आरबीआई रिपोर्ट में बड़ा खुलासा



नई दिल्ली, 13 मार्च (एजेंसी): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सपना देखा था कि भारत को कैशलेस इकोनॉमी बनाए जाए। इसके लिए उन्होंने नोटबंदी भी की, जिससे सिस्टम में कैश का फ्लो कम हो और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को बढ़ावा मिले। लेकिन,अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है। इस बात का खुलासा आरबीआई की एक रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2017-18 की दूसरी तिमाही आते-आते एक बार फिर करंसी को ज्यादा तरजीह दी जाने लगी हैं। लोगों की अब भी पहली पसंद कैश को अपने पास रखना है। रिपोर्ट के अनुसार साल 2017-18 की दूसरी तिमाही में करंसी होल्डिंग यानी कैश रखने 11.1 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं, नोटबंदी के बाद साल 2016-17 की तीसरी तिमाही में करंसी होल्डिंग 21.7 फीसदी के निगेटिव रेट पर पहुंच गई थी।
क्या कहती है रिपोर्ट
रिपोर्ट के अनुसार साल 2017-18 की पहली तिमाही में करंसी होल्डिंग का पैटर्न नोटबंदी के पहले करंसी होल्डिंग का जो लेवल था, उसी लेवल पर आ गया। साल 2017-18 के दूसरे क्वार्टर में जीडीपी में बैंक डिपॉजिट की हिस्सेदारी 5.9 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है। इसी तरह पेंशन फंड की हिस्सेदारी भी बढ़कर 0.6 फीसदी और म्युचुअल फंड की हिस्सेदारी 1.4 फीसदी पर पहुंच गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी के बाद कर्ज लेने की डिमांड में आई कमी भी अब वापस पटरी पर लौट आई है। साल 2017-18 की दूसरी तिमाही में ग्रॉस फाइनेंशियल लॉयबिलिटी 5.3 फीसदी पर पहुंच गई है। जो कि साल 2016-17 की तीसरी तिमाही में 4.8 फीसदी के निगेटिव स्तर पर पहुंची थी।