पक्षियों के प्रजनन पर टूट रहा ग्लोबल वार्मिंग का कहर

ग्लोबल वार्मिंग से सिर्फ इंसान ही नहीं परेशान बल्कि धरती के सभी जीव जन्तुओं पर इसका कहर टूट रहा है। सबसे बड़ा असर हाल के दिनों में पक्षियों पर देखने को मिला है। चाहे सारस हो या आर्कटिक हंस, पिछले एक दशक में न सिर्फ इनकी संख्या में भारी कमी आयी है बल्कि इनकी प्रजनन क्षमता भी बहुत कम हो गई है। अमरीका से प्रकाशित ‘जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज’ (पनास) में छपे एक अध्ययन के मुताबिक साल 1970 से 2019 के बीच 50 सालों में 104 पक्षियों की जिन प्रजातियों पर ग्लोबल वार्मिंग के असर का अध्ययन किया गया है, उसमें स्पष्ट हुआ है कि धरती के बढ़े तापमान के कारण पक्षियों की संख्या और उनकी प्रजनन दर पर लगातार कहर टूट रहा है। 
धरती में पिछले 50 सालों में जैसे-जैसे तापमान बढ़ा है, उसका असर पक्षियों की शारीरिक संरचना, उनके वजन, गुणों, आवास की ज़रूरतों और सबसे बड़ी बात उनके प्रजनन क्षमता और प्रजनन दर पर देखा गया है। आर्कटिक में पाये जाने वाले हंस की संख्या में पिछले 50 सालों में 93 प्रतिशत तक की कमी आयी है, लेकिन इससे भी खतरनाक ट्रेंड यह है कि पहले जहां आर्कटिक हंस के जोड़े साल में कम से कम दो चूजे पैदा कर लेते थे, अब कई-कई जोड़ों के बीच भी पूरे साल में एक भी चूजा नहीं पैदा हो रहा। यही नहीं उनके आकार और प्रवासन में भी बदलाव देखा गया है। चूंकि उनके आकार में 50 साल पहले के मुकाबले काफी कमी आ गई है, इसलिए उनकी प्रजनन संबंधी क्षमता और व्यवहार में भी बहुत बदलाव देखने को मिल रहा है। कुछ पक्षी ग्लोबल वार्मिंग के कारण समय से बहुत पहले ही अंडे दे देते हैं, जिसके कारण समय से पहले ही उनके तमाम अंडे बर्बाद हो जाते हैं। दूसरी तरफ बहुत बड़े पैमाने पर पक्षी समय गुजर जाने के बाद भी अंडे देना शुरु नहीं कर पाते और अंत में उनका यह चक्र गड़बड़ा जाता है। 
सबसे बड़ी बात यह है कि कई पक्षियों में जैसे भारत के सारस पक्षी में प्रजनन हेतु निकटता का आकर्षण काफी ज्यादा घट गया है। पक्षियों के जोड़े साथ रहते हुए भी मैथुन प्रक्रिया से नहीं गुजरते। वैज्ञानिकों ने पाया है कि उनमें मैथुन की इच्छा खत्म होती लग रही है। ग्लोबल वार्मिंग का एक और बड़ा प्रभाव पक्षियों में यह देखने को मिल रहा है कि कार्बनडाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रेस ऑक्साइड और सीएसफसी गैसों के बढ़ते उत्सर्जन के कारण उनमें बहुत अनदेखी किस्म की अपंगता बढ़ रही है। जिसके कारण उनकी उम्र भी घट रही है, स्वास्थ्य भी बिगड़ रहा है और प्रजनन दर भी प्रभावित हो रही है। 
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर समय रहते ग्लोबल वार्मिंग पर काबू नहीं पाया गया तो इंसानों से पहले कम से कम जीव जंतुओं की कई हजार प्रजातियां लुप्त हो जाएंगी। संयुक्त राज्य अमरीका की विज्ञान अकादमी से निकलने वाला जर्नल पनास सालों से विभिन्न सरकारों को इस समस्या की तरफ ध्यान खींच रहा है, लेकिन बड़ी-बड़ी बातों के बावजूद भी ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में कोई निर्णायक सफलता नहीं मिल रही। क्योंकि हर देश खुद से नहीं दूसरे से पहल करने का इंतजार कर रहा है। पक्षियों पर ग्लोबल वार्मिंग के असर हेतु पनास ने जो बड़ी रिसर्च की है, उससे पता चलता है कि पक्षियों की कोई एक दो नहीं बल्कि जिन 104 प्रजातियों के प्रजनन पर ग्लोबल वार्मिंग के असर का अध्ययन किया गया था, उसमें आधे से ज्यादा 56.7 प्रतिशत पक्षियों की प्रजनन दर में भारी गिरावट दर्ज की गई है। यहां तक कि जिन पक्षियों के लगातार कम होते जाने या लुप्त होने की तरफ बढ़ते होने को जाना नहीं जा पा रहा था, उन पर भी ग्लोबल वार्मिंग का यह असर देखा गया है। 
वैज्ञानिकों ने पक्षियाें के 15 से 49 प्रजनन सीजन की जांच की है और पाया है कि सीजन दर सीजन उन पर इसका दुष्प्रभाव बढ़ते देखा गया है। सबसे ज्यादा असर अमरीकी पक्षी मोटागु हैरियर और वाइट स्टॉर्क पर देखा गया है। वाइट स्टॉर्क दरअसल सफेद सारस है और यह भारतीय सारस प्रजाति का ही पक्षी है। इसकी पूंछ काली और लम्बी तथा कुछ घुमावदार होती है। साथ ही यह सफेद और हल्के पीले सारस से कुछ बड़ा होता है। इसे जंगल ड्रेगन भी कहते हैं। इसकी प्रजनन क्षमता पर सबसे ज्यादा ग्लोबल वार्मिंग का असर देखा गया है। भारत के दाढ़ी वाले गिद्धों पर भी यह प्रभाव देखने को मिला है। हाल के सालों में उनकी जिस तेज़ी से संख्या घटी है, अब समझ में आ रहा है कि उसके पीछे ग्लोबल वार्मिंग एक बड़ा कारण है। 
ऑस्ट्रेलिया में पायी जाने वाली लाल पंखों वाली फेयरी व्रेन, जो कि मूलत: गैर-प्रवासी पक्षी है, उसके बच्चों की संख्या में भी जबरदस्त कमी देखी गई है। जिन और पक्षियों पर ग्लोबल वार्मिंग के जरिये घटी जन्मदर देखी गई है उसमें यूरेशियन स्पैरो हॉक, यूरेशियन राइनेक्स, कॉलरड तथा फ्लाईकैचर भी शामिल है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यह सिलसिला कुछ सालों तक और जारी रहा तो तिब्बती पठार और लद्दाख के तमाम खास पक्षी अपनी प्रजनन क्षमता खो देंगे।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर