नई चुनी गई हरियाणा सिख गुरुद्वारा कमेटी को दरपेश हैं अनेक चुनौतियां

हरियाणा के सिखों की करीब 25 साल पहले उठी हरियाणा के गुरुद्वारों की अलग मैनेजमैंट कमेटी बनाने की मांग पूरी हो गई है। हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमैंट कमेटी के हुए पहले चुनाव के परिणाम आ गये हैं, जिसमें मुख्य पार्टी के कई प्रमुख नेता जीते और कई हार गये हैं। कमेटी के कुल 40 सदस्य चुने गये हैं, जिनमें प्रमुख तौर पर अकाली दल पंथक के जगदीश सिंह झींडा और जोगा सिंह यमुनानगर, सिख समाज संस्था के दीदार सिंह नलवी और हरियाणा सिख पंथक दल के बलदेव सिंह कायमपुरी और मोहनजीत सिंह शामिल हैं, जबकि शिरोमणि अकाली दल आज़ाद के बलजीत सिंह दादूवाल चुनाव हार गये हैं।
इन चुनावों के दौरान महत्वपूर्ण बात यह रही कि चुनाव लड़ रही चारों पार्टियों द्वारा पूरे 40 क्षेत्रों में उम्मीदवार नहीं उतारे गये थे, जिसके कारण आये परिणामों में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला और आज़ाद चुनाव लड़ने वाले 22 उम्मीदवारों को इन चुनावों में जीत प्राप्त हो गई है, जिसके कारण आज़ाद जीते सदस्यों की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। झींडा ग्रुप सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आया है, जिसके 10 उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। दल दूसरे स्थान पर रहा, जिसके 5 उम्मीदवार विजयी रहे और नवली ग्रुप 3 क्षेत्रों में जीत प्राप्त करके तीसरे स्थान पर रहा, जबकि दादूवाल और असंध ग्रुप पूरी तरह फेल रहा। हालांकि नई चुनी गई हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमैंट कमेटी के गठन के लिए जोड़-तोड़ होने की संभावनाओं से इन्कार नहीं किया जा सकता, पर जिस तरह की नई कमेटी बनेगी, वह तो अब सबके सामने ही है, परन्तु नई कमेटी के सामने कई बड़ी चुनौतियां होंगी। बेशक हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमैंट कमेटी के पास हरियाणा के 52 ऐतिहासिक गुरुद्वारों का प्रबंध आया है, परन्तु आय वाले सिर्फ 5 गुरुद्वारा साहिब नाढा साहिब पंचकूला, सीस गंज साहिब तरावड़ी करनाल, कपाल मोचन साहिब यमुनानगर, धमधान साहिब ज़ींद और गुरुद्वारा नौवीं पातशाही कैथल आदि ही हैं और 47 ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब कम आय वाले हैं, जिनके उचित और अच्छे प्रबंधन की बहुत ज़रूरत है। बेशक हरियाणा कमेटी के प्रबंध के पास ऐतिहासिक गुरुद्वारों की हज़ारों एकड़ कृषि योग्य ज़मीन है, पर इन ज़मीनों और अन्य जायदादों के रिकार्र्ड राजस्व विभाग से निकलवाने की बड़ी चुनौती भी कमेटी के सामने है। हालांकि बैंक खाते पहले ही नाम करवा लिये गये हैं।
इसके अलावा जो ज़मीन कृषि के लिए ठेके पर दी हुई है, उसके बारे में भी पूनर्विचार करने की ज़रूरत है, जो मौजूदा चल रही ठेके की कीमत से काफी कम बताई जा रही है। इसलिए प्रसिद्ध विशेषज्ञों की सेवा लेने की ज़रूरत है। ये चुनौतियां ज़मीन जायदाद को लेकर हैं। इसके अलावा हरियाणा में कमेटी के प्रबंधों में शिक्षा संस्थान भी खोले जाने चाहिएं। मौजूदा समय कमेटी के पास 5 शैक्षणिक संस्थान हैं, जिनमें सिरसा, कैथल और कपाल मोचम यमुनानगर में एक-एक स्कूल, जबकि पंजोखरा साहिब अंबाला और निसिंघ करनाल में एक-एक कालेज है। इस तरफ भी कमेटी को विशेष प्रयत्न करने होंगे। इसके अलावा धार्मिक प्रचार और पंजाबी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए भी प्रयत्न करने होंगे और हरियाणा सरकार पर भी पंजाबी भाषा को राज्य की दूसरी भाषा का दर्जा दिलाने के लिए दबाव बनाना होगा। धार्मिक और अन्य बड़े प्रोग्राम राज्य स्तर पर शुरू करने के प्रयत्न भी करने होंगे, ताकि राज्य के सिख नौजवान ज्यादा से ज्यादा सिखी से जुड़ें।
डाक्टरी सुविधाओं में वृद्धि करने के लिए भी नई अस्तित्व में आने वाली हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमैंट कमेटी को काम करना होगा, ताकि हरियाणा के लोग खासतौर पर सिखों को अच्छी और सस्ती स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। मौजूदा समय शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अमृतसर की सहायता से शाहबाद मारकंडा में एक ट्रस्ट के नेतृत्व में मीरी-पीरी मैडीकल अस्पताल चल रहा है, इस ट्रस्ट द्वारा एक मैडीकल कालेज भी बनाया जाना था, लेकिन सरकारी रूकावटों के कारण मैडीकल कालेज अस्तित्व में नहीं आ सका, जिसका प्रबंधन लेना भी नई कमेटी के लिए बड़ी चुनौती है। धर्म प्रचार भी हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमैंट कमेटी के लिए बड़ी चुनौती होगी। इसके अलावा ऐतिहासिक गुरुद्वारों में नयी सराएं बनाने और पुरानी सरायों की मुरम्मत के भी बड़े मुद्दे हैं। यह तो अब आने वाला समय ही बताएगा कि नई कमेटी सामने आने वाली इन सभी चुनौतियों को लेकर कैसी रणनीति बनाएगी? इस पर हरियाणा की सिख संगत पर निरंतर नज़र रहेगी।

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