‘रंगला’ नहीं, ‘कंगला’ बनने की ओर बढ़ रहा पंजाब

जिस तेज़ी के साथ प्रदेश आर्थिक अवसान की ओर बढ़ता जा रहा है, उसके दृष्टिगत यह कहा जा सकता है कि शीघ्र ही यहां वित्तीय आपात् काल लगने की सम्भावना बन रही है। भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार कोई भी प्रदेश अपने कुल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के 33 प्रतिशत से अधिक ऋण नहीं ले सकता, परन्तु हालात ये बन गये हैं कि पंजाब सरकार अब तक घरेलू उत्पाद का 52 प्रतिशत ऋण ले चुकी है। यहां एक ध्यान देने वाली और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि लोगों की ओर से अक्सर यह कहा जाता है कि पूर्व की कुछ सरकारों ने अपने-अपने पूरे कार्यकाल में जितना ऋण लिया था, उतना तो भगवंत मान की ‘आप’ सरकार अपने सिर्फ दो वर्ष के कार्यकाल में ही ले चुकी है।
अब पंजाब सरकार की ओर से भारतीय रिज़र्व बैंक को इस वर्ष के लिए ऋण लेने की जो अग्रिम सूची भेजी गई है, उसे देखते हुए भी निकट भविष्य संबंधी बड़ी चिन्ता पैदा हो जाती है। इस सूची के अनुसार जहां पंजाब सरकार 2 अप्रैल को 3000 करोड़ रुपये का ऋण ले चुकी है, वहीं वह आगामी 8 अप्रैल को 1000 करोड़, 23 अप्रैल को 500 करोड़, 30 अप्रैल को 1500 करोड़, अगले मास 7 मई को 500 करोड़, फिर 14 मई को 1000 करोड़, फिर 28 मई को 2000 करोड़, उसके अगले मास 4 जून को 1000 करोड़, 11 जून को 500 करोड़, 18 जून को 500 करोड़ तथा फिर 25 जून को 500 करोड़ रुपये का ऋण लेने जा रही है। इस तरह सिर्फ इन तीन मास में ही ऋण लेने की यह राशि 12000 करोड़ रुपये बन जाएगी। इस संबंध में पंजाब भर के जागरूक लोगों के अतिरिक्त विपक्षी पार्टियों के नेता भी लगातार अपनी चिन्ता प्रकट कर रहे हैं।
विगत दिवस कांग्रेस के नेता स. नवजोत सिंह सिद्धू अपने कुछ साथियों सहित पंजाब के राज्यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित से मिले थे। उन्होंने श्री बनवारी लाल पुरोहित के समक्ष ऐसी चिन्ता का प्रकटावा भी किया था। प्रसिद्ध कहावत है कि ‘हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और’ होते हैं। ‘आप’ सरकार बनने से पहले इसके बड़े नेता, ऋण के मामले पर पूर्व सरकारों की आलोचना करते रहे थे तथा यह कहते रहे थे कि पूर्व सरकारों को प्रदेश के प्रति कोई अच्छा वित्तीय प्रबन्ध करना नहीं आता। वह ईमानदार सरकार देने के साथ-साथ बार-बार प्रदेश को आर्थिक रूप से मज़बूत बनाने के दावे भी करते रहे थे।
आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो, जो आज भ्रष्टाचार के विवादों में घिरे तिहाड़ जेल में बंद हैं, उस समय ज़ोर-शोर से यह घोषणा करते रहे थे कि आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर वह प्रदेश के लिए भिन्न-भिन्न स्रोतों पर पुख्ता प्रबन्ध करके भारी धन-राशि प्राप्त करेंगे। उन्होंने सिर्फ खनन से वार्षिक  20,000 करोड़ रुपये सरकारी खज़ाने में लाने, प्रदेश में प्रत्येक स्तर पर हर तरह का भ्रष्टाचार खत्म करके सवा तीन लाख करोड़ से भी अधिक राशि एकत्रित करने के साथ-साथ प्रदेश की आबकारी नीति से भी प्रदेश के लिए बहुत बड़ी राशि जुटा लेने के दावे किये थे, परन्तु इन तीन मुहाज़ों पर ही सरकार बुरी तरह फिसलती दिखाई देती है। खनन संबंधी कोई परिपक्व नीति तैयार न कर पाने के कारण तथा अपने नेताओं एवं अन्य साथियों को इस संबंध में खुली छूट देने के कारण इस पक्ष से यह अपने लक्ष्य से बुरी तरह भटक चुकी है। इससे लोगों में आम प्रभाव यह बन गया है कि आज प्रत्येक स्तर पर भ्रष्टाचार पहले से भी कई गुणा और बढ़ गया है, जिसके कारण खज़ाना भरा नहीं, अपितु पूरी तरह भायं-भायं कर रहा है। जहां तक इस आबकारी नीति का संबंध है, उससे भी यह सरकार खज़ाने में कोई उल्लेखनीय योगदान डालने में सफल नहीं हुई, अपितु इस नीति के कारण अब दिल्ली के बाद पंजाब की आबकारी नीति पर भी उंगलियां उठने लगी हैं, जिस कारण संबंधित मंत्री तथा अधिकारियों में भी बड़ा हड़कम्प मचा महसूस होने लगा है। ऐसे पैदा हो चुके हालात से ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार की ओर से रंगला पंजाब बनाने के दावे तो हवा-हवाई हो गये हैं, परन्तु इसकी बजाय प्रदेश के कंगला पंजाब बनने की सम्भावना बहुत ज्यादा बढ़ गई है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द