कुत्ता, बिल्ली और चूहा
कुछ समय पहले की बात है। उन दिनों बिल्ली, कुत्ते और चूहे की आपस में गहरी दोस्ती थी। कुत्ता बिल्ली को देख कर भौंकता नहीं था और बिल्ली चूहे को देख कर उस पर झपटती नहीं थी। एक दिन सवेरे-सवेरे कुत्ता टहलने निकला। थोड़ी दूर जाने पर उसे हवा में फड़फड़ाती हुई एक रंगीन वस्तु दिखाई दी। पहले तो वह डर गया। फिर हिम्मत करके उसके करीब गया और भौंकने लगा। कुत्ते ने ऐसी रंगीन वस्तु पहले कभी नहीं देखी थी। उसे सूंघता-सूंघता वह उसके और करीब गया। उसमें कोई हरकत न होती देख, उसकी हिम्मत बंधी। पास जा कर उसने उसे हौले से अपने पंजे से छुआ। फिर भी उसमें कोई हरकत नहीं हुई।
कुत्ते ने उसे उठा लिया। जैसे ही वह आगे बढ़ा, उसे सामने से बिल्ली आती दिखाई दी। करीब आ कर बिल्ली बोली, ‘कुत्ते भाई, यह पतंग लिए कहां जा रहे हो? आज क्या पतंग उड़ाने का इरादा है?’
कुत्ता जोर से हंसने लगा, ‘मैं नहीं जानता कि यह क्या है? मुझे तो यह झाड़ियों के पास पड़ी मिली। मैंने सोचा कि कोई नया जानवर है परंतु इसमें कोई हरकत न होती देख, उत्सुकतावश मैं इसे साथ ही उठा लाया।’
कुत्ते की बात सुन कर बिल्ली भी जोर-जोर से हंसने लगी। उसने पतंग को सहलाते हुए बताया, ‘इसे पतंग कहते हैं। इसमें धागा बांध कर दूर आसमान तक उड़ाते हैं।’
‘आसमान तक?’ बुद्धू की तरह कुत्ता आसमान की ओर ताकने लगा।
बिल्ली बोली, ‘आओ, मैं तुम्हें बताऊं कि पतंग कैसे उड़ती है।’
बिल्ली ने झट अपने घर से लंबी सी डोर ला कर पतंग से बांध दी। अब उसने डोर संभाली और कुत्ते को पतंग को कन्नी देने को कहा। इसके साथ ही पतंग उड़ चली आसमान की सैर करने। उड़ती पतंग देख कर कुत्ता बेहद प्रसन्न हुआ।
पतंग से होती हुई कुत्ते की नज़र जब धरती पर पड़ी तो उसे दूर एक सफेद हड्डी चमकती नज़र आई। पतंग की बात भूल कर कुत्ता उस हड्डी की ओर लपका। बिल्ली मजे से पतंग उड़ाने लगी। तभी वहां से चूहा निकला। बिल्ली को यों पतंग उड़ाते देख, वह भी वहां पहुंच कर उससे पतंग के बारे में पूछने लगा। चूहे का मन किया कि एक बार वह भी पतंग उड़ा कर देखे।
तभी बिल्ली को कुछ याद आया, ‘हाय, मैं तो चूल्हे पर दूध चढ़ा कर आई थी। अब क्या होगा? दूध जल गया तो सारा दिन भूखा रहना पड़ेगा।’ बिल्ली ने चूहे को पतंग की डोर थमाई और भागी घर की ओर।
अब पतंग की डोर चूहे के हाथ में थी। वह मनमाने ढंग से कभी डोर को खूब ढीला छोड़ता और कभी जोर से खींचता। कुछ समय पश्चात ही पतंग नीचे आ गिरी। वह पतंग के पास गया परंतु उसे फिर से उड़ाने की उसकी हर कोशिश बेकार हो गई। वह पतंग हाथ में लेकर वहीं बैठ गया। उसे याद आया कि बिल्ली ने कहा था कि पतंग का ध्यान रखना। उसे छोड़ कर कहीं मत जाना वरना कुत्ता नाराज हो जाएगा।
काफी देर तक पतंग को यों ही पकड़े-पकड़े चूहा परेशान हो गया। अचानक उसे ध्यान आया कि उसे बहुत जोर की भूख भी लगी है। कुछ देर पश्चात चूहे की नज़र जब पतंग पर पड़ी तो उसने देखा कि उसने सारी की सारी पतंग कुतर डाली है। अब क्या होगा? चूहा डर गया। कुतरी पतंग को वहीं छोड़ कर वह चुपचाप अपने घर में घुस गया।
कुछ देर बाद कुत्ते को अपनी पतंग की याद आई। वह झट भाग कर पतंग के स्थान पर गया। वहां बिल्ली को न पा कर और कुतरी पतंग को जमीन पर गिरा देख कर उसे बहुत क्रोध आया। वह वहां से बिल्ली के घर गया और उससे अपनी पतंग मांगी।
बिल्ली और कुत्ता वापस उसी स्थान पर आए। बिल्ली ने चूहे के स्थान पर कुतरी हुई पतंग को देखा तो उसे बहुत क्रोध आया। वह झट चूहे के घर की ओर रवाना हो गई। कुत्ता भी बिल्ली के पीछे-पीछे चल पड़ा। चूहे के घर पहुंच कर बिल्ली ने उसे बहुत आवाजें दीं परंतु चूहा घर से बाहर नहीं निकला।
अंदर घुस कर बिल्ली ने सारा घर छान मारा परंतु चूहे का कहीं कोई पता न था। तभी बिल्ली की नज़र घर के एक कोने में नए बने बिल पर पड़ी। ‘ज़रूर चूहा इस बिल से कहीं निकल गया होगा।’ बिल्ली बुड़बुड़ाने लगी।
इधर कुत्ते का गुस्से के मारे बुरा हाल था। बिल्ली ने वहां से दुम दबा कर भागने में ही कुशलता समझी।
कहते हैं, तभी से चूहे ने घर छोड़ कर बिल में रहना आरंभ कर दिया। तभी से कुत्ता बिल्ली को देख कर भौंकने लगता है मानो कह रहा हो, ‘मेरी पतंग दो।’ और बिल्ली चूहे को देखते ही उस पर झपटती है, मानो कह रही हो, ‘ठहर बदमाश, तुझे अभी मजा चखाती हूं।’ (उर्वशी)