क्या कुछ बदला जम्मू-कश्मीर में 370 हटने के बाद ?

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के भारत में समायोजन को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने विवादित बयान क्या दे दिया, पूरे देश में तहलका मच गया है। दरअसल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक इंटरव्यू में साफ कहा था कि भारत पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (पीओके) पर अपना दावा कभी नहीं छोड़ेगा। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस पर बलपूर्वक कब्ज़ा करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि इसके लोग कश्मीर में विकास को देखने के बाद स्वयं भारत का हिस्सा बनना चाहेंगे। राजनाथ सिंह के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए नेशनल कॉन्फ्रैंस के प्रमुख और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान ने भी चूड़ियां नहीं पहनी हैं। वस्तुत: अब्दुल्ला परिवार पीओके का कश्मीर में सम्मिलन चाहता ही नहीं है क्योंकि उसके मिलने से कश्मीर के कश्मीरी वोटरों का संतुलन बिगड़ता है। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में धमकी भरे अंदाज में कहा, ‘अगर रक्षा मंत्री कह रहे हैं तो आगे बढ़ें। हम रोकने वाले कौन होते हैं लेकिन याद रखें, पाकिस्तान ने भी चूड़ियां नहीं पहनी हैं, उनके पास भी एटम बम है और दुर्भाग्य से वह परमाणु बम हमारे ऊपर गिरेगा’। 
इसी क्रम में अब्दुल्ला ने पुंछ में भारतीय वायुसेना के काफिले पर हुए आतंकी हमले पर कहा, ‘यह बहुत अफसोसजनक है। वे (भाजपा) कहते थे कि आतंकवाद के लिए 370 जिम्मेदार है तो आज 370 नहीं है, अब इस देश में आतंकवाद है या नहीं, इसका जवाब आप गृह मंत्री अमित शाह से पूछें? हमारे सिपाही रोज शहीद होते हैं लेकिन वे खामोश हैं’। हालांकि उनके इस बयान पर बहुत सी प्रतिक्रियाएं आयीं मगर सबसे कड़ी प्रतिक्रिया गिरिराज सिंह की आयी और निर्वाचन में व्यस्तता के कारण बात आयी गयी सी हो गयी। 
यहां प्रश्न यह उठता है कि आखिर फारुख अब्दुल्ला ने इस तरह का बयान दिया ही क्यों? क्या कश्मीर में 370 हटने की कोई प्रतिक्रिया न होने से वे भी महबूबा मुफ्ती की तरह कुंठित हैं या फिर अपने आपको समय-समय पर ‘लिबरल’ घोषित करने वाले फारुख के अंदर का कट्टरपंथी बोल रहा है। या अपनी पकड़ से बाहर होते कश्मीर की विकास यात्रा उनसे सहन नहीं हो रही है। सच बात तो यही है कि जम्मू-कश्मीर बदल रहा है। दो-तीन परिवारों की सामन्ती सोच और इन परिवारों के अपने हितों के लिए बनाये गये कानूनों के बीच जकड़ा कश्मीरी जनमानस जब उन पाबंदियों से बाहर निकल कर अंगडाई ले रहा है तो वह एक नयी दुनिया देख रहा है। वह एक नया भारत भी केवल देख ही नहीं रहा है बल्कि उसके कदमों से कदम मिलाकर चलने की कोशिश भी कर रहा है। एक नया विकसित कश्मीर उड़ने की तैयारी कर रहा है। अब्दुल्ला और म़ुफ्ती जैसे परिवारों के कट्टरवादी सोच के बनाये गये पिंजरे में रहने को तैयार ही नहीं हो रहा है। यह भी सच है कि वर्षों से बड़ी मशक्कत से तैयार की गयी कट्टरपंथी चारदीवारी की ऊंची-ऊंची दीवारें अब 370 हटने के बाद जब भरभरा कर गिर रही हैं तो फारुख जैसे एक वर्ग विशेष के नेता से यह सब सहन हो ही नहीं पा रहा है और वे वह सब भी कह जा रहे हैं जो उन्हें नहीं कहना चाहिए। आइये देखें कश्मीर कैसे बदल रहा है। 
एक देश में दो प्रधान, दो निशान और दो विधान चल रहे थे जिन्हे खत्म करने के लिए डा. श्यामाप्रसाद म़ुखर्जी अपना सर्वोच्च बलिदान दे चुके थे। आजादी के समय कतिपय कारणों से केवल अब्दुल्ला परिवार को सत्ता में बनाये रखने के उद्देश्य से लागू की गयी इस धारा का दंश भारत समेत पूरा जम्मू-कश्मीर 70 वर्ष झेलता रहा। केंद्र सरकार से राज्य को जाने वाले तथाकथित विकास फंड से कुछ परिवार अपनी जागीरें खड़ी करते रहे। शायद इसीलिए उन्हें 370 पसंद था जिसे बनाये रखने के लिए राज्य में पत्थरबाजों की ब्रिगेड हर समय तैयार रखी जाती थी। 370 हटने के बाद सबकुछ बंद हो गया, आतंकी ठोक दिए गए, पत्थरबाज जब पैसे मिलने बंद हो गए तो अपने-अपने रोज़गार पर लग गए। स्कूल कॉलेज खुलने लगे। 
वर्ष 2019 की 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अलगाववादी धारा 370 को नरेंद्र मोदी ने उखाड़ फेंका जबकि महबूबा म़ुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला चुनौती देते थे कि किसी के बाप में हिम्मत नहीं है कि 370 हटा दे और महबूबा तो और बड़ी धमकी देती थी कि 370 हटाने के बाद तिरंगा उठाने वाला नहीं मिलेगा।
370 हटने के बाद लद्दाख और जम्मू-कश्मीर अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की सीटें बड़ा दी गई। जम्मू को 6 और कश्मीर को 1 सीट और मिल गयीं। राज्य की लड़कियों को किसी दूसरे राज्य के लड़के शादी करने पर राज्य में संपत्ति पर अपना ह़क छोड़ना पड़ता था और उसके पति को राज्य का नागरिक नहीं माना जाता था जबकि किसी भी पाकिस्तानी को कश्मीरी लड़की से शादी करने पर जम्मू-कश्मीर की नागरिकता स्वत: मिल जाती थी लेकिन लड़की को पाकिस्तान से कुछ नहीं मिलता था। ये सब गोरखधंधे बंद हो गए। 370 हटने के बाद ही केंद्र के कानून राज्य पर लागू हो सके और राज्य में धर्म की आढ़ में लागू अनेक कानून अतीत हो गये।
 जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद  29,295 रिक्तियां भर कर युवाओं को नौकरी दी गई। साथ ही जम्मू-कश्मीर की अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों के लिए सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों में 3 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान भी किया गया है।
यातायात की हालत सुधर गई। जहां श्रीनगर से जम्मू जाने में 12 से 14 घंटे का समय लगता था वह अब 6 से 7 घंटे रह गया है। सरकार के मुताबिक अगस्त 2019 से पहले हर दिन औसतन 6.4 किमी सड़क ही बन पाती थी लेकिन अब हर दिन 20.6 किमी सड़क बन रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने 20 फरवरी, 2024 को कश्मीर को एम्स भेंट कर दिया। 370 हटने पर राज्य में निवेश शुरू हो गया और पहला निवेश यूएई ने 500 करोड़ का किया। पहली बार राज्य में ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट भी करवाई गई थी। इस समिट में 13,732 करोड़ रुपये के समझौतों पर हस्ताक्षर हुए।