नौजवानों के हितों के लिए पंजाब में जल्द नई नीति लाएंगे : सिद्ध

चंडीगढ़, 1 फरवरी (पठानिया): किसानों व विद्यार्थियों का बजट में अहम भाग होना चाहिए व सरकार को विद्यार्थियों के लिए ऐसी नीतियां शुरू करनी चाहिएं जिनके तहत उनको कम ब्याज में नया काम शुरू करने के लिए सहायता राशि दी जा सके। यह बात कैबिनेट मंत्री स. नवजोत सिंह सिद्ध  ने आज पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के कानून विभाग द्वारा ‘लॉ आडीटोरियम’ में करवाए ‘लॉ फैस्ट’ दौरान विद्यार्थियों के रूबरू होते कही। उन्होंने कहा कि देश की आधी से अधिक आबादी नौजवानों की है, परन्तु उनको कभी भी किसी नीति का भाग नहीं बनाया गया व न ही नौजवानों को सरकारों ने यह पूछा कि वह क्या चाहते हैं। उन्हाेंने कहा कि देश को आज़ाद हुए 70 वर्ष हो गए हैं, परन्तु नौजवानों के लिए कोई नीति अलग नीति नहीं बनाई। उन्होंने कहा कि तरक्की करने वाले देश अपने नौजवानों व विद्यार्थियों के लिए बजट में ऐसा हिस्सा रखते हैं ताकि विद्यार्थियों को आगे बढ़ने के लिए अधिक से अधिक मौके मिल सकें, परन्तु भारत में ऐसा नहीं होता है। उन्होंने कहा कि वह पंजाब में जल्द ही नौजवानों के लिए नई नीति लेकर आएंगे ताकि उनको अपने देश में ही रोज़गार के अवसर मिल सकें। उन्हाेंने विद्यार्थियों को सफल होने के गुर बताते कपिल देव, सचिन तेंदुलकर, वरिन्द्र सहवाग के जीवन से जुड़ी उदाहरणें देते कहा कि कामयाबी का राज ‘खुद में विश्वास करना’ है। उन्हाेंने कहा कि यदि किसी इन्सान को अपने आप में विश्वास नहीं व असफलता का डर है तो वह कभी कामयाब नहीं हो सकता। उन्हाेंने विद्यार्थियों को असफलता से न डरने की नसीहत देते कहा कि हमें कोशिशें करनी नहीं छोड़नी चाहिए। सिद्ध ने अपने जीवन से जुड़ी कई घटनाएं भी सांझी कीं व कामयाबी के रास्ते में आई मुश्किलों बारे विद्यार्थियों को बताया। उन्होंने बताया कि क्रिकेट के शुरुआती समय दौरान मिली असफलता के बाद पिता द्वारा दी प्रेरणा  ने कैसे उनकी ज़िंदगी बदल दी। उन्होंने कहा कि सख्त मेहनत व खुद ऊपर विश्वास ही उनकी सफलता का राज है। बजट बारे बात करते नवजोत सिंह सिद्ध ने कहा कि बड़े दुख की बात है कि जिस देश में 60 फीसदी आबादी नौजवानों की हो व 60 फीसदी से अधिक आबादी की निर्भरता किसानी पर हो, उस देश के बजट में नौजवानों व किसानों के लिए कुछ खास नहीं रखा गया। उन्होंने कहा कि नौजवानों व किसानों के लिए अलग बजट बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि किसानों का भला करना है तो फसलों के कम से कम समर्थन मूल्य को तेल की कीमतों से जोड़ना चाहिए। पिछले कुछ दशकों में तेल की कीमतों में पांच गुणा वृद्धि हुई है जबकि फसलों के कम से कम समर्थन मूल्य में सिर्फ दो गुणा वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि तेल की कीमतों का सीधा संबंध किसानी खर्चों से है। उन्होंने कहा कि मगनरेगा को किसानों से जोड़ कर पराली न जलाने वाले किसानों को मगनरेगा वाली राशि मुआवज़ा राशि के रूप में दी जाए तो पराली जलाने की समस्या का भी हल हो जाएगा। प्रधानमंत्री द्वारा पकौड़े बेचने वालों को भी रोज़गार प्राप्त करने वालों में शामिल किये जाने के बयान की निंदा करते हुए स. सिद्ध ने कहा कि रेहड़ी पर पकौड़े बेचने वाला यह काम खुशी से नहीं बल्कि मजबूरी में करता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को नौजवानों को आत्मनिर्भर करने व रोज़गार के अवसर पैदा करने के लिए ठोस नीति बनानी चाहिए जोकि आज के केन्द्रीय बजट में से गायब है। इस कार्यक्रम दौरान पंजाब यूनिवर्सिटी के डायरैक्टर विद्यार्थी भलाई प्रो. ईमैनुअल नाहर, पंजाब की अतिरिक्त एडवोकेट जनरल व डीन लॉ फैकल्टी अनू चतरथ, कानून विभाग की चेयरपर्सन प्रो. शालिनी मरवाहा, प्रो. रतन सिंह, लॉ फैस्ट की कोआर्डीनेटर प्रो. मीना पाल व प्रो. सुपिन्द्र कौर भी उपस्थित थे।