भारत-चीन रिश्तों में बाधक हो सकती है बीआरआई : विशेषज्ञ 

बीजिंग, 14 मार्च (भाषा):  चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग को जहां देश की संसद से आजीवन शासन करने की उनकी योजना को समर्थन मिल चुका है, वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि डोकलाम गतिरोध के बाद भारत-चीन के मेल मिलाप के प्रयासों के बीच चिनफिंग की मनपसंद ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) भारत के साथ चीन के संबंधों को फिर से बहाल करने में ‘प्रमुख चुनौती’ बन सकती है। वर्ष 2013  में सत्ता में आने के बाद शी ने कई अरब डॉलर की पहल बीआरआई शुरू की थी। लेकिन अब यह दोनों देशों के आपसी संबंधों में प्रमुख बाधक बन गई है। बीआरआई में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) भी शामिल है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरने के कारण भारत सीपीईसी को लेकर विरोध जताता है। भारत ने पिछले साल चीन द्वारा आयोजित ‘बेल्ट एंड रोड फोरम’ का भी बहिष्कार किया था।  बीआरआई का लक्ष्य चीन के प्रभुत्व के विस्तार के लिये दुनिया भर में सड़कों के जाल,  बंदरगाहों एवं रेल नेटवर्क को बढ़ावा देना है। 11 मार्च को चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने देश के राष्ट्रपति के लिए दो बार के कार्यकाल की सीमयसीमा हटा दी, जिसके बाद अब उम्मीद है कि शी इस पर और जोर देंगे।