कथलोर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी नहीं बन सकी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र

बमियाल, 13 जून (राकेश शर्मा) : पठानकोट के नरोट जैमल सिंह ब्लॉक के अधीन आते रावी दरिया के किनारे स्थित गांव कथलोर में करीब 2 हज़ार एकड़ में फैले जंगल को बेशक भारत सरकार द्वारा सन 2007 में वाइल्ड लाइफ सेंचुरी घोषित कर दिया गया था। जिसके बाद से जंगल भारत की 514 सेंचुरिओ में एक स्थान हासिल कर गया था परंतु आज करीब 11 साल बीत जाने के बाद पंजाब सरकार द्वारा उचित फंड जारी न करने के कारण यह सेंचुरी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र नहीं बन पाई है। जिसके चलते लोग अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। विचार योग है कि यह जंगल 8 किलो मीटर स्क्वायर फीट कथा 1896 एकड़ ज़मीन में फैला हुआ है। यह जंगल रावी दरिया के किनारे स्थित होने के कारण अलग-अलग जंगली जीवों से भरा हुआ है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस जंगल में  चीतल, मोर, हिरण, नीलगाय, गीदड़, सेल,कस्तूरी, जंगली सूअर हग डियर, वर्किंग डियर आदि भारी मात्रा में पाए जाते हैं। जिसके चलते पंजाब सरकार द्वारा 28 जून 2007 को पत्र नंबर 24-13-2007/एफ.टी.एन./ 6133 के तहत वाइल्ड लाइफ सेंचुरी घोषित किया गया था। जिसके चलते उस समय प्रशासन द्वारा इस सेंचुरी को पर्यटक स्थल बनाने की घोषणा की गई थी तथा इस सेंचुरी में और भी आकर्षक जानवर छोड़ने की भी घोषणा की गई थी परंतु आज 11 साल बीत जाने के बाद भी यह सेंचुरी एक जंगल की तरह ही है इस सेंचुरी में जंगली जीवों की सुरक्षा हेतु कोई भी खास प्रबंध नहीं किया गया है। अजीत समाचार के पत्रकार द्वारा इस सेंचुरी का दौरा करने पर बहुत सारी त्रुटियां पाई गई। जिससे साबित होता है कि पंजाब सरकार इस सेंचुरी को पर्यटक स्थल बनाने के लिए कोई भी रुचि नहीं रख रही।
1) सबसे पहले बात अगर सैंचुरी तक पहुंचने के लिए रास्ते की की जाए तो सेंचुरी को जाने वाला रास्ता बिल्कुल कच्चा है जोकि क्रेशर पर जाने वाले वाहनों द्वारा बनाया गया है। इस रास्ते पर हर समय पानी खड़ा रहता है।
2) वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का मतलब जंगली जीवो के लिए सुरक्षित स्थान घोषित करना है, परंतु ध्यान रहे कि पिछले 11 सालों में इस सेंचुरी की वार्ड बंदी तक नहीं की गई। जिसके चलते सेंचुरी से जंगली जीव रात के समय सेंचुरी से बाहर निकलकर लोगों के खेतों में पहुंच जाते हैं तथा लोगों की फसलें खराब करते हैं। इसके अलावा कई बार कुछ जीव-जंतु शरारती लोगों के शिकार भी बन जाते हैं।
3) यह भी पाया गया है कि 1896 एकड़ में फैली हुई इस सेंचुरी में अलग-अलग जगह पर पानी के स्रोतों का प्रबंध नहीं किया गया है। जिसके चलते मजबूरन पानी की तलाश में जंगली जीव अक्सर जंगल से बाहर की तरफ निकलते हैं जोकि लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। इसके अलावा प्राप्त जानकारी के अनुसार विभाग द्वारा सेंचुरी में उपस्थित जंगली जीवो पर नजर रखने हेतु ट्रैक कैमरे लगाए गए थे परंतु अभी पिछले लंबे समय से एक कैमरा खराब होने के बाद ठीक नहीं कराया गया।  
(4) ध्यान रहे कि सेंचुरी में घूमने के लिए यात्रियों के लिए सेफ्टी वाहन उपलब्ध करवाना तो दूर की बात है यहां पर उपस्थित मुलाजिमों को भी सेंचुरी का दौरा करने के लिए या तो सब डिवीजन पठानकोट से सेफ्टी वाहन मंगवाना पड़ता है या फिर पैदल ही सेंचुरी का दौरा करना पड़ता है जोकि अधिक खतरनाक साबित हो सकता है। इस विषय पर सेंचुरी के नजदीकी गांव के लोग इस पाल सिंह ,नवीन सिंह, निशु शर्मा ,कुलदीप राज, जनकराज, सुभाष कुमार, वीर कर्ण, बीरबल हंस, दर्शनलाल, मनजीत सिंह, मंगतराम, मक्खन सैनी, दिलावर सिंह, जगदीश सिंह आदि का कहना है कि 11 साल पहले पंजाब सरकार द्वारा इस जंगल को वाइल्ड लाइफ सेंचुरी घोषित किया गया था परंतु अभी तक इस सेंचुरी में पर्यटकों के घूमने के लिए कोई भी उचित प्रबंध नहीं किए गए हैं। जिसके चलते यह सेंचुरी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र नहीं बन सकी है। उन्होंने पंजाब सरकार से मांग की कि वह इस सेंचुरी में पर्यटकों के लिए उचित प्रबंध करें ताकि इस सेंचुरी को घूमने के लिए ज्यादा पर्यटक आये जिससे इलाके के लोगों को रोजगार मिल सके। इस विषय पर डीएफओ पठानकोट राजेश कुमार का कहना है कि जो फंड पंजाब सरकार द्वारा उपलब्ध करवाए गए हैं। उनके साथ उचित सुविधाएं सेंचुरी में उपलब्ध करवा दी गई हैं। उन्होंने बताया कि और सुविधाओं के लिए पंजाब सरकार को प्रपोजल भेज दी गई है। जिसमें यात्रियों के लिए 10 बाइसिकल दो, बैटरी वाहन तथा 10 ट्रैक कैमरा के लिए प्रपोजल भेजी गई है। पंजाब सरकार द्वारा फंड उपलब्ध करवाने पर यह सुविधाएं उपलब्ध करवा दी जाएगी।