देश का विभाजन और बांग्लादेश

15 अगस्त देश के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण दिवस है। इस दिन भारत के सिर से उपनिवेश-वादी अंग्रेज़ों द्वारा 200 वर्ष से डाला गया जूला उतर गया था। एक नई उम्मीद एवं आशा के साथ दक्षिणी एशिया के इस विशाल एवं महान देश ने अंगड़ाई भरी थी, परन्तु इसके साथ ही अंग्रेज़ों की ओर से वर्षों से चलाई जा रही एक विशेष नीति के तहत भारत का दो भागों में विभाजन कर दिया गया था। इसमें से टूट कर एक नया देश पाकिस्तान अस्तित्व में आ गया था। पहले तो देश के विभाजन का दर्द और फिर पाकिस्तान की ओर से अपनाई गई लगातार दुश्मनी की नीति ने भारत को हमेशा चिन्ता में डाले रखा। अब तक लम्बी चली इस दुश्मनी की दास्तान ने जहां भारत का भारी नुक्सान किया है, वहीं पाकिस्तान के करोड़ों लोग आज भी इस विभाजन का संताप झेलते हुए बेहद ़गरीबी भरा जीवन जीने के लिए विवश हैं।
इसी दौरान वर्ष 1971 में गृह युद्ध के बाद पाकिस्तान का एक सुदूर बसा पूर्वी भाग इससे अलग हो गया तथा श़ेख मुजीब-उर-रहमान के नेतृत्व में नया देश बांग्लादेश बन गया। पिछले 53 वर्ष से बांग्लादेश जिसकी इस समय जनसंख्या 17 करोड़ के लगभग है, भी बेचारगी तथा कमियों के दौर में से ही गुज़रता रहा है। मिली आज़ादी के 4 वर्ष बाद बंग-बंधु श़ेख मुजीब-उर-रहमान तथा उनके परिवार के ज्यादातर सदस्यों की कुछ सैनिक अधिकारियों ने हत्या कर दी थी परन्तु उनकी दो बेटियों श़ेख हसीना एवं श़ेख रिहाना विदेश में होने के कारण बच गई थीं। सैनिक तानाशाहों एवं आधे-अधूरे लोकतंत्र में से यह देश गुज़रता रहा है। अक्सर इस पर इस्लामिक ध्वज-वाहक पार्टियों का प्रभाव भी बना रहा है। पिछले 15 वर्ष से शेख मुजीब-उर-रहमान की बनाई अवामी लीग पार्टी का यहां शासन रहा है। श़ेख हसीना इसकी प्रधानमंत्री बनी रही हैं। इस वर्ष जनवरी में ही वह पांचवीं बार प्रधानमंत्री बनी थीं। देश के हालात के दृष्टिगत श़ेख हसीना ने बड़ी सख्ती से प्रशासन चलाया। अपनी विपक्षी पार्टियों को बुरी तरह दबाये रखा। उन पर तानाशाह होने के आरोप लगते रहे। देश की आरक्षण नीति को आधार बना कर हसीना की सरकार के विरुद्ध जेहाद खड़ा किया गया। ज्यादातर विद्यार्थी भी इस आन्दोलन का हिस्सा बन गए। प्रशासन के साथ आन्दोलनकारियों के टकराव में साढ़े 400 से अधिक लोग मारे गये। अंतत: भारी दबाव बनने पर श़ेख हसीना को देश छोड़ कर भारत आना पड़ा। आन्दोलनकारियों ने नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को नए अंतरिम प्रशासन का प्रमुख घोषित कर दिया। जिस समय यह घटनाक्रम घटित हो रहा था, वह पेरिस में थे। शीघ्र ही विदेश से लौट कर उन्होंने अपना यह नया पद ग्रहण कर लिया, परन्तु देश के बिगड़े हालात लगातार खराब होते गये। दंगाकारियों का हुड़दंग मच गया, जिसकी ज़द में वहां के अल्प-संख्यक बुरी तरह फंस गये। वहां आज भी एक करोड़ 30 लाख से अधिक हिन्दू बसे हुये हैं, जिन्हें लगातार हिंसा, आगज़नी तथा रोष का निशाना बनाया जा रहा है। भारत के साथ-साथ विश्व भर में पैदा हुई ऐसी स्थिति पर चिन्ता पैदा होना स्वाभाविक है।
थोपे गये अंतरिम प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने चाहे सभी को भ्रातृभाव बनाये रखने की अपील की है परन्तु पैदा हुया यह रोष कम होते प्रतीत नहीं हो रहा। इसके लिए मोहम्मद यूनुस ने कुछ हिन्दू मंदिरों का दौरा भी किया है परन्तु नये प्रशासन को इस संबंधी अभी बहुत कुछ करने की ज़रूरत है। इस स्थिति को नियन्त्रण करने के लिए शीघ्र कड़े कदम उठाये जाने ज़रूरी हैं। इसके साथ ही आज वहां गृह युद्ध की सम्भावनाएं भी बनी दिखाई दे रही हैं, जिससे व्यापक स्तर पर शरणार्थियों की समस्याएं पैदा हो सकती हैं। यह स्थिति करीबी पड़ोसी होने के कारण भारत के लिए भारी चिन्ता पैदा कर सकती है। भारत को भी अन्य देशों की सहायता के साथ बांग्लादेश में शांति स्थापित करने के लिए बड़े ऐसे यत्न करने की ज़रूरत होगी, जो वहां शीघ्र शांति बहाली में सहायक हो सकें।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द