राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से उम्मीद

डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर अमरीका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण कर ली है। इससे पहले भी वह वर्ष 2017 से 2021 तक अमरीका के राष्ट्रपति रहे हैं। आज अमरीका बेहद शक्तिशाली देश है। उसकी नीतियों का किसी न किसी रूप में विश्व भर में प्रभाव पड़ता है। ट्रम्प अमरीका में एक ऐसी चर्चित शख्सियत के रूप में उभरे हैं, जिनकी नीतियों संबंधी दावे के साथ कुछ कह पाना बेहद कठिन है। अपने जीवनकाल में वह बेहद विवादास्पद व्यक्ति भी रहे हैं। धन-दौलत के संबंध में वह विश्व के अमीर लोगों में से एक रहे हैं। आज विश्व का सबसे अमीर व्यक्ति ऐलन मस्क उनका नज़दीकी मित्र है। इसी क्रम में ज़ैफ बेजोश और टिम कुक्क आते हैं। फेसबुक (मेटा) के संचालक ज़ुकरबर्ग भी अब उनके पक्ष में शामिल हो चुके हैं। ट्रम्प के जीवन संबंधी अनेक विवाद भी उठते रहे हैं। विगत दिवस ही उन्हें एक ‘पोर्न स्टार’ के साथ जुड़े मामले में दोषी माना गया था परन्तु उनके राष्ट्रपति चुने जाने के कारण उन्हें जज की ओर से कोई सज़ा नहीं सुनाई गई थी।
वह अब तक के अमरीका के राष्ट्रपतियों में दूसरे व्यक्ति हैं, जो अपनी पहली पारी के बाद हार गए थे तथा फिर पुन: राष्ट्रपति चुने गए हैं। पहली पारी में उनकी हार के परिणामों के बाद भारी संख्या में उनके समर्थकों ने कैपीटल हिल जो अमरीका की संसदीय इमारत है, पर हमला कर दिया था। इस बार अपने चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने अपनी ओर से अपनाई जाने वाली ऐसी नीतियों को भी उठाया था, जो विश्व भर के ज्यादातर देशों को चिन्ता में डाल रही हैं। ट्रम्प ने पहले भी और इस बार भी ‘अमरीका फर्स्ट’ का नारा दिया है, जिसमें उन्होंने अपनाई जाने वाली नीतियों में हर पक्ष से अपने देश को प्राथमिकता देने का वादा किया है। इसलिए उन्होंने अपने शपथ ग्रहण वाले दिन 20 जनवरी को ‘मुक्ति दिवस’ कहा है तथा यह भी कहा है कि अमरीका का पतन खत्म हो चुका है, क्योंकि उनके अनुसार बहुत जल्द बदलाव आने वाला है तथा अब विश्व अमरीका का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। उन्होंने तीन बातों पर ज्यादा ज़ोर दिया है-भ्रष्टाचार को खत्म करना, महंगाई पर नकेल डालना और अपने देश में ़गलत घुसपैठ को रोकना। इसके साथ ही उन्होंने निर्यात के क्षेत्र में अन्य देशों के माल पर कर की दर बढ़ाने की बात भी स्पष्ट रूप में कही है। इससे विश्व के व्यापार का संतुलन बिगड़ सकता है। भारत जैसे देश पर भी इसका बड़ा प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कुछ बातें स्पष्ट रूप में कही हैं कि पड़ोसी देश मैक्सिको की सीमा पर दीवार बनाई जाएगी तथा अवैध घुसपैठ रोकने के लिए इस सीमा पर आपात्काल भी लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने यह भी कहा है कि नशों के व्यापारियों को आतंकवादी घोषित किया जाएगा। दूसरों के युद्ध में अमरीकी सेना को नहीं भेजा जाएगा तथा देश में नस्ल-भेद नहीं होगा, अपितु योग्यता को प्राथमिकता दी जाएगी।
चाहे उनके शपथ ग्रहण से पहले ही इज़रायल और हमास में युद्धविराम का समझौता हो गया है परन्तु इसके साथ ही रूस एवं यूक्रेन युद्ध से निपटना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। इसके साथ ही चीन की विस्तारवादी नीतियों पर नकेल डालना और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीन को अनुशासन में रखना भी ट्रम्प की अन्तर्राष्ट्रीय योजनाबंदी का हिस्सा होगा। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ ट्रम्प के अच्छे दोस्ताना संबंध बने रहे हैं परन्तु इस दौरान भारत के लिए भी ऐसे समय में रूस के साथ अच्छे संबंध स्थापित रख पाना भी एक बड़ी परीक्षा होगी। इस समय उनसे यही उम्मीद रखी जाएगी कि उनकी यह पारी विश्व में एक अच्छा बदलाव ला सकने में सामर्थ हो सके और आगामी वर्षों में उन्हें उनकी सकारात्मक भूमिका के लिए याद किया जाये। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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