने वाले चुनावों के लिए देश की बड़ी राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय पार्टियां पिछले कई मास से सक्रिय हो चुकी हैं। यह बात गर्व वाली है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। देश में लिखित संविधान के आधार पर पहले चुनाव 1951-52 में हुए थे। यह लोकसभा का 18वां चुनाव है। इनमें हमेशा चुनाव आयोग की अहम ज़िम्मेदारी रही है।
चाहे समय-समय पर आयोग की कार्यशैली पर उंगलियां उठती रही हैं, परन्तु इसमें लगातार सुधार भी होते रहे हैं, जिस कारण चुनावों का औचित्य बना रहा है। इस बार भी मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि उनका बड़ा यत्न यह होगा कि ये चुनाव हिंसा रहित हों तथा इनमें हर स्थिति में बाहुबल एवं पैसे के दुरुपयोग को रोका जाये। मुख्य चुनाव आयुक्त की यह बात भी समय के अनुकूल है कि आज प्रचार के साधन बड़ी सीमा तक बदल गये हैं। इनमें इलैक्ट्रानिक मीडिया भी शामिल हो गया है। जिसके माध्यम से शीघ्र ही कई तरह के भ्रम भी फैलाये जा सकते हैं। ऐसा होते देखा भी गया है। आयोग की ओर से सभी पार्टियों एवं लोगों को यह अपील भी की गई है कि वे सोशल मीडिया द्वारा अक्सर फैलाये जाते भ्रम-संशयों से सचेत रहें। मीडिया को सम्बोधित करते हुये मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा जिस ढंग से चुनाव प्रबन्धों के संबंध में विस्तारपूर्वक बताया गया, वह यह प्रभाव ज़रूर देता है कि इन चुनावों के लिए आयोग की ओर से विगत लम्बी अवधि से तैयारी की जाती रही है तथा हर पहलू की पूरी जांच-पड़ताल भी की गई है। चुनावों को सात चरणों में बांटने की बात का विवरण देते हुए उन्होंने कहा कि मुख्य चुनाव अधिकारियों, सुरक्षा बलों से लेकर हर क्षेत्र के हर पहलू पर दृष्टिपात करके ही तिथियों संबंधी फैसले लिये गये हैं। वर्ष 2019 में भी ये चुनाव सात चरणों में ही करवाये गये थे। मुख्य चुनाव आयुक्त ने अपने सम्बोधन में लोकतांत्रिक भावना को उजागर करने के लिए सभी को अपने मत के अधिकार का उपयोग करने की अपील की है। उन्होंने यहां तक भी कहा है कि उनका यह यत्न है कि देश  के किसी दूर-दराज के स्थान पर रहते लोग भी इस प्रक्रिया से वंचित न रहें। चाहे चुनावों के दौरान उम्मीदवार एवं नेता एक-दूसरे के प्रति सख्त शब्दावली का उपयोग करते हैं तथा आरोप-प्रत्यारोप भी लगाते हैं, परन्तु इनके लिए एक स्तर कायम किया जाना ज़रूरी है। इस बार चुनावों का समय पहले से भी अधिक निर्धारित किया गया है।
अक्सर यह देखा गया है कि चुनाव प्रचार के दौरान ज्यादातर नेता एवं उनके साथी बेहद भावुक हो कर बूते से बाहर हो जाते हैं और अक्सर मर्यादा का उल्लंघन भी करते हैं। इस संबंध में भी चुनाव आयोग ने सभी नेताओं को यह अपील की है कि वे प्रचार के दौरान अपने निर्धारित दायरे में ही रहें क्योंकि निजी आरोप-प्रत्यारोप माहौल को अधिक खराब एवं दूषित करने का कारण ही बनते हैं। प्रचार के दौरान होने वाले लड़ाई-झगड़े संबंधी आयोग ने कड़ी चेतावनी भी दी है तथा यह भी कहा है कि इस संबंध में अनुशासन बनाये रखने के लिए वह सुरक्षा बलों के प्रयोग से भी  झिझक नहीं दिखाएंगे। चाहे आयोग की ओर से चुनावों के दौरान किये जाते खर्च का पूरा विवरण ज़रूर मांगा जाता है तथा प्राप्त शिकायतों के आधार पर उनकी जांच-पड़ताल भी की जाती है परन्तु अभी तक चुनावों में उम्मीदवारों एवं पार्टियों की ओर से व्यापक स्तर पर खर्च किये जाते धन की नकारात्मक प्रक्रिया को नियन्त्रित नहीं किया जा सका, जो इस बार भी इस चुनाव में एक बड़ी चुनौती बनेगा, जिसे नियंत्रण में लाना चुनाव आयोग की ज़िम्मेदारी होनी चाहिए।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द