कुट्टना वी आं ते रोण वी नहीं देणा, स्थिति में फंसे 5178 अध्यापक

जालन्धर, 25 मई (रणजीत सिंह सोढी) : बच्चे देश का भविष्य तथा अध्यापक देश का निर्माता कहे जाते हैं, परन्तु प्रदेश में न तो विद्यार्थियों प्रति तथा न ही अध्यापकों प्रति सरकार संजीदा दिखाई दे रही है। समय की सरकारें यदि अपनी ज़िम्मेदारी से भागी लोगों से इंसाफ करने से असमर्थ दिखाई दें तो सरकारों पर यह बात उचित बैठती है कि ‘कुट्टना वी आं ते रोण वी नहीं देना’ जैसी स्थिति के हालातों में 5178 अध्यापक गुजर रहे हैं। शिक्षा विभाग द्वारा वर्ष 2011 में टैट (अध्यापक योग्यता टैस्ट) पास करने के बाद 9 सितम्बर 2012 को अध्यापकों के पदों के लिए विज्ञापन दिया गया था, जिसके लिए नवम्बर 2014 में इन अध्यापकों को सारी शर्तें पूरी करते तीन वर्ष के लिए 6 हज़ार रुपए प्रति महीने के लिए 2500 अध्यापकों को नियुक्ति पत्र देकर भर्ती किया गया था। इन अध्यापकों ने सोचा था कि चलो तीन साल पूरे होने पर पूरे स्केल व भत्तों के साथ पक्के हो जाएंगे, परन्तु 20 नवम्बर 2017 को इन्होंने विभाग से करार मुताबिक पक्के होने का जो सपना था वह 6 महीने गुजरने उपरान्त भी साकार नहीं हुआ। वर्णनीय है कि 20 नवम्बर 2017 तक ज़िला कमेटियों द्वारा विभाग के पास सारे केस तैयार होकर पहुंच गए थे, परन्तु विभाग द्वारा अभी तक अध्यापकों को पक्के करने के लिए कान पर जूं तक नहीं सरकी। इन अध्यापकों में ज्यादातर अध्यापक उच्च शिक्षा प्राप्त एम.फिल पी.एच.डी. आदि की डिग्रियां प्राप्त हैं। पिछले वर्ष माननीय पंजाब तथा हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले संबंधी सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को सिफारिश की थी कि राज्य सरकारें किसी भी कर्मचारी को पक्के कर्मचारियों से कम वेतन न दे। परन्तु राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की इस सिफारिश को भी आंखों से ओझल कर दिया। उल्टा प्रदेश सरकार द्वारा अध्यापकों पर दबाव बनाया जा रहा है कि उनको पक्के तो कर दिया जाएगा परन्तु वह तीन वर्ष और 10300 रुपए पर ही काम करें, जोकि 5178 अध्यापकों के अधिकारों पर डाका तथा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उल्लंघना है। पिछली सरकार ने 15-1-15 को एक नोटीफिकेशन जारी किया था कि राज्य में जो भी कर्मचारी भर्ती किया जाएगा उसको 10300 रुपए पर तीन साल काम करने पर पक्का किया जाएगा, परन्तु उस नोटीफिकेशन में यह भी जिक्र किया गया था कि जो 15-1-15 से पहले भर्ती हुए कर्मचारी हैं उन पर लागू नहीं होगा। मौजूदा सरकार धक्के से ही इन 5178 अध्यापकों पर दबाव बनाकर लागू करना चाहती है। जोकि गैर-कानूनी है। इंद्रजीत सिंह प्रदेश अध्यक्ष 5178 अध्यापक से बात करने पर उन्होंने कहा कि सरकार नियमों अनुसार किया करार पूरा होने के 6 महीने गुजर जाने के उपरान्त भी उनका बनता अधिकार देने से भाग रही है। जसविन्द्र सिंह औजला प्रदेश उपाध्यक्ष ने कुलदीप सिंह प्रदेश महासचिव ने कहा कि उनके लिए तो ‘करो या मरो’ की स्थिति बनी हुई है उन्होंने कहा कि कई अध्यापक तो पक्के होने के लालच में 6 हज़ार रुपए में समय पर स्कूलों में पहुंचने के लिए कैब आदि जरिए पहुंचते हैं, जिसके लिए उनको 2500 रुपए महीना प्रति अध्यापक अदा करना पड़ता है तथा वह बाकी बच्चे 3500 रुपए से अपना पेट भर लेंगे या परिवार को पाल लेंगे, उनकी स्थिति तो यह बनी हुई है कि ‘सांप के मुंह में छिपकली’ न खा सकते हैं न निकाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने यदि उनकी अधिकारों की मांगों के लिए गौर न किया तो परिणाम भयानक निकलेंगे।विक्रमदेव सिंह प्रैस सचिव डैमोक्रेटिक कर्मचारी फ्रंट ने इस संबंधी बात करते कहा कि मुख्यमंत्री पंजाब से 4 जून को अध्यापकों के अधिकारों की मांगों के लिए समय तय हुआ है तथा पहल के आधार पर इन 5178 अध्यापकों को पक्के करने की मांग को सिरे चढ़ाया जाएगा।