भाजपा की सत्ता वाले राज्यों में हुई तो हैं दलितों से ज्यादतियां

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की ‘भारत में अपराध-2016’ नाम की रिपोर्ट अनुसार दलितों से अत्याचारों के मामले में भाजपा शासित राज्य ़गैर-भाजपायी शासित राज्यों से आगे हैं। इससे पहले वर्ष भी यही स्थिति थी। 2016 में गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, गोवा और झारखंड भाजपा शासित वह राज्य थे, जहां दलितों के साथ ज्यादतियां अन्य राज्यों से अधिक हुई थीं। यह बात मोदी द्वारा दलितों के प्रति दिखाई जाती हमदर्दी और प्यार का पर्दाफाश कर देती है। उपरोक्त राज्यों के अलावा उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे कुछ अन्य राज्यों में भी दलितों के साथ ज्यादतियों की दर राष्ट्रीय दर से अधिक रही।
2016 में दलितों के खिलाफ कुल अपराध
इस वर्ष दौरान कुल अपराधों की संख्या 40,801 रही जोकि  विगत वर्ष (38,670) से 2131 अधिक थी। इस तरह विगत वर्ष से 5.5. प्रतिशत की बढ़ौतरी हुई। 2016 के दौरान राष्ट्रीय दर (अर्थात् एक लाख दलित जनसंख्या पीछे होने वाले अपराधों की संख्या) 20.3 रही। इनमें से दलित महिलाओं से छेड़छाड़ या ज्यादती आदि के मामले 3172 थे, जो दलित महिलाओं से कुल अपराधों का 7.7 प्रतिशत बनते थे। दुष्कर्म के मामलों की संख्या 2541 थी, जो दलित महिलाओं के खिलाफ कुल अपराधों का 6.2 प्रतिशत थी।
इसी तरह 2016 में अनुसूचित कबीलों (आदिवासियों) के खिलाफ कुल अपराधों की संख्या 6568 रही जो इससे पिछले वर्ष से 4.7 प्रतिशत अधिक थी। आदिवासी महिलाओं से 974 दुष्कर्म हुए, जो इन महिलाओं से हुए कुल अपराधों का 14.8 प्रतिशत थे। छेड़छाड़ और अन्य धक्केशाहियों आदि के 835 मामले रिकार्ड हुए जो कुल अपराधों का 12.7 प्रतिशत थे। इसलिए स्पष्ट है कि दलित/आदिवासी महिलाएं भाजपा शासित राज्य में सुरक्षित नहीं हैं। अगर भाजपा शासित राज्यों में दलितों के खिलाफ हुए अपराधों की संख्या और दर को देखें तो मध्य प्रदेश इनमें पहले स्थान पर रहेगा। यहां अपराधों की संख्या 5134 और दर 42 प्रतिशत रही जो 20.3 प्रतिशत की राष्ट्रीय दर से दोगुनी थी। इस तरह राजस्थान में भी अपराधों की संख्या 5134 और दर 42 प्रतिशत रही और यह दूसरे स्थान पर रही। 36.7 प्रतिशत की दर से गोवा तीसरे स्थान पर रहा। गुजरात 32.3 प्रतिशत की अपराध दर से सभी राज्यों में पांचवें स्थान पर रहा। यह दर राष्ट्रीय दर से डेढ़ गुणा बनती है। इन आंकड़ों से साफ हो जाता है कि भाजपा शासित बहुत से राज्यों में दलितों और आदिवासियों के खिलाफ होने वाले अपराधों की दर ऐसे अपराधों की राष्ट्रीय दर से कहीं अधिक रही है।
अपराधों के हिसाब से राज्यों की स्थिति निम्नलिखित अनुसार रही :
हत्या : उपरोक्त समय के दौरान दलितों की हत्याओं के 786 मामले हुए और एक लाख दलित आबादी के पीछे यह दर 0.4 प्रतिशत रही। गुजरात में 32 मामलों में 35 दलितों की हत्याएं हुईं, 0.8 प्रतिशत की दर से देश भर में पहले स्थान पर रहा। इसके बाद मध्य प्रदेश 81, हरियाणा 34 और उत्तर प्रदेश 271 मामलों में 274 हत्याओं से दूसरे स्थान पर रहे। 66 मामलों में 67 हत्याओं की संख्या और 0.5 प्रतिशत की दर से राजस्थान पांचवें स्थान पर रहा। इससे ज़ाहिर हो जाता है कि दलितों की हत्याओं की दर भाजपा शासित राज्यों में राष्ट्रीय दर से अधिक रही है।
हत्या का प्रयास : इस समय दौरान हत्या के प्रयास के समूचे देश में 732 मामले रिकार्ड हुए और एक लाख जनसंख्या के पीछे इनकी दर 0.4 बनती है। इस अपराध में राजस्थान 106 मामलों और गुजरात 35 मामलों और 0.9 प्रतिशत दर से पहले नम्बर पर रहे। यह दर राष्ट्रीय दर से दोगुनी से भी अधिक बनती है। महाराष्ट्र में 71 व्यक्तियों को प्रभावित करने वाले 60 मामले हुए और 0.5 प्रतिशत दर रही, यह भी राष्ट्रीय दर से अधिक थी। इससे भी साफ होता है कि दलित भाजपा शासन वाले राज्यों में सुरक्षित नहीं हैं।गम्भीर चोटें : 2016 के दौरान समूचे देश में 1070 मामले रिकार्ड हुए, जिनमें 1148 दलितों को गम्भीर चोटें लगीं और राष्ट्रीय दर 0.5 प्रतिशत रही। गुजरात में यह दर 1.6 प्रतिशत, बिहार में 1.5, उड़ीसा में 1.3, केरला में 1 और मध्य प्रदेश में 0.8 प्रतिशत रही, जोकि राष्ट्रीय दर से कहीं अधिक थी।दलित महिलाओं की इज्ज़त पर हमले की कोशिश : 2016 में इस श्रेणी के कुल 3172 मामले हुए और राष्ट्रीय दर 1.6 प्रतिशत रही। मध्य प्रदेश में यह दर 6.0, आंध्र प्रदेश में 3.6, महाराष्ट्र में 2.7, हरियाणा में 2.0 और गुजरात में 0.6 प्रतिशत रही।दलित महिलाओं की इज्ज़त पर हमले : इस श्रेणी के 1268 अपराध रिकार्ड हुए और राष्ट्रीय दर 0.6 प्रतिशत रही। मध्य प्रदेश में यह दर 3.6, छत्तीसगढ़ में 1.1, महाराष्ट्र में 1.3, राजस्थान में 0.8, हरियाणा में 0.7 और गुजरात में 0.6 प्रतिशत रही, जोकि राष्ट्रीय दर से अधिक थी।दुष्कर्म : दुष्कर्म के 2536 मामले सामने आए, जिनमें 2540 दलित महिलाएं शिकार हुईं और राष्ट्रीय दर 1.3 प्रतिशत रही। केरला में इस अपराध की दर 4.7, मध्य प्रदेश में 3.9, छत्तीसगढ़ में 2.9, राजस्थान में 2.7, हरियाणा में 1.9 और महाराष्ट्र में 1.7 प्रतिशत रही। यह दर भी राष्ट्रीय दर से कहीं अधिक रही। दुष्कर्म को दलित महिलाओं का मनोबल तोड़ने के लिए हथियार के रूप में प्रयोग किया गया। एस.एस/एस.टी. एक्ट अधीन मामले : इस श्रेणी अधीन 35,676 मामले रिकार्ड हुए, जिनसे 36,855  व्यक्ति प्रभावित हुए और राष्ट्रीय दर 18 प्रतिशत की रही। मध्य प्रदेश में इस अपराध की दर 43.4 प्रतिशत राजस्थान में 41.1 प्रतिशत, बिहार में 32.9, गुजरात में 28.4, उड़ीसा में 25, केरला में 23.7 और उत्तर प्रदेश में 22.6 प्रतिशत रही, जो 18 प्रतिशत की राष्ट्रीय दर से काफी अधिक थी। उपरोक्त विश्लेषण से साफ है कि दलितों और कबाइलियों से अत्याचारों के मामले में भाजपा शासित राज्य दूसरे राज्यों से कहीं आगे हैं। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि श्री मोदी ‘सब का साथ, सब का विकास’ के नारे और दलितों के प्रति दिखाए जाते उनके प्यार और हमदर्दी का बुरी तरह पर्दाफाश हो चुका है।

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