टैक्स लगा तो होगा 1000 करोड़ का नुक्सान

जालन्धर, 16 अप्रैल (शिव शर्मा) : पंजाब में पैट्रोल व डीज़ल महंगा होने से हलचल शुरू होते देखकर  पंजाब के पैट्रोल पंप मालिक भी हरकत में आ गए हैं और पंजाब पैट्रोलियम  डीज़ल एसोसिएशन ने जी.एस.टी. विभाग को चुनौती देते हुए कहा कि यदि उनका विचार है कि सामाजिक सुरक्षा सरचार्ज के नाम पर पैट्रोल-डीज़ल पर टैक्स लगाकर 400 करोड़ रुपए का राजस्व आ जाएगा तो वह भ्रम में है क्योंकि 400 करोड़ के तेल पर टैक्स लागू होने से 1000 करोड़ रुपए की आमदनी से पड़ोसी राज्यों में भी खिसक जाएगी। संगठनों के प्रवक्ता मौंटी सहगल ने विभाग को आगाह करते हुए कहा कि यदि पंजाब में तेल का कारोबार खत्म हो गया तो इसे दोबारा स्थापित करना आसान नहीं होगा। पंजाब में पैट्रोल व डीज़ल क्रमवार 2-2 रुपए महंगा करके 400 करोड़ रुपए का राजस्व इकट्ठा करके उसे सामाजिक सुरक्षा फंडों के लिए इकट्ठा करने का अधिकार पंजाब सरकार को मिलने के बाद इसे लागू करने की अंदरखाते तैयारी शुरू हुई। बताई जा रही हैं जिसके तहत डीज़ल 1 रुपए और पैट्रोल 50 पैसे शुरूआती तौर पर महंगा हो सकता है व यह वृद्धि आने वाले कुछ दिनों में लागू किए जाने की संभावना है। पंजाब पैट्रोलियम डीजल एसोसिएशन का कहना है कि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, हरियाणा में पहले ही डीज़ल 1 रुपए से लेकर अढाई रुपए प्रति लीटर तक व पैट्रोल 6 रुपए से 8 रुपए तक सस्ता है। यदि क्रमवार 2-2 रुपए प्रति लीटर और पैट्रोल व डीज़ल महंगा कर दिया जाए तो इन पड़ोसी राज्यों में रिकार्ड तोड़ डीज़ल व पैट्रोल सस्ता हो जाएगा। संगठन के प्रवक्ता मौंटी सहगल का कहना है कि यह भ्रम डाला जा रहा है कि तेल पर सरचार्ज लगाने से कोई विरोध नहीं होगा बल्कि इसके महंगे होने से उल्टा राज्य का लगभग 1000 करोड़ रुपए राजस्व कम होना शुरू हो जाएगा। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि पैट्रोल पर 36.14 फीसदी और डीज़ल पर वैट की दर 17.7 फीसदी के लगभग है जिस कारण मौजूदा समय में 1500 करोड़ रुपए से ज्यादा राजस्व दूसरे राज्यों में चला गया है बल्कि 1000 करोड़ के तेल की तस्करी हो रही है जोकि पंजाब के पैट्रोल पंपों का ही बिकना चाहिए। मौंटी सहगल का कहना है कि सरजार्च लगाकर अब 400 करोड़ से ज्यादा टैक्स आने की संभावना जताई गई है परंतु तेल और महंगा करने  पर राजस्व कम होना शुरू होता है। इसलिए विभागी अधिकारियों को ज़िम्मेवार बनाना चाहिए। पहले पड़ाव में डीज़ल महंगा होना है तो उसके साथ इसका प्रभाव कृषि सैक्टर और औद्योगिक इकाइयों पर पड़ेगा। कृषि उत्पादन के लिए किसानों की लागत बढ़ जाएगी क्योंकि चाहे पैड़ी सीज़न में किसानों के लिए 8 घंटे बिजली देने के वादे किए जाते हैं परंतु इसमें पूरी बिजली मिलनी भी  नसीब नहीं होती बल्कि मोटर चलाने के लिए इंजन चलाने पड़ते हैं। औद्योगिक इकाइयों में भी डीज़ल की बड़े स्तर पर खपत होती है। मौंटी सहगल ने कहा कि उनके साथ वादे किए गए थे कि कांग्रेस के सत्ता में आने वाले पैट्रोल व डीज़ल पर वैट की दर कम कर दी जाएगी परंतु अब 2-2 रुपए तेल अतिरिक्त महंगा करने के अधिकार हासिल किए गए हैं। वह इस मामले में उद्योगपतियों, तेल कारोबारियों व किसानों को जागरूक करने का काम शुरू करने जा रहे हैं।