क्या कोविड का फिर से फैलना खतरनाक सिद्ध होगा ?
कुछ सप्ताह पहले बेंग्लुरु के एक निजी अस्पताल में एक 85 वर्षीय व्यक्ति को भर्ती किया गया था। उन्हें अन्य बीमारियों के साथ ही सांस लेने में कठिनाई हो रही थी। गत 17 मई 2025 को उनका निधन हो गया। उन पर किये गये टेस्ट से पुष्टि हुई कि वह कोविड-19 से संक्रमित थे। कर्नाटक ने 2025 की पहली कोविड-19 मौत रिपोर्ट की है। चूंकि बेंग्लुरु में कोरोना वायरस के 32 नये केस सामने आये हैं, इसलिए राज्य सरकार ने न सिर्फ राज्यव्यापी अलर्ट घोषित की है बल्कि टेस्टिंग की दर को भी बढ़ा दिया है। दूसरी ओर ठाणे, महाराष्ट्र में वही 24 मई, 2025 को एक 21 वर्षीय युवक की कोविड के कारण मौत हुई। वह डायबिटिक केटोअसिडोसिस से पीड़ित था। इसका अर्थ है कि जो लोग अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं, उनको कोविड होने पर अधिक खतरा है। बहरहाल, चिंताजनक खबर यह है कि कोविड-19 पूरे देश में तेज़ी से लौट रहा है और इस लेख के लिखे जाने तक कोरोना वायरस के 257 एक्टिव केस रिपोर्ट हो चुके थे, जिनमें से लगभग 85 प्रतिशत का संबंध केरल, तमिलनाडु, गुजरात व महाराष्ट्र से है।
कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच इंडियन सार्स-कोव-2 जेनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) के अनुसार कोरोना वायरस के दो नये वैरिएंटस की पहचान की गई है- एनबी.1.8.1 वैरिएंट की पहचान अप्रैल में तमिलनाडु में की गई और मई में गुजरात में एलएफ.7 के 4 मामले प्रकाश में आये। मई 2025 तक विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने एलएफ.7 व एनबी.1.8.1 को ‘वैरिएंटस अंडर मोनिटरिंग’ (निगरानी) की श्रेणी में रखा हुआ है न कि ‘वैरिएंटस ऑ़फ कंसर्न’ (चिंता) की श्रेणी में। इसका अर्थ यह है कि ग्लोबल स्तर पर इसका खतरा कम है और डब्लूएचओ के अनुसार इन वैरिएंटस के लक्षणों व गंभीर रोग के विरुद्ध मंज़ूरी प्राप्त कोविड-19 वैक्सीन प्रभावी रहेंगी। बहरहाल, भारत में जो सैंपल अभी तक टेस्ट किये गये हैं, उनमें 53 प्रतिशत का संबंध जेएन.1 वैरिएंट से है और इसके बाद 26 प्रतिशत केस बीए-2 वैरिएंट के व अन्य 20 प्रतिशत केस ओमिक्रोन सबलाइनएज के हैं। डॉक्टरों ने सलाह दी है कि जेएन.1 से जुड़े हुए कोविड-19 केसों के बढ़ने पर लोगों को घबराने की ज़रूरत नहीं है; क्योंकि यह स्ट्रेन गंभीर नहीं है और अधिकतर रोगियों ने मामूली लक्षण ही रिपोर्ट किये हैं। जेएन.1 वैरिएंट ओमिक्रोन बीए.2.86 का वंशज है। यह घातक वैरिएंट नहीं है, लेकिन एहतियात बरतना आवश्यक है, जैसे हाथों को स्वच्छ रखा जाये, अस्पतालों व भीड़ भरे क्षेत्रों में मास्क लगाया जाये और श्वांस संबंधी हाइजीन का पालन किया जाये। ज़रूरी यह भी है कि अपने लक्षणों की जांच योग्य डॉक्टर से करायी जाये। ज्ञात रहे कि पैनिक व हंगामे से कोविड-19 से अधिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। जिन लोगों को अन्य बीमारियां हैं वह अधिक सतर्क व सावधान रहें।
कोविड-19 सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दक्षिणपूर्व एशिया में तेज़ी से फैल रहा है। अधिकतर केस इस वायरस के सब-वैरिएंट जेएन.1 के हैं, जोकि भारत में पहले से ही मौजूद है और जैसा कि ऊपर बताया गया ओमिक्रोन लाइनएज में बीए.2.86 का वंशज है, जिसे ‘पिरोला’ स्ट्रेन भी कहते हैं। यह स्ट्रेन इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) से बच जाता है और सबसे अधिक संक्रामक है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अभी तक इसके लक्षणों में कोई खास अंतर नहीं आया है और यह ओमिक्रोन जैसा ही है। इस वायरस के लगभग 30 म्युटेशन (उत्परिवर्तन) हो चुके हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि यह अधिक खतरनाक होता जा रहा है, लेकिन यह उन तरीकों की तलाश कर रहा है, जिससे हमारे इम्यून सिस्टम से बच सके। बदलाव सरफेस रिसेप्टर्स, स्पाइक प्रोटीन (वायरस का वह हिस्सा जो हमारी कोशिकाओं में प्रवेश करता है) में आ रहा है। इससे यह इम्यून सिस्टम को धोखा दे देता है और फलस्वरूप वायरस आसानी से अधिक संक्रामक हो जाता है।
सवाल यह है क्या हमें चिंता करनी चाहिए क्योंकि टीकाकरण से हासिल इम्युनिटी कम होती जा रही है और हमारे पास जेएन.1 को रोकने के लिए वैक्सीन नहीं है? टीकाकरण से अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि ओमिक्रोन लहर को बीते हुए अभी अधिक दिन नहीं हुए हैं यानी मेमोरी टी सेल्स अब भी सक्रिय हो सकती हैं और मेमोरी बी सेल्स वायरस या उसके समान वैरिएंट का फिर से सामना करने पर उससे लड़ सकती हैं और रोग की गंभीरता को सीमित कर सकती हैं। मेमोरी टी सेल्स वायरस के अनेक हिस्सों को पहचान सकती हैं, जिनमें ओमिक्रोन वैरिएंट भी शामिल है। ऐसा ‘पलोस पथोजेंस’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है। मेमोरी बी सेल्स उन एंटीबॉडीज का उत्पादन करती हैं, जो ओमिक्रोन वैरिएंट को निष्क्रिय कर सकती हैं।
क्या जेएन.1 के अलग चिन्ह व लक्षण हैं? नहीं। इसके लक्षणों में भी गले में खराश, खांसी व बुखार हैं यानी सारे लक्षण फ्लू जैसी बीमारी के ही हैं। पिछली लहरों की तरह कुछ लोगों को जी मिचलाना और कुछ की आंख आ सकती हैं। स्वाद या गंध का खो जाना, जो पिछले वैरिएंटस में आम सी बात थी, वह जेएन.1 में कम रिपोर्ट किये जा रहे हैं। बेहतर यह है कि आराम करो, खुद को हाइड्रेट रखो, अलग रहो और एंटीवायरल्स लो। क्या हमें टीकाकरण के अन्य चक्र की ज़रूरत है? नहीं। पुरानी वैक्सीन केवल पैतृक स्ट्रेन के लिए विकसित की गईं थीं। इसके अतिरिक्त वह कमज़ोर या निष्क्रिय किये गये वायरस से तैयार की गईं थीं। अब आपको एमआरएनए वैक्सीनों की ज़रूरत होगी, जैसे जेमकोवक-19 जो लैब निर्मित एमआरएनए का प्रयोग करती है प्रोटीन या उसका हिस्सा बनाने के लिए ताकि इम्यून प्रतिक्रिया को सक्रिय कर सके। दुर्भाग्य से यह वैक्सीन आसानी से उपलब्ध नहीं है। नई वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर किया जा सकता है। एमआरएनए टेक्नोलॉजी रोग रोकने की वैक्सीनों में अच्छा काम करती है; क्योंकि उसे उभरते हुए वैरिएंटस के अनुरूप ढाला जा सकता है।
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