विद्यार्थियों के मार्ग-दर्शक शारीरिक शिक्षा अध्यापक

शिक्षा मनुष्य का वह अमूल्य आभूषण है जिससे वह जीवन में किसी भी कठिनाई का सामना कर सकता है और यही उसे अंधेरे से रौशनी की ओर ले जाने के लिए सबसे अधिक सहायक होती है। स्कूल में किताबों के ज्ञान के अतिरिक्त जीवन जीने का ढंग सिखाने और जीवन को सही ढंग से जीने के लिए अध्यापक बच्चों को प्रेरित करते हैं। अध्यापक विद्यार्थियों के जीवन में उनके माता-पिता के बाद एक ऐसी भूमिका निभाते हैं जो पूरा जीवन उनके लिए उनकी मंज़िल तक पहुंचने में सहायक होती है। स्कूल में यहां प्रत्येक विषय के अध्यापक बच्चों को विभिन्न विषयों की शिक्षा देकर उन्हें काबिल बनाते हैं, वहीं शारीरिक शिक्षा और खेलों के अध्यापक एक ऐसी छवि विद्यार्थियों के दिलो-दिमाग में छोड़ देते हैं जो उनके लिए मार्गदर्शक का कार्य करती है। आओ, शारीरिक शिक्षा के अध्यापक के विद्यार्थियों पर पड़ते प्रभाव बारे कुछ बातें करें। 
खेलने से ही बच्चा अपने जीवन की शुरूआत करता है और उसे स्कूल में खेलों तथा मैदान से जोड़ने वाला उस स्कूल का शारीरिक शिक्षा अध्यापक होता है, जो न सिर्फ उसे खेलों की ओर प्रेरित करता है बल्कि दुनियादारी में कैसे विचरण करना है और समाज का एक सभ्य नागरिक कैसे बनना है, यह सब सिखाता है। एक योग्य शारीरिक शिक्षा अध्यापक बच्चों को सबसे पहले अनुशासन सिखाता है ताकि वे जीवन से जुड़े नैतिक मूल्यों को पहचान कर जीवन में एक सफल इन्सान के रूप में विचरण करता हुआ देश का एक ज़िम्मेदार नागरिक बन सके। सबसे पहले शारीरिक शिक्षा अध्यापक स्वयं अनुशासन में रहने वाला होगा तभी उसके विद्यार्थी उसे देखकर नियमों का पालन करेंगे। एक अच्छा खेल अध्यापक बच्चों को गलत तत्वों से दूर रहने की भी शिक्षा देता है ताकि वे बुरी संगत से दूर रह कर खेलों के माध्यम से अपने देश का नाम रौशन करते हुए अपने जीवन को सफल बना सकें। इसलिए शारीरिक शिक्षा तथा खेल अध्यापक को पहले स्वयं एक आदर्श बनना पड़ता है। बच्चे कच्ची मिट्टी होते है। उन्हें कोई भी आकार दिया जा सकता है परन्तु पहले उन्हें आकार देने के लिए योग्य हाथों की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए अध्यापक को पहले स्वयं कुशल और अनुशासनबद्ध होना पड़ता है। बच्चे के लिए सबसे ज़रूरी शारीरिक विकास होता है, क्योंकि यदि उसका शरीर तंदुरुस्त होगा तभी वह जीवन में अपनी मंज़िल पर पहुंच सकता है।  

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