रासायनिक खादों का अधिक प्रयोग किसान आत्महत्याओं व कैंसर का मुख्य कारण : उमेंद्र दत्त

संगरूर, 20 मई (धीरज पसौरिया) : पंजाब को पेश आ रहे कृषि संकट तथा स्वास्थ्य संकट के हल के लिए विचार चर्चा करने के लिए यहां जुड़े इकट्ठ को सम्बोधित करने के लिए पहुंचे कृषि विरासत मिशन के निदेशक डा. उमेंद्र दत्त, डा. अमर सिंह आजाद तथा पंजाब स्टेट फार्मर कमिशन के चेयरमैन श्री अजयवीर जाखड़ ने कहा कि पंजाब एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है यदि आज कुछ न किया गया तो आने वाले कुछ वर्षों को अगली पीढ़ियों की उत्पत्ति पर ही सवालिया निशान लग जाएगा। डा. उमेन्द्र दत्त ने कहा कि पंजाब को बचाने के लिए प्राकृतिक कृषि बहुत ज़रूरी है। पंजाब की मुक्ति के लिए प्राकृतिक कृषि के साथ जोड़ना ही पड़ना है। प्राकृतिक कृषि करने वाला कोई किसान कभी आत्महत्या नहीं करता। पंजाब के 6 ज़िलों में रासायनिक खादों तथा कीड़ेमार दवाईयों के प्रयोग बहुत ही ज्यादा होते हैं इन ज़िलों में ही ज्यादा किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं तथा ज्यादा लोग भयानक बीमारी कैंसर का शिकार हो रहे हैं। पंजाब के प्रसिद्ध समाज चिंतक डा. अमर सिंह आजाद ने कहा कि पूरी दुनिया में एक लहर चल रही है कि स्वास्थ्य के लिए बढ़िया तथा शुद्ध भोजन पहली ज़रूरत है परन्तु पंजाब में जहरीली कृषि स्वास्थ्य बिगाड़ रही है। राज्य में चल रहा यह व्यवहार मानवता को तबाही की ओर लेकर जा रहा है। पंजाब के लोग भयानक बीमारियों का शिकार तो हो ही रहे हैं उनकी प्रजनन स्वास्थ्य भी खराब हो रही है। पचास वर्षों में प्रजनन स्वास्थ्य 50 प्रतिशत खत्म हो चुकी है। नपुंसकता, अपंग बच्चे, समय से पहले बच्चे का जन्म होना आदि हमारे घरों में बड़ी समस्या बनी हुई है। स्थिति इतनी गंभीर होने के बावजूद हमारे वैज्ञानिक अभी भी रासायनिक कृषि बारे खोजें करने लगे हुए हैं। प्राकृतिक खेती को कोई भी सरकार या वैज्ञानिक सहयोग नहीं दे रहा। यदि मानव को अच्छी खुराक मिले तो 50 प्रतिशत बीमारियां अपने आप खत्म हो जाएंगी। कृषि तथा स्वास्थ्य संबंधी स्थापित झूठ के जाल को तोड़ने के लिए लोगों को चेतन करने की ज़रूरत है। प्राकृतिक कृषि पर ज़ोर देते डा. आज़ाद ने कहा कि इससे किसानी संकट तथा स्वास्थ्य संकट दोनों का हल होगा। पंजाब स्टेट फार्मर कमिशन के चेयरमैन श्री अजयवीर जाखड़ ने कहा कि आज न कृषि तथा न ही पीने के लिए शुद्ध पानी मिल रहा है पंजाब के दरिया प्रदूषित हो रहे हैं। प्राकृतिक कृषि में सरकारों की कोई दिलचस्पी न होने कारण कोई ज्यादा कामयाबी नहीं मिल रही। पंजाब की कृषि के आगे ही आज बड़े संकट आने वाले हैं। आज ऐसे समझौते हो रहे हैं जिनके लागू होने होने से देशवासियों को वह कृषि उत्पाद बहुत ही सस्ते रेटों पर मिलने लग जाएंगे जो पंजाब में पैदा होते हैं। उस समय पंजाब की कृषि का क्या हाल होगा इस बारे अब से ही चौकस तथा एकजुट होने की ज़रूरत है। इस मौके डा. ए.एस. मान, गुरप्रीत दबड़ीवाला, सुखविन्द्र पप्पी तथा अन्यों ने भी अपने विचार रखे।