क्या भारत गरीबी के चक्रव्यूह से निकल रहा है ?
सरकारी, गैर-सरकारी और वैश्विक रिपोर्टों को देखकर लगता है भारत ने गरीबी के चक्रव्यूह को तोड़ने में सफलता हासिल कर ली है। अस्सी करोड़ गरीबों को खाद्य सहायता प्रदान करने वाले भारत की गरीबी पर लगातार हो रहे सर्वे और अध्ययन रिपोर्टों का गहनता से अवलोकन और विश्लेषण करें तो पायेंगे कि अब तक देश गरीबी से मुक्त हो गया होगा। जब भी गरीबी से मुक्ति की कोई रिपोर्ट आती है तो हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रहता कि हम गरीबी के अभिशाप से मुक्त हो रहे हैं। लगता है हमारे देश की गरीबी किसी मायाजाल से कम नहीं है। सीमावर्ती क्षेत्रों में भारी तनाव और युद्ध की आशंकाओं के मध्य भारत में गरीबी के मोर्चे पर विश्व बैंक से एक अच्छी खबर आई है। देश में गरीबी तेज़ी से घट रही है और इससे आंकड़ों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है।
विश्व बैंक की इस ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने पिछले दस साल में गरीबी को कम करने में बड़ी सफलता हासिल की है। रिपोर्ट के अनुसार 2011-12 में देश में अत्यधिक गरीबी 16.2 प्रतिशत थी जो 2022-23 में घटकर 2.3 प्रतिशत पर आ गई है। अत्यधिक गरीब का मतलब ऐसे लोगों से हैं जिनका रोज़ाना खर्च 2.15 डॉलर (करीब 180 रुपये) से भी कम है। यह खबर हमारे लिए राहत वाली कही जा सकती है। रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान 17.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं। गांवों में अत्यधिक गरीबी 18.4 प्रतिशत से घटकर 2.8 प्रतिशत रह गई है। इसी तरह शहरों में यह आंकड़ा 10.7 प्रतिशत से घटकर 1.1 प्रतिशत रह गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अब निम्न-मध्यम आय वाले देशों की श्रेणी में आ गया है। इसका मतलब है कि भारत की अर्थव्यवस्था पहले से बेहतर हुई है। स्वतंत्र विश्लेषक इसे किसी चमत्कार से कम नहीं आंकते है। यह पिछले दशक की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक है।
गौरतलब है वर्ष 2024 में सरकारी रिपोर्ट में पिछले नौ वर्षों में भारत में करीब 25 करोड़ लोगों के गरीबी के अभिशाप से मुक्त होने का दावा किया गया था, वहीं भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पहली बार ऐतिहासिक रूप से गांवों में गरीबी में तेज़ी से कमी आई है और एक साल के भीतर यह 5 फीसदी से नीचे आ गई है। यह मुख्य रूप से सरकारी सहायता कार्यक्रमों के प्रभावों के कारण संभव हुआ है। यह भी कहा गया कि मोदी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में विकास पर खास ध्यान दिया है। इसका असर ज़मीन पर दिख रहा है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट 2024 की बात करें तो भारत का स्थान 127 देशों में 105वां है। हालांकि पिछले सालों की तुलना में वर्ष 2024 में भारत की रैंक में सुधार हुआ है। वर्ष 2023 में भारत कुल 125 देशों में से 111वें स्थान पर था। हालांकि सरकार ने त्रुटिपूर्ण कार्यप्रणाली का हवाला देते हुए इस सूचकांक में भारत के प्रदर्शन का विरोध किया था।
एसबीआई रिसर्च के पेपर में कहा गया है कि ग्रामीण गरीबी 2023-24 में घटकर 4.86 फीसदी हो गई थी, जो पिछले साल 7.2 फीसदी थी। 2011-12 में यह 25.7 फीसदी थी। इस बीच शहरी क्षेत्रों में 2024 में साल-दर-साल गिरावट धीमी रही। एसबीआई रिसर्च ने कहा कि वित्त वर्ष 2024 में यह 4.09 फीसदी थी जबकि उससे पिछले साल यह 4.60 फीसदी थी। रिपोर्ट में ग्रामीण गरीबी में तेज़ी से कमी का श्रेय निम्न आय वर्ग के बीच खपत वृद्धि को दिया गया है जिसे मजबूत सरकारी समर्थन से बल मिला है। शहरी गरीबी में भी तेज़ी से कमी आई है, जो अब 4.09 फीसदी होने का अनुमान है, जो 2011-12 में 13.7 फीसदी थी। रिपोर्ट में कहा कि ग्रामीण गरीबी अनुपात में तेज़ गिरावट महत्वपूर्ण सरकारी सहायता के साथ खपत में वृद्धि का नतीजा है।
दुनिया भर में गरीबी की स्थिति आज भी बेहद चिंताजनक है। हमारे देश की बात करें तो आज़ादी के 78 सालों के बाद भारत में गरीब और गरीबी पर लगातार अध्ययन और खुलासा होता रहा है। पिछले एक दशक में गरीबी उन्मूलन के प्रयास जरूर सफल हुए हैं। भारत सरकार ने हर प्रकार की गरीबी को कम करने के लक्ष्य के साथ लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में उल्लेखनीय प्रगति की है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मुफ्त खाद्यान्न वितरण को अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ानाए सरकार की प्रतिबद्धता का उदाहरण है। मातृ स्वास्थ्य का समाधान करने वाले विभिन्न कार्यक्त्रम, उज्ज्वला योजना के माध्यम से स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन वितरण, सौभाग्य के माध्यम से बिजली कवरेज में सुधार, स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन जैसे परिवर्तनकारी अभियानों ने सामूहिक रूप से लोगों की रहने की स्थिति और समग्र कल्याण की स्थिति में सुधार किया है। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री जन-धन योजना और पीएम आवास योजना जैसे प्रमुख कार्यक्रमों ने वित्तीय समावेशन और वंचितों के लिए सुरक्षित आवास प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इससे बुनियादी सेवाओं तक पहुंच में आने वाली मूलभूत समस्याओं का तेज़ी से समाधान हो रहा है ताकि देश एक विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर हो सके। सरकारी स्तर पर यदि ईमानदारी से प्रयास किये जायें और जनधन का दुरुपयोग नहीं हो तो भारत शीघ्र गरीबी के अभिशाप से मुक्त हो सकता है।
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