विश्व की सबसे पुरानी व रहस्यमयी इमारत है गोबेकली टेपे
दक्षिण पूर्व तुर्की की सुदूर पहाड़ियों में स्थित गोबेकली टेपे को यह श्रेय प्राप्त है कि यह संसार की सबसे पुरानी इमारत है। कम से कम 11,500 साल पुरानी यह बिल्डिंग ऐसा आर्कियोलॉजिकल शाहकार है कि प्राचीन मानव सभ्यता की हमारी समझ को चुनौती देता है। हालांकि इसकी खोज 1960 के दशक में हुई थी लेकिन इसको समझने का सिलसिला 1990 के दशक में ही आरंभ हो सका और तब से यह इमारत गहन अध्ययन व जिज्ञासा का विषय बनी हुई है। दशकों के शोध के बावजूद इसके निर्माण का असल उद्देश्य अब भी पहेली बना हुआ है और प्राचीन मानव समाजों के बारे में हमारी परम्परागत समझ को चुनौती दे रहा है। आयु में गोबेकली टेपे स्टोनहेंज से भी 6000 वर्ष से अधिक आगे निकल जाता है, जिस वजह से आर्कियोलॉजिस्ट व इतिहासकार मजबूर हैं कि वह सभ्यता के उदय के बारे में जो कुछ जानते हैं उस पर पुन: विचार करें।
गोबेकली टेपे में पत्थरों के विशाल चक्र, टी-आकार के स्तंभ और पेचीदा नक्काशी हैं। यह प्राचीन साईट इस धारणा को चुनौती देती है कि जटिल निर्माण व सामाजिक संरचना का उदय कृषि के आगमन पर हुआ। अब इस हैरत में डालने वाले स्मारक से स्पष्ट हो रहा है कि हमें इतिहास पूर्व मानव संस्कृति के बारे में अपने विचारों को बदलना होगा। सीरिया की सीमा के निकट जर्मस पहाड़ों में स्थित गोबेकली टेपे का निर्माण कृषि के आगमन व एक जगह स्थित रहने वाले समुदायों या विकसित सभ्यताओं से बहुत पहले शिकार-एकत्र करने वाले समाजों ने किया था। इस साईट का आर्किटेक्चर विस्मयकारी है, जिसमें पत्थरों के विशाल चक्र टी-आकार के स्तंभों के सहारे खड़े हैं, जो चूनापत्थर से तराशे गये हैं और कुछ पत्थरों का वज़न 10 टन से भी अधिक है। गोबेकली टेपे के निर्माण का जो विशाल फलक है वह इसे अन्य प्राचीन स्मारकों से एकदम अलग खड़ा कर देता है। हैरत इस बात की है कि पास के पठार से इन पत्थरों को किस तरह से लाया और तराशा गया होगा।
गोबेकली टेपे की खोज ने आर्कियोलॉजिकल टाइमलाइंस को एकदम बदल कर रख दिया है। पहले यह माना जाता था कि जब इंसान ने कृषि जीवनशैली अपनाना आरंभ किया तब वह एक जगह पर बसने लगा और जटिल इमारतों का निर्माण करने लगा। गोबेकली टेपे इस धारणा को गलत साबित करता है कि जटिल सामाजिक व रीति-रिवाज वाली इमारतें उन लोगों ने बनाना शुरू कीं जो कहीं स्थायी तौर पर बसते नहीं थे और न ही उन्होंने कृषि का विकास किया था। यह इस परम्परागत आस्था को चुनौती देता है कि शुरुआती मानव सभ्यता पाबंदी के साथ स्थायी जीवन पर निर्भर थी। दशकों की खुदाई व शोध के बावजूद अभी तक यह मालूम नहीं हो सका है कि गोबेकली टेपे का बुनियादी उद्देश्य क्या था? शोधकर्ताओं ने अनेक पत्थर-चक्र खोजे हैं, जिनमें से अधिकतर पर जंगली जानवरों जैसे शेर, लोमड़ी व सांप की जटिल नक्काशी है। कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि इस साईट का उपयोग कर्मकांड या सामाजिक मिलन के लिए होता था, संभवत: देवताओं की पूजा करने के लिए या आसमानी घटनाओं का अवलोकन करने के लिए। एक अन्य शोधकर्ता का ख्याल है कि लेआउट व नक्काशी खगोलीय समीकरण को प्रतिविम्बित करती है, इसलिए यह जगह विश्व का पहला कैलेंडर थी।
गोबेकली टेपे की जटिलता व इसका विशाल आकार यह संकेत देता है कि इसका सांस्कृतिक व आध्यात्मिक महत्व होगा लेकिन यहां जो विशिष्ट कर्मकांड या समारोह होते होंगे, वह अभी तक पूर्णत: अस्पष्ट हैं। गोबेकली टेपे की आयु से यह प्रश्न भी उठता है कि क्या इसकी भूमिका पौराणिक कथाओं में भी थी क्योंकि कुछ थ्योरी यह भी हैं कि यह बागे-इरम (गार्डन ऑ़फ ईडन) था जहां आदम व हव्वा रहते थे लेकिन ठोस साक्ष्यों के अभाव में इन विचारों को केवल अनुमान ही कहा जा सकता है। एक परम्परागत धारणा यह भी है कि स्थायी तौर पर एक जगह बसने वाले मानवों के पास ही विशाल इमारतें बनाने का ज्ञान व संसाधन थे। गोबेकली टेपे की खोज इस सोच को भी चुनौती देती है। गोबेकली टेपे के निर्माता घुमंतू शिकारी थे लेकिन इस प्रश्न का उत्तर अभी तक नहीं मिला है कि इनके समाजों की, सामाजिक संरचना क्या थी? इतनी विशाल इमारत खड़ी करने से यह अंदाज़ा अवश्य होता है कि उनमें सामाजिक सहयोग, इंजीनियरिंग का ज्ञान और कलात्मक कौशल का अच्छा स्तर था जोकि पहले शिकार-एकत्र करने वाले लोगों के संदर्भ में नहीं जोड़ा जाता था। टी.आकार के स्तंभों में से अधिकतर पर विस्तृत नक्काशी है, प्रतीकात्मक चिन्हों की। यह न केवल प्रभावी इंजीनियरिंग है बल्कि कला का महत्वपूर्ण कार्य भी। गोबेकली टेपे का आर्किटेक्चरल डिज़ाइन बताता है कि निर्माताओं को निर्माण कला का अच्छा ज्ञान था, साथ ही यह भी किस तरह बिल्डिंग मज़बूत व स्थिर रह सकती है, याद रखिये यह सब स्थायी बस्तियां बसने से बहुत पहले हुआ। इससे भी दिलचस्प बात यह है कि गोबेकली टेपे का उपयोग रिहायशी स्पेस के तौर पर भी होना संभव है। यह बात ताज़ा शोधों से सामने आयी है। अगर यह बात सही है तो मानव स्थायी तौर पर एक जगह 10,000 वर्ष पहले नहीं बल्कि उससे भी हज़ार साल पहले बसना शुरू हुआ। यह भी हो सकता है कि प्राचीन मानव दोनों अस्थायी बस्तियों और उसी जगह पर अनुष्ठानिक प्रथाओं का पालन करता रहा हो, जो उस समय की लचीली सामाजिक व्यवस्था को प्रदर्शित करता है। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर