हरियाणा सिख गुरुद्वारा कमेटी के पहले आम चुनाव 19 जनवरी को होंगे
हरियाणा में पहली बार हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के आम चुनाव होने जा रहे हैं। हरियाणा के गुरुद्वारों की सेवा संभाल के लिए बनाई गई हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य चुनने के लिए 19 जनवरी को मतदान होगा और उसी दिन शाम को चुनाव के तुरंत बाद वोटों की गिनती होगी। कमेटी में 40 निर्वाचित सदस्य होंगे और 9 सदस्य नामजद किए जाएंगे। इन 9 सदस्यों में से 2 सामान्य वर्ग से, 2 महिलाएं, 3 अनुसूचित जाति से व 2 सदस्य सिंह सभाओं के प्रतिनिधि होंगे। गुरुद्वारा चुनावों के लिए पूरे प्रदेश को 40 वार्डों में बांटा गया है। इस समय हरियाणा में सरकार द्वारा मनोनीत गुरुद्वारा कमेटी काम कर रही है और भूपेंद्र सिंह असंध हरियाणा कमेटी के अध्यक्ष हैं और जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल हरियाणा कमेटी की धर्म प्रचार समिति के चेयरमैन हैं। पहले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, अमृतसर के चुनाव में हरियाणा से 11 सदस्य चुनकर जाते थे। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, अमृतसर के 2011 में चुनाव हुए थे। उसके बाद चुनाव नहीं हुआ और अब तक एसजीपीसी के वही सदस्य ही चले आ रहे हैं।
हुड्डा ने बनाई थी हरियाणा कमेटी
2014 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने हरियाणा में अलग से हरियाणा गुरुद्वारा कमेटी बारे कानून बनाकर हरियाणा कमेटी के सदस्यों को मनोनीत किया था। 2014 में बनी हरियाणा कमेटी के अध्यक्ष जगदीश सिंह झींडा बने थे और दीदार सिंह नलवी को वरिष्ठ उपाध्यक्ष व जोगा सिंह को महासचिव नियुक्त किया गया था। उस समय झींडा के नेतृत्व में हरियाणा कमेटी ने प्रदेश के 5 गुरुद्वारों का प्रबंधन संभाल लिया था और इसी बीच मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने और कोर्ट द्वारा मामले में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए जाने के बाद बाकी गुरुद्वारों का प्रबंधन शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, अमृतसर के पास रहा व 5 गुरुद्वारों की सेवा संभाल की ज़िम्मेदारी हरियाणा कमेटी के पास रही। 2014 से लेकर 2022 तक 8 साल जगदीश सिंह झींडा हरियाणा कमेटी के प्रधान रहे।
दादूवाल ने की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी
जगदीश सिंह झींडा द्वारा प्रधान पद से इस्तीफा देने के बाद जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल हरियाणा कमेटी के प्रधान बने और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले को लेकर गहरी दिलचस्पी दिखाई और सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार द्वारा बनाए गए हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी संबंधी कानून को जायज़ ठहराया और मामले में लगी रोक को हटा दिया। उसके बाद 2022 में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार ने हरियाणा कमेटी का पुनर्गठन करते हुए कुछ पुराने सदस्यों को व कुछ नए सदस्यों को शामिल करके नई कमेटी मनोनीत की। इस नई कमेटी का प्रधान यमुनानगर निवासी महंत कर्मजीत सिंह को बनाया गया और गुरिंदर सिंह धमीजा को महासचिव बनाया गया। महंत कर्मजीत सिंह के विवादों में आ जाने और महंत कर्मजीत सिंह व गुरिंदर सिंह धमीजा के बीच मतभेद पैदा होने के बाद महंत कर्मजीत सिंह ने प्रधान पद और धमीजा ने महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया।
महंत के इस्तीफे के बाद असंध बने प्रधान
उस समय भूपेंद्र सिंह असंध हरियाणा कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष थे और उन्हें महंत कर्मजीत सिंह की जगह अध्यक्ष पद की बागडोर साैंप दी गई। हरियाणा सरकार ने डेढ़ साल में कमेटी के चुनाव करवाने का भरोसा दिया था और पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा कमेटी के चुनाव करवाने की घोषणा भी कर दी गई थी। लेकिन चुनावों के लिए जिन तारीखों का ऐलान किया गया था, वे तारीखें बच्चों की वार्षिक स्कूली परीक्षाओं के साथ टकरा रही थी, जिसके चलते गुरुद्वारा कमेटी के चुनाव स्थगित कर दिए गए और 2024 में एक बार फिर हरियाणा सरकार ने कमेटी सदस्यों को नए सिरे से मनोनीत कर दिया। इन सदस्यों में कुछ पुराने सदस्य रखे गए और कुछ नए सदस्य शामिल कर दिए गए। अभी तक भूपेंद्र सिंह असंध ही हरियाणा कमेटी के प्रधान की ज़िम्मेदारी संभाल रहे हैं।
आम सिखों ने वोट बनवाने में नहीं ली दिलचस्पी
इस बार हरियाणा कमेटी के चुनाव में दो बातें मुख्य तौर पर देखने को मिल रही हैं। पहली बात यह कि हरियाणा के आम सिख मतदाताओं ने हरियाणा गुरुद्वारा कमेटी के लिए अपने वोट बनवाने के लिए कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई, जिसके चलते हरियाणा कमेटी के लिए बहुत कम वोट बन पाए हैं। दूसरा हरियाणा का कोई भी राजनीतिक दल इन गुरुद्वारा कमेटी के चुनाव में सीधे तौर पर कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है, जिसके चलते इस बार हरियाणा कमेटी के लिए अनेक आज़ाद उम्मीदवारों के चुनाव जीतकर आने की संभावना भी बन रही है। वैसे हरियाणा कमेटी चुनाव के लिए भूपेंद्र सिंह असंध व जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल की ओर से 26 उम्मीदवारों की एक सूची जारी की गई थी, जिसमें से ज्यादातर उम्मीदवार अलग-अलग चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा असंध व दादूवाल द्वारा बनाए गए शिरोमणि अकाली दल आज़ाद ने कई निर्दलीय उम्मीदवारों को भी समर्थन देने का ऐलान किया है। बताया जाता है कि जगदीश सिंह झींडा ग्रुप की ओर से भी करीब 21 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया है और इसके अलावा झींडा गुट भी कुछ अन्य उम्मीदवारों का भी समर्थन कर रहा है। बताया जाता है कि दीदार सिंह नलवी ग्रुप की ओर से करीब 16 उम्मीदवार व हरियाणा में शिरोमणि अकाली दल की पृष्ठभूमि वाले नेताओं ने करीब डेढ़ दर्जन उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के साथ-साथ किसान आन्दोलन से जुड़े रहे कुछ अन्य नेताओं को भी समर्थन देने का ऐलान किया है।
उम्मीदवारों ने ही बनवाए वोट
हरियाणा गुरुद्वारा कमेटी के लिए अब तक जो वोट बने हैं, उनमें से अधिकांश वोट भी उन उम्मीदवारों ने घर-घर जाकर अपने समर्थकों के बनवाए हैं, जो उम्मीदवार हरियाणा गुरुद्वारा कमेटी चुनाव लड़ने में दिलचस्पी ले रहे थे। बताया जाता है कि इस दौरान कुछ उम्मीदवारों ने अपने समर्थक कुछ ऐसे गैर-सिखों के भी वोट बनवा लिए हैं, जिनके नाम के साथ सिंह या कौर नहीं लगता और जो पूर्ण गुरसिख भी नहीं हैं। हरियाणा कमेटी के लिए इस बार कुछ ऐसे उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं, जो पहले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के लिए हरियाणा क्षेत्र से चुनाव लड़ते रहे हैं या पहले एसजीपीसी के सदस्य भी रह चुके हैं।
निर्दलीय उम्मीदवार भी सक्रिय
इस बार कई उम्मीदवार ऐसे हैं जिनका किसी ग्रुप या धड़े से कोई संबंध नहीं और वे पूरी तरह निर्दलीय रूप से चुनाव मैदान में हैं। उनका मानना है कि प्रदेश के लोग हरियाणा गुरुद्वारा कमेटी के लिए किसी ग्रुप या धड़े से संबंधित व्यक्ति को नहीं बल्कि गैर विवादित व अच्छी छवि के उम्मीदवारों को विजयी बनाकर हरियाणा के गुरुद्वारों की सेवा-संभाल के लिए चुनकर भेजेंगे ताकि गुरुद्वारों को राजनीति का अखाड़ा बनने से रोका जा सके और जिन लोगों की नजर गुरुद्वारों की गोलक पर है, उन्हें कमेटी में आने से रोका जा सके। वैसे हरियाणा में पहली बार होने जा रहे हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के चुनावों पर पूरे हरियाणा ही नहीं बल्कि पूरे देश के सिख समाज की नज़रें लगी हुई हैं और यह देखने वाली बात है कि पहली बार होने जा रहे हरियाणा कमेटी के चुनाव में कोई धड़ा या ग्रुप विशेष बाज़ी मारता है या संतुलन निर्दलीय उम्मीदवारों के हाथ में रहेगा। पहली बार होने वाले इस चुनाव के बाद कमेटी का प्रधान कौन बनेगा और पूरी कमेटी का स्वरूप कैसा होगा, इस पर भी सभी की नज़रें लगी हुई हैं।
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