क्या हैं बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नज़दीकियों के मायने ?
हाल की घटनाओं पर नज़र डालें तो लगता है कि दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक समीकरण तेज़ी से बदलने वाले हैं। भारत के लिये आखिर इस सबका क्या मतलब है? क्या अफगानिस्तान-पाकिस्तान तनाव हमारे हित में है? इसके साथ ही बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नज़दीकियों के क्या मायने हैं? अफगानिस्तान, पाकिस्तान व बांग्लादेश में जो कुछ भी घटित हो रहा है, उसको देखकर एकबारगी लग सकता है कि यह एक सनक भरी सियासती कवायदों के सिवा कुछ नहीं। जिस तालिबान शासन के आने के लिये पाकिस्तान ने अपने आका अमरीका को धोखा दिया, हर तरह की कोशिशें की, धतकर्म किए आज वह उसी को नेस्तनाबूद करने की कसम खा रहा है। खुद कंगाली के कगार पर है और बांग्लादेश को भाई बताकर उसकी सहायता के लिये दौड़ रहा है। जिस पाकिस्तान के लिये अफगानी लड़ाकों ने अमरीकी कैद में यातनाएं सहीं, आज वे उसी इस्लामी देश की जान के दुश्मन बन बैठे हैं। जिस बांग्लादेश का जन्म भारत की वजह से हुआ जो शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, बिजली, खाद्यान्न तक के लिये भारत का मुखापेक्षी है, वह यह जानते हुए कि भारत जैसा सहृदय पड़ोसी असंभव है, साथ ही यह भी कि भारत से लड़ने की उसकी कहीं से कोई औकात नहीं, फिर भी रार ठान रहा है। बांग्लादेश में कट्टरवाद का उठता सर अगर नीचे नहीं होता और इस्लामिक गणराज्य बनाने की कोशिश जारी रहती है तो इसी महीने ट्रम्प के शासन में आते ही बांग्लादेश को क्या झेलना पड़ सकता है, इस सच्चाई को जानते बूझते भी वह यदि चीन से गलबहियां करने की फिराक में दिखता है तो इसे कौन सी कूटनीति कहेंगे?
डूरंड लाइन को न मान्यता देना उसके नजरिए से सही है, परन्तु अफगानिस्तान के लिये पाकिस्तान से इस तरह खुला पंगा लेना उसकी सेहत के लिये बहुत मुफीद नहीं तो पाकिस्तान भले ही भारत से बदला लेने की ताक में बांग्लादेश से हाथ मिला रहा हो परन्तु उसके लिये कहीं से फायदेमंद नहीं और रहा बांग्लादेश तो उसकी भारत से सीधे टक्कर लेने की हिमाकत नहीं करेगा। बेशक एकबारगी यह सब अदूरदर्शिता पूर्ण हरकतें कूटनीतिक नासमझी लगें परन्तु इसके भू-राजनीतिक निहितार्थ गहरे हैं और ये सभी भारत पर असर डालने वाले हैं। बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने अपनी सेना से युद्ध की स्थिति के लिये तैयार रहने को कहा है। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन भारत यूनुस के बयान पर कह सकता है कि मैं नहीं तो कौन...? बांग्लादेश आखिर किससे युद्ध लड़ने जा रहा है, नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका या भूटान से? यूनुस यदि पाकिस्तान के दोस्त तुर्किये की कम्पनी ओटोकार से 26 टैंक खरीदने की बात कर रहे हैं तो किसके लिये? तीन तरफ से भारत से घिरे बांग्लादेश जिसके दक्षिण में बंगाल की खाड़ी है, टैंकों का इस्तेमाल ज़मीनी लड़ाई में होना है तो वह ज़मीन किसकी होगी? पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ दो बार बांग्लादेश के कार्यकारी प्रमुख मोहम्मद यूनुस से मुलाकात कर चुके हैं, अब अगले महीने के पहले हफ्ते में 12 साल बाद पहली बार पाकिस्तानी विदेश मंत्री बांग्लादेश पहुंच दोनों देशों के रिश्ते सुधारने पर बात करेंगे।
साल 2012 में हिना रब्बानी खार के बाद अब वहां पहुंचने वाले इशहाक डार के बारे में अंदेशा है कि वह बांग्लादेशियों का दिल जीतने के लिये 1971 की घटना के लिये खुली माफी मांगेंगे और भारत विरोधी अपने छिपे एजेंड़े को धार देंगे। डेढ़ दशक पूर्व पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई बांग्लादेश से पूर्वोत्तर में आतंकी कारनामों को अंजाम दे रही थी, जिसे शेख हसीना ने बंद करवाया था अब उनके जाने के बाद वही मंसूबे फिर से जाग चुके हैं। 1971 के बाद से बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच समुद्री मार्ग सम्पर्क सीमित था इधर दोनों देशों के बीच समुद्री संपर्क और सैन्य संबंध मजबूत हो रहे हैं। अगले महीने से पाकिस्तान बांग्लादेशी सेना को प्रशिक्षण देना आरंभ करेगा।
उधर बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ मिलकर कराची बंदरगाह पर ‘अमन 2025’ संयुक्त नौसैनिक युद्धाभ्यास करने वाला है। बांग्लादेश में पाकिस्तानी नेता और उसकी सेना की इस सक्रियता के दूरंदेशी मंसूबे हैं। पाकिस्तान की मंशा है कि प्रशिक्षण के बहाने पाकिस्तानी और बांग्लादेशी सेना नज़दीक आए, पाकिस्तान अपनी विचारधारा को उनके भीतर फैला सके, बांग्लादेशी सेना जो राष्ट्रभक्ति के नाम पर अभी पाकिस्तान विरोधी थे, वह कट्टर भारत विरोध के रंग में रंग जाये। सत्ता परिवर्तन के बाद जमात और अवामी लीग विरोधी ताकतें बांग्लादेश में मज़बूत हुई हैं, जिसके चलते बांग्लादेश का पाकिस्तान के करीब जाना स्वाभाविक है क्योंकि इनसे जुड़ बड़ा वर्ग पाकिस्तानपरस्त है और वह उससे अलग होना नहीं चाहता। इशहाक डार का एजेंडा है कि बांग्लादेश की सेना, सता और जनता तक में घोर भारत विरोध की भावना जगे, शेख हसीना के जाने के बाद इस काम को अंजाम देने का बेहतर मौका है सो वे अपने इसी एजेंडे को अंजाम देंगे।
बांग्लादेशी अंतरिम सरकार ने पाकिस्तानी पर्यटकों के लिए वीजा के नियम आसान करने के साथ तय किया कि वहां से आने वाले सामानों की जांच न हो। साफ है कि बांग्लादेश में बरास्ता पाकिस्तान हथियार और विस्फोटक पहुंच सकते हैं। यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार ने तमाम इस्लामिक विद्रोहियों आतंकियों रिहा किया है, इनका संपर्क पहले से ही पाकिस्तानी आतंकियों और म्यांमार विद्रोहियों से था। बहुत से विश्लेषक यह मानने लगेंगे कि इसी आधार पर पाकिस्तान बांग्लादेश के बहाने अपना बदला ले रहा है। यह बात किंचित सत्य हो भी पर सही तो यह है कि पाकिस्तान के मंसूबे इससे बहुत दूरगामी और गहरे हैं। वह अपनी इन कोशिशों से भारत के सामरिक हितों और क्षेत्रीय स्थिरता को दूर तक प्रभावित करने के प्रयास में है।
भारत अपने रणनीतिक हितों के मद्देनज़र सारे घटनाक्रम पर निगाह रखते हुए बांग्लादेश के साथ लगी सीमा पर सुरक्षा बढ़ा चुका है। कूटनीतिक कोशिशें भी तेज हैं। सरकार इस दिशा में प्रभावी कदम उठा चुकी है। फिलहाल पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया अंतरिम सरकार के कामकाज से नाखुश हैं, अगर अमरीकी अंदेशे के बीच किए जा रहे दावे के मुताबिक मोहम्मद यूनुस सत्ता से अलग होते हैं तो बहुत से समीकरण बदल जायेंगे।
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