देश में हर 4 मिनट में सड़क पर होती है एक मौत

देश में होती अधिक मौतों का मुख्य कारण सड़क दुर्घटनाएं है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार वर्ष 2022 में कुल 7,00,688 दुर्घटनाएं रिपोर्ट की गईं जिनमें 4,22,444 लोगों की जान गई और 4,28,435 लोग घायल हुए। इनमें 46 प्रतिशत असामयिक मौतें सड़क हादसों में हुयी हैं। हालांकि भारत सरकार और राज्य सरकारों की ओर से इन हादसों पर नियंत्रण के लिये कई स्तरों पर प्रयास किये जा रहे हैं। 
सन् 2001 से पूरे जनवरी के महीने में सड़क सुरक्षा माह भी मनाया जा रहा है, लेकिन ये हादसे हैं कि घटने के बजाय बढ़ते जा रहे हैं। जो इस गंभीर समस्या की ओर एक बार फिर से ध्यान आकर्षित करते हैं।
विश्व बैंक की 2021 में आयी एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार भारत में दुनिया के एक प्रतिशत वाहन हैं लेकिन सड़कों पर दुर्घटनाओं के कारण विश्व भर में होने वाली मौतों में 11 प्रतिशत मौतें भारत में होती हैं। देश में हर घंटे 53 सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं और हर चार मिनट में एक मौत होती है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक में भारतीय सड़कों पर 13 लाख लोगों की मौतें हुई है और इनके अलावा 50 लाख लोग घायल हुए हैं। भारत में आकस्मिक मौतों में सड़क दुर्घटनाओं में हुई मौतों का आंकड़ा 15 प्रतिशत से लेकर 20 प्रतिशत तक शुमार होता है, जो एक चिंता का विषय है। 
भारत के शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में दुर्घटनाओं का यह आंकड़ा न केवल वाहन चालकों के लिए बल्कि पैदल चलने वालों और साइकिल सवारों के लिए भी गंभीर खतरे का संकेत है। भारत में सड़क दुर्घटनाओं का बढ़ता हुआ आंकड़ा चिंता का कारण बना हुआ है। राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति के बावजूद दिश में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या और इनमें होने वाली मौतों में कोई कमी नहीं आई है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार यह संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की दर में लगभग 5 प्रतिशत तक वृद्धि हो रही है।
भारत में सड़क दुर्घटनाओं के कई कारण हैं जो सीधे तौर पर दुर्घटनाओं की संख्या और मौतों में वृद्धि का कारण बन रहे हैं। एनसीआरबी को राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार सड़क दुर्घटनाएं अत्यधिक गति, मोबाइल फोन का उपयोग, शराब और नशीली दवाओं का सेवन कर वाहन चलाना, गलत साइड या लेन पर वाहन चलाना अनुशासनहीनता, लाल बत्ती पार करना, हेलमेट और सीट बेल्ट जैसे सुरक्षा उपकरणों का उपयोग न करना आदि कारणों से होती हैं। मसलन लापरवाही दुर्घटनाओं के लिए सबसे बड़ा कारण है। कई चालक यातायात नियमों का पालन नहीं करते।  सड़क का खराब डिजाइन भी दुर्घटनाओं का कारण बनता बनता। शहरी क्षेत्रों में अत्यधिक ट्रैफिक और अव्यवस्थित पार्किंग के कारण सड़क दुर्घटनाएं बढ़ती हैं। 62.6 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं अधिक गति से वाहन चलाने के कारण होती हैं। इसके बाद दूसरी बड़ी वजह है, लापरवाही से वाहन चलाना और ओवरटेक करना, जो 24.7 प्रतिशत दुर्घटनाओं का कारण बनता है। इसके अलावा, 2.2 प्रतिशत दुर्घटनाएं खराब मौसम के कारण होती हैं—जैसे बारिश, धुंध या अन्य प्रतिकूल मौसम।
देश में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं जिनमें प्रमुख रूप से सड़क सुरक्षा माह का आयोजन शामिल है। इसका उद्देश्य लोगों में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना और यातायात नियमों के पालन की आदत डालना है।  सड़कों की गुणवत्ता में सुधार और बेहतर डिजाइनिंग से भी सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकती है। नई तकनीकों जैसे जीपीएस ट्रैकिंग, ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम और इंटेलिजेंट ट्रैफिक सिग्नल सिस्टम के इस्तेमाल से दुर्घटनाओं को कम किया जा सकता है।
सड़क दुर्घटनाओं में असामयिक मौतों की समस्या अब एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक चुनौती बन चुकी है। बढ़ती दुर्घटनाएं और इनसे होने वाली मौतों ने सरकार, समाज और प्रत्येक नागरिक को सड़क सुरक्षा के प्रति अधिक ज़िम्मेदार बनाने की आवश्यकता को स्पष्ट किया है। सड़क सुरक्षा माह एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसके साथ ही हमें निरंतर जागरूकता फैलाने, यातायात नियमों का कड़ाई से पालन करने और सड़क सुधार के प्रयासों को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। यह केवल सरकार का दायित्व नहीं है, बल्कि यह सभी नागरिकों को सामूहिक प्रयास करना चाहिए, ताकि हम सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या को कम कर सकें और एक सुरक्षित सड़क परिवहन प्रणाली का निर्माण कर सकें। (युवराज)

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