बिजली निगम का लड़खड़ाता ढांचा

सत्ता में आने से पहले तथा आते ही घरों को मुफ्त बिजली देने की गई घोषणा पर क्रियान्वयन करके पंजाब सरकार ने मुफ्तखोरी के आदी हुये लोगों से खूब वाह-वाही अर्जित की है। सरकार को अभी भी इस बात पर विश्वास है कि वह चुनावों के दौरान इस वाह-वाही को वोटों में परिवर्तित कर सकेगी, परन्तु इसके साथ उसने बिजली देने वाले बिजली निगम की हालत बेहद दयनीय बना दी है। इसका समूचा ढांचा इस तरह लड़खड़ाने लगा है कि इसके देर-सवेर ध्वस्त हो जाने की आशंका पैदा हो गई है। आने वाले गर्मी के मौसम के दृष्टिगत तथा धान की बुआई के समय संबंधी सोचते हुए चिन्ता पैदा होने लगी है। अभी गर्मी का मौसम शुरू ही हुआ है किन्तु बिजली की मांग 7500 मैगावाट तक पहुंच गई है।
दूसरी तरफ प्रदेश में बिजली उत्पादन की क्षमता 4800 मैगावाट तक ही सीमित होकर रह गई है। प्रदेश के थर्मल प्लांटों की स्थिति यह है कि इनके 10 यूनिटों में से 4 यूनिट बंद हैं। बिजली की मांग एवं उत्पादन में जो अन्तर है, उसे कैसे पूरा किया जाना है, यह एक बड़ा सवाल है। उदाहरणतया 840 मैगावाट की सामर्थ्य वाले रोपड़ प्लांट से 380 मैगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है, क्योंकि इसके चार यूनिटों में से दो बंद पड़े हैं। इसी तरह लहरा मुहब्बत प्लांट का एक यूनिट बंद है। नये खरीदे गये गोइंदवाल साहिब के प्लांट का भी एक यूनिट बंद है। इसके साथ ही बिजली बंद होने की शिकायतों की संख्या में भी और वृद्धि होनी शुरू हो गई है। उदाहरणतया 27 मार्च को बोर्ड के पास 22 हज़ार शिकायतें पहुंचीं और 28 मार्च को 21 हज़ार शिकायतें दर्ज की गईर्ं। आगामी दिनों में इन शिकायतों के लगातार और बढ़ने की सम्भावना है। दूसरी तरफ पॉवरकाम को इस बात की भी चिन्ता है कि उसने अतिरिक्त बिजली खरीदने के लिए पैसे कहां से लेने हैं? उसे तो अब समय पर वेतन देने की चिन्ता भी सताने लगी है। सरकारी तन्त्र की लापरवाही की यह स्थिति है कि आज पॉवरकाम ने अरबों रुपये तो सरकारी संस्थानों से ही लेने हैं। महत्त्वपूर्ण सरकारी विभाग तो यह समझने लगे हैं कि लोगों को घरों में मुफ्त बिजली देने के साथ-साथ उनके विभागों की बिजली भी शायद मुफ्त ही कर दी गई है। इसलिए बिजली निगम की ओर से उन्हें दिये जाते चेतावनी पत्रों का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। उदाहरणतया  बिजली निगम ने जल आपूर्ति एवं सैनीटेशन विभाग से अब तक 1085 करोड़ रुपये लेने हैं। इसी तरह स्थानीय निकाय विभाग पर 996 करोड़ रुपये, ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग पर 318 करोड़ रुपये तथा स्वास्थ्य विभाग पर 150 करोड़ रुपये का बकाया शेष है। अन्य विभागों से बकाया लेने की राशियों की सूची इतनी लम्बी है कि पढ़ते समय रक्त का दबाव (ब्लैड प्रैशर) बढ़ जाता है। 
ऐसे हालात में जब ऋणी हुये बिजली निगम की ओर से आगामी गर्मियों में बिजली देने से हाथ खड़े कर दिये गये तो समूचे पंजाब में हर तरह की गतिविधि ठप्प हो कर रह जाएगी। पैदा होने वाले ऐसे हालात में सरकार द्वारा ज़ोर-शोर से मुफ्त बिजली देने की घोषणाओं की पूरी तरह हवा निकल जाएगी। आज ऐसा सोच कर ही मन में एक भारी सहम पैदा हो जाता है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द