पंजाब में आज से समाप्त हो जाएगा किसान आंदोलन

नई दिल्ली/ चंडीगढ़/ लुधियाना /खन्ना, 4 जून (भूपिन्द्र बैंस, भाषा): केंद्र सरकार की कथित किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ कई राज्यों में किसानों का विरोध प्रदर्शन आज चौथे दिन में प्रवेश कर गया। इस दौरान कुछ शहरी क्षेत्रों में कृषि से जुड़े उत्पाद सहित सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी देखी गई तो कहीं सामान्य तरीके से इन वस्तुओं की आपूर्ति जारी रही।  किसानों के विरोध प्रदर्शन की स्थिति अब तक शांतिपूर्ण है। 172 किसान संगठनों द्वारा तेल के बढ़े भाव के खिलाफ, सब्ज़ियां व दूध की बेकद्री के विरुद्ध रोष व्यक्त करने के लिए व किसानों की अन्य मांगों को लेकर शुरू किया 10 दिवसीय आंदोलन जिसमें शहरों की सब्ज़ी व दूध बंद करने की मुहिम को ‘गांव बंद, किसान छुट्टी व आंदोलन’ का नाम दिया गया था, चाहे बाकी सारे देश में 10 जून तक चलता रहेगा परन्तु यह आंदोलन अब पंजाब में अमली तौर पर कल 5 जून को ही समाप्त हो जाएगा। चाहे कि अधिकारित तौर पर यह 6 जून को पिछले वर्ष मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन दौरान पुलिस की गोली के साथ मारे गए 6 किसानों को चंडीगढ़ के किसान भवन में सुबह 11 बजे श्रद्धांजलि भेंट करने के उपरांत समाप्त किया जाएगा। आज पंजाब की कुछ प्रमुख किसान यूनियनों के नेताओं ने बैठक कर यह फैसला किया। लुधियाना में हुई इस बैठक में भारतीय किसान यूनियन राजेवाल के राष्ट्रीय प्रधान स. बलवीर सिंह राजेवाल, बी.के.यू. लक्खोवाल के महासचिव हरिन्द्र सिंह लक्खोवाल, प्रोग्रैसिव  डेयरी फार्मज़र् एसोसिएशन (पी.डी.एफ.ए.) के नेता दलजीत सिंह सदरपुरा, बी.के.यू. एकता सिद्धूपुर के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाला, इंडियन फार्मर एसोसिएशन के नेता सतनाम सिंह बैहरू व बी.के.यू. कादियां के नेता हरमीत सिंह कादियां आदि उपस्थित थे। बी.के.यू. राजेवाल के प्रधान बलवीर सिंह राजेवाल ने बताया कि यह फैसला 2 कारणों को मुख्य रख कर लेना पड़ा। उन्होंने बताया कि पहला कारण तो यह था कि हमारे शांतिपूर्वक आंदोलन में अज्ञात तत्वों द्वारा हिंसा फैलाने की कोशिश शुरू हो गई थी। दोराहे के नज़दीक गोली चलने की घटना :  संगरूर में 5-6 अज्ञात मोटरसाइकिल सवारों द्वारा हिंसा फैलाने की कोशिश, मोहाली, अमृतसर, पटियाला, फरीदकोट, लुधियाना व संगरूर में टकराव की खबरों का आना व दूसरा कारण हमारे साथी संगठन व सबसे बड़े दूध उत्पादक पी.डी.एफ.ए. के नेताओं द्वारा और लम्बा समय दूध संभालने पर असमर्थता व्यक्त करना है। गौरतलब है कि पी.डी.एफ.ए. भारत भर में दूध उत्पादकों की सबसे बड़ी संगठन है व इस संगठन ने साथी किसान संगठनों से अपील की थी कि और 2 दिन से अधिक दूध को संभालना उनके लिए मुश्किल है।