बलूच विद्रोहियों के निशाने पर चीनी नागरिक
पाकिस्तान में बलूच विद्रोहियों के हमले में 50 से ज्यादा सैनिकों और पंजाबी मूल के लोगों की मौत के बाद प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ बौखलाए हुए हैं। शहबाज़ शरीफ का कहना है कि आतंकी चाइना-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर को निशाना बनाकर पाकिस्तान के विकास को रोकना चाहते हैं। शहबाज़ ने कहा, ‘आतंकी चीन और पाकिस्तान के बीच दरार पैदा करना चाहते हैं। साथ ही उनका इरादा पाकिस्तान के अंदर अव्यवस्था पैदा करना है।’ शहबाज़ शरीफ ने यह बयान ऐसे समय पर दिया जब ठीक एक दिन पहले ही बलूचों ने बलूचिस्तान प्रांत में कई जगहों भीषण हमला किया था और ठीक उसी समय चीन की थल सेना का कमांडर लीकि आओमिंग भी इस्लामाबाद आआ हुआ था। चीनी कमांडर से बलूचिस्तान के मसले पर शहबाज़ की बातचीत भी हुई थी। तब शहबाज़ शरीफ ने कहा कि आतंकवाद को खत्म करने का समय आ गया है। हम सेना को वह हर संसाधन देंगे जिनकी उन्हें ज़रूरत है ताकि खतरे को खत्म किया जा सके। शहबाज़ ने बलूचिस्तान में हुई हिंसा की निंदा की। उन्होंने कहा कि इन गुटों के साथ तभी बातचीत होगी जब वे पाकिस्तान के संवधिन को स्वीकार करेंगे। शहबाज़ शरीफ ने संघीय कैबिनेट की बैठक में यह बयान दिया। दरअसल पाकिस्तान हमेशा चीन को अपना सबसे जिगरी दोस्त बताता रहा है। उसके इशारों पर कुछ भी करने के लिए हमेशा तैयार रहता है। चीन और पाकिस्तान की करीबी दुनिया से छिपी भी नहीं है। लेकिन इस दोस्ती की कीमत कुछ चीनी नागरिकों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है। पाकिस्तान में सक्रिय आतंकियों ने की गाड़ी पर आत्मघाती हमला कर दिया। चीनी इंजीनियर की गाड़ी पर हमला उस समय किया गया जब चीनी इंजीनियर इस्लामाबाद से दासू के लिए जा रहे थे।
चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) पर बढ़ते हमलों ने पाकिस्तानी सुरक्षा की पोल खोल दी है। चीन ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ को दो टूक कहा है कि सुरक्षा मुहैया कराने में पाकिस्तानी सेना और सुरक्षा एजेंसियां विफल हो रही हैं। इसलिए चीन सीपीईसी वाले बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में अपनी रेड आर्मी तैनात करेगा।
चीन के राजदूत जियांग जायडोंग ने शहबाज़ को राष्ट्रपति शी जिनपिंग का यहर संदेश दे दिया है। पिछले दिनों बलोच हमलों में ग्वादर पोर्ट पर तीन चीनी अफसर घायल हो गए जबकि खैबर में कबाइली हमले में पांच चीनी इंजीनियर मारे गए। चीन इस बात से नाराज़ है कि पाकिस्तान ने पहले भी चीनी नागरिकों को सुरक्षा देने का भरोसा दिया था, लेकिन हमले नहीं रुके। दरअसलए सीपीईसी में चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान ने 15 हज़ार जवानों की स्पैशल सिक्योरिटी डिवीज़न बनाई। लेकिन, दो साल में 30 चीनी नागरिक मारे जा चुके हैं। और तो और विस्फोटकों से भरे वाहन से टक्कर के बाद चीनी इंजीनियरों की गाड़ी खाई में गिर गई। आतंकियों ने चीनी नागरिकों पर हमला खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में किया। आतंकियों ने बेशम शहर के पास आत्मघाती हमले को अंजाम दिया। विस्फोटक से भरी एक कार चीनी इंजीनियर की गाड़ी से टकराई। हमले में पांच चीनी इंजीनियर और एक पाकिस्तानी की मौत हो गई। चीनी इंजीनियर डी.एच. प्रोजेक्ट के सिलसिले में पाकिस्तान में थे। चीन के करीब साढ़े सात हज़ार नागरिक पाकिस्तान में अलग-अलग प्रोजेक्टों पर काम कर रहे हैं। इनमें सीपीईसी प्रोजेक्ट भी शामिल हैं। इन प्रोजेक्टों पर काम करने वाले चीनी नागरिकों को पाकिस्तान में अक्सर निशाना बनाया जाता है। चीनी नागरिकों पर आतंकी हमले किये जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई चीनी इंजीनियर और नागरिकों ने अपनी जान गंवाई है। जब चीन ने इन हमलों को लेकर पाकिस्तान को आंख दिखाई तो पाकिस्तान सरकार ने चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट बनाई इसमें में 4 हज़ार से ज्यादा सिक्युरिटी ऑफिसर शामिल हैं, ज्यादातर पाकिस्तान आर्मी से संबंध रखते हैं।
लगातार चीनी नागरिकों के आतंकी हमले में मारे जाने से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ इस कदर घबरा गए है कि हमले के कुछ ही घंटे बाद अपनी पूरी कैबिनेट के साथ इस्लामाबाद स्थित चीन के दूतावास पहुंच जाते है और सफाई देने लगते है क्योकि शहबाज़ शरीफ को डर लगा रहता है कि चीन डांट फटकार लगाए, उससे पहले किसी तरह उसे मना लिया जाये।
सुरक्षा जानकारों के मुताबिक बलूचिस्तान और खैबर में चीन सीपीईसी प्रोजेक्ट को लेकर स्थानीय लोगों में गुस्सा है। बलूच लिबरेशन आर्मी और खैबर में कबाइली हमलों के खिलाफ चीन हथियारबंद सैनिकों की तैनाती के साथ-साथ जासूसी नेटवर्क भी तैयार करेगा। इसमें स्थानीय लोगों से मुखबरी कराई जाएगी। चीन सरकार ने अलग से फंड देने का ऐलान किया है। चीन का मानना है कि खैबर में पाकिस्तान की सेना ने रोड ओपनिंग टीम नहीं भेजी थी, इसके कारण कबाइली घात लगाकर हमला करने में कामयाब रहे।जानकारों का कहना है कि तंगहाल पाकिस्तान को छह लाख करोड़ के सीपैक प्रोजेक्ट के हाथ से जाने का खतरा है। इसलिए वह चीन द्वारा सेना को तैनात किए जाने से इन्कार करने की स्थिति में नहीं है। विदेश मामलों के जानकार कमर आगा के अनुसार बलूच लोग चीन की दखल से त्रस्त हैं। इन्हें लगता है इनके हर संसाधन पर चीन का कब्ज़ा होता जा रहा है और इसके खिलाफ ही लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं। इस लड़ाई में सेक्यूलर लिबरल ग्रुप भी हैं, कुछ ग्रुप ऐसे हैं जिन्होंने हथियार उठा रखे हैं। कुछ धार्मिक समूह हैं जो इस लड़ाई को लड़ रहे हैं। इनकी लड़ाई चीन और पाकिस्तान के साथ चल रही है।
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