प्रदेश के विकास को लगती ब्रेक
बयानबाज़ी करने, मंच पर भाषण देने तथा कही गई बातों को क्रियात्मक रूप देने में बहुत अंतर होता है। मुख्यमंत्री पंजाब भगवंत मान लगातार बातें करने तथा शुरलियां उड़ाने में पूरे माहिर हैं, परन्तु प्रदेश की ज़रूरतें उनके भाषण तथा प्राथमिकताएं से बिलकुल अलग हैं। यह प्रदेश अब कमियों से अटा पड़ा है। लगातार करोड़ों रुपये के ऋण लेकर विज्ञापनबाज़ी तो की जा सकती है, परन्तु ठोस उपलब्धियां प्राप्त नहीं की जा सकतीं। विगत अढ़ाई वर्षों में विकास के कितने कार्य हुए हैं, या कितनों को कितना पूर्ण किया जा चुका है, इसकी सूचि बनाने की ज़रूरत प्रतीत होती है। उपलब्धियों की कमी खटकती है। लोग ठगे-ठगे-से महसूस कर रहे हैं। समूचे प्रदेश में आपा-धापी पड़ी नज़र आती है। अनुशासन की कमी बुरी तरह खटकने लगी है। जब चाहे कोई सड़कें रोक कर बैठ जाता है, जिससे प्रतिदिन आम जन-जीवन प्रभावित होता है। लूट-पाट तथा फिरौतियों का बाज़ार गर्म है। प्रदेश से बड़े उद्योगपति तथा व्यापारी गायब होते जा रहे हैं। केन्द्र सरकार प्रदेश के साथ सख्त नाराज़ चल रही है, क्योंकि उसकी ओर से बनाई गईं योजनाओं को रद्द करके अपनी ही पीठ थपथपाने के लिए योजनाओं के नाम बदल कर उन्हें अपनी योजनाएं प्रचारित करके चलाया जा रहा है। प्रदेश को कई पिछली योजनाओं के लिए भेजी गई आर्थिक सहायता का हिसाब-किताब भी प्रदेश सरकार द्वारा केन्द्र को उपलब्ध नहीं किया गया। प्रदेश सरकार की ऐसी नीति तथा नीयत के कारण केन्द्र ने पिछली कई बड़ी-छोटी योजनाओं के लिए भेजी जाने वाली राशियां रोक ली हैं, जिस कारण प्रदेश की चाल टेढ़ी होती दिखाई दे रही है।
अब एक बार फिर इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण मामला उभर कर सामने आया है। विगत लम्बे समय से केन्द्र की ओर से पंजाब में बनाए जाने वाले राष्ट्रीय मार्गों के निर्माण संबंधी पेश हो रही कठिनाइयों का मुद्दा प्रदेश सरकार के पास उठाया जा रहा है। इन्हें आगे बढ़ाने के लिए जिस प्रकार के सहयोग की ज़रूरत थी, प्रदेश सरकार उसे देने में असमर्थ रही है। इस संबंध में केन्द्रीय सड़क यातायात एवं राष्ट्रीय मार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पहले भी चेतावनियां दी थीं। प्रदेश के संबंधित मंत्री तथा अधिकारियों को भी बुला कर उनसे लम्बी मुलाकातें की गई थीं और एक निश्चित समय में दरपेश कठिनाइयों को दूर करने के लिए भी कहा गया था, परन्तु प्रदेश के प्रशासन की चाल टिचकू-टिचकू ही बनी रही। अंत में केन्द्र को 104 किलोमीटर लम्बे तीन प्रोजैक्ट बंद करने की घोषणा करनी पड़ी। इनकी लागत 23000 करोड़ से ऊपर थी। इससे भी प्रदेश सरकार की नींद नहीं खुली। आगामी योजनाओं के लिए इस की बेफ्रिकी तथा लापरवाही वाला रवैया बना रहा। अंत में अब थक-हार कर केन्द्रीय मंत्री ने 8 और राष्ट्रीय मार्गों की योजनाओं जिनमें दिल्ली-अमृतसर-कटरा हाई-वे भी शामिल है तथा जिन पर केन्द्र द्वारा 14000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये जाने थे, संबंधी भी चेतावनी दे दी गई है।
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस संबंध में मुख्यमंत्री भगवंत मान को एक सख्त पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने यह कहा है कि यदि प्रदेश में संबंधित इंजीनियरों तथा अधिकारियों को धमकियां देने तथा उन्हें मारने-पीटने की कार्रवाइयां जारी रहीं तो और इसके साथ ही यदि आवश्यक ज़मीन उपलब्ध न करवाई गई तो इन योजनाओं को भी रद्द कर दिया जाएगा। केन्द्रीय मंत्री की इस धमकी ने पंजाब में विकास की आशा रखते सभी पक्षों को चिन्ता में डाल दिया है। जागरूक लोगों तथा विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने भी सरकार की ढीली कारगुज़ारी की कड़ी आलोचना की है, परन्तु हैरानी की बात यह है कि कुछ मंत्री पंजाब में सब कुछ अच्छा होने के बयान देते हुए केन्द्र सरकार को ही इसके लिए ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं। नि:संदेह पंजाब के विकास को तो पहले ही ब्रेक लग चुकी है, परन्तु नये बन रहे माहौल में यदि करोड़ों रुपये के राष्ट्रीय मार्गों का कार्य ठप्प हो जाता है तो प्रदेश में जहां आधारभूत ढांचे के विकास के पक्ष में बड़ा नुकसान होगा, वहीं भविष्य में इसके और भी पिछड़ जाने के हालात बन जाएंगे। आज पैदा हो रही इस नाज़ुक स्थिति संबंधी सभी पक्षों को गम्भीर होकर सोचने की आवश्यकता है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द