लोकतंत्र को बचा सकती है विपक्ष की सकारात्मक भूमिका 

इस बार के लोकसभा चुनाव मेें विपक्ष को मज़बूत जनादेश मिला जिसके बल पर वह सकारात्मक कदम उठाकर लोकतंत्र को बचा सकती है। संसद में जनादेश की इस ताकत से सरकार के गलत कदम पर ब्रेक लगाकर उसे जनहित में कदम उठाने को मजबूर कर सकती है। यह तभी संभव है जब विपक्ष मिले जनादेश की ताकत को अनर्गल बहस में न उलझाकर संसद में जनहित के मुद्दे उठाये, उन पर बहस करे और सरकार पर उचित कदम उठाने का दबाव बनाये। 
लोकसभा चुनाव के बाद राष्टपति अभिभाषण से शुरू होने वाला सत्र मुद्दों से भटक कर टकराव की राजनीति में उलझ गया। संसद में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का भाजपा बनाम हिन्दू वाला बयान राजनीतिक तूल पकड़ता जा रहा है। इस बयान ने देश में एक नया राजनीतिक भूचाल ला दिया जो लोकतंत्र के हित में कदापि नहीं है। इस चुनाव में देश की जनता ने विपक्ष को जनादेश जिस काम के लिये दिया, विपक्ष ने उस दिशा में कदम न बढ़ाकर गलत रास्ता अपना लिया है। जो चर्चा संसद से बाहर की जा सकती थी, उसे संसद में प्रमुख मुद्दा बना कर सत्ता पक्ष को असल व महत्वपूर्ण मुद्दों से भटकाने का अवसर दे दिया है। विपक्ष को जनादेश मिला है पर सत्ता पक्ष अभी भी हावी है जिसने लोकसभा अध्यक्ष का चयन अपनी मज़र्ी के अनुसार कर विपक्ष को अपनी ताकत का अहसास करा दिया। इस बात को विपक्ष को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। लोकसभा उपाध्यक्ष का चयन भी सत्ता पक्ष की मज़र्ी के अनुसार ही होना है, भले यह पद अपने सहयोगी दल में से किसी को देनी पड़े, परन्तु विपक्ष को इस पद से भी हाथ धोना पड़ सकता है जबकि विपक्ष इस पद के लिये अपना उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारने का निर्णय भी ले चुका है। वर्तमान में उत्पन्न हुए राजनीतिक हालात में पक्ष-विपक्ष के बीच केवल आपसी अनर्गल टकराव की स्थिति उभरती नज़र आ रही है, जहां वास्तविक जनहित के मुद्दे गौण हो चले हैं। इस तरह की स्थिति संसद में चर्चा के दौरान विपक्ष द्वारा मुद्दों से हटकर अनर्गल मुद्दे उठाने से उपजी जिसके लिये विपक्ष पूरी तरह से ज़िम्मेवार है।
लोकसभा चुनाव में जनता ने किसे जनादेश दिया, किसे नहीं दिया, यह संसद की चर्चा का विषय नहीं है। संसद में जनहित के मुद्दे विपक्ष द्वारा उठाया जाना विपक्ष का सकरात्मक कदम माना जा सकता है, जिससे लोकतंत्र की मर्यादा बचाने एवं सत्ता पक्ष को गलत कदम उठाने से रोकने में विपक्ष को सफलता मिलती परन्तु विपक्ष के उठाये वास्तविक महंगाई, बेरोज़गारी, नीट परीक्षा में धांधली, अग्निवीर योजना के मुद्दों को भटकाने वाला हिन्दू बनाम भाजपा का मुद्दा निगल गया। इस तथ्य को विपक्ष को समझना होगा। विपक्ष संसद में गैर-ज़रूरी बहस से बच कर जनहित के मुद्दे उठाते हुये अपनी अहम भूमिका निभा सकता है। विपक्ष की सकारात्मक भूमिका ही लोकतंत्र को बचा सकती है । (अदिति)