लोग व्हेल का शिकार क्यों करते हैं ?

‘दीदी, व्हेलिंग का अर्थ क्या होता है?’
‘व्हेल का शिकार करने को व्हेलिंग कहते हैं।’
‘व्हेल तो अब लुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी हैं, तो फिर लोग उनका शिकार क्यों करते हैं?’
‘हालांकि व्हेल को सुरक्षित रखने के अब पहले से अधिक प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन व्हेलिंग एक ऐसा उद्योग है जो बहुत लम्बे समय से चला आ रहा है।’
‘मसलन, कब से?’
‘बीस्काय की खाड़ी में बास्क 11वीं शताब्दी में व्हेलिंग कर रहे थे। उत्तरी अमरीका में यह काम 17वीं शताब्दी से चल रहा है।’
‘लेकिन इस व्हेलिंग की ज़रूरत आखिर क्यों पड़ी?’
‘इसका मुख्य कारण व्हेल का तेल हासिल करना है। यह तेल मुख्यत: विशाल बालीन व्हेल से हासिल किया जाता है और फिर ब्लू, फिन, हम्पबैक और सेई व्हेलों से भी। जो तेल स्पर्म व्हेल से हासिल किया जाता है उसे स्पर्म आयल कहते हैं।’
‘यह तेल किस काम आता है।’
‘19वीं शताब्दी के मध्य तक व्हेल व स्पर्म आयल लगभग हर उस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाता था, जिसमें तेल की ज़रूरत पड़ती है। वह रोशनी करने के लिए, लुब्रीकेंशन, स्टील टेम्परिंग, लेदर फिनिशिंग और अन्य अनेक प्रक्रियाओं के लिए प्रयोग किया जाता था। व्हेल आयल बहुत बड़ी मात्रा में साबुन बनाने के उद्योग में इस्तेमाल किया जाता रहा है और मारग्रेन के निर्माण में भी। स्पर्म आयल अब विभिन्न उद्देश्यों के तहत रसायनिक उद्योग में प्रयोग किया जाता है।’
‘सबसे ज्यादा तेल किस व्हेल से मिलता है?’
‘जो व्हेल अंटार्कटिक व आर्कटिक के पानियों में बसंत व गर्मियों में मिलती हैं, जब वह बहुत अधिक भोजन कर रही होती हैं, तो उनसे ज्यादा तेल प्राप्त होता है। ब्लू व्हेल से लगभग 19,080 लीटर तेल मिल जाता है और स्पर्म व्हेल से तकरीबन 7,950 लीटर तेल मिलता है।’
‘इस कारण तो बहुत सी व्हेल लुप्त हो गई होंगी?’
‘हां, ब्लू व्हेल, वाइट व्हेल और ग्रे व्हेल तो लगभग लुप्त हो गई हैं। 1946 में इंटरनेशनल व्हेलिंग कमीशन का गठन हुआ यह नियंत्रण करने के लिए कि कितनी व्हेलों को लिया जा सकता है। ब्लू, फिन व हम्पबैक दुर्लभ हो गई हैं।’ -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर