शेर-ए-पंजाब के समर पैलेस के स्मारक बने आवारा कुत्तों का आवास

अमृतसर, 18 जून (सुरेन्द्र कोछड़) : शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह द्वारा अमृतसर के राम बाग के मध्य में अपनी रिहायश के लिए वर्ष 1819 में निर्मित किए आलीशान समर पैलेस के कुछ स्मारक आवारा कुत्तों व अन्य जानवरों की रिहायशगाह में तबदील होते जा रहे हैं। जिसके चलते समर पैलेस की जल बारांदरी के नाम से जानी जाती ड्योढ़ी में घूमते व आराम फरमाते आवारा कुत्ते आम देखे जा सकते हैं। इस ड्योढ़ी सहित महल के अन्य स्मारकों में कोई सुरक्षा कर्मचारी तैनात न होने के कारण इन खाली पड़े स्मारकों को कई प्रकार के अनधिकृत कार्यों के लिए भी प्रयोग किया जा रहा है। ड्योढ़ी में लगे गन्दगी के ढेर और नवनिर्माण के बावजूद स्मारक की बनी खस्ता हालत यह स्पष्ट कर देते हैं कि राज्य व केन्द्र सरकार के पर्यटन व विरासती स्मारकों के रख-रखाव से सम्बन्धित मंत्रालयों पर उनके विभागों द्वारा अमृतसर को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटक केन्द्र द्वारा विकसित करने और इन स्मारकों को संभालने के लिए किए जा रहे दावों में धोड़ी सी भी सच्चाई दिखाई नहीं दे रही। उक्त ड्योढ़ी के पिछली तरफ सिख शासन के समय महाराजा द्वारा बाग में पांच कुएं लगवाए गए थे, जिनमें से कुछ कुएं आज भी मौजूद हैं और उन पर ट्यूबवैल लगा दिए गए हैं। वर्णनीय है कि महाराजा के साथ अमृतसर आने पर उनके सपुत्र शहजादा खड़क सिंह, शहज़ादा शेर सिंह और पौत्र कंवर नौनिहाल सिंह महल के तीन तरफ बनीं इन ड्योढ़ियों में ठहरते और अदालत लगाते थे। ‘अजीत समाचार’ द्वारा आज दोपहर उक्त ड्योढ़ी, बाग में जनरल वैनतुरा द्वारा बनाए रायल स्विमिंग पूल सहित अन्य स्मारकों का दौरा किया गया। इन स्मारकों का करोड़ों रुपए की लागत से किया नव-निर्माण व सौंदर्यकरण का कार्य रख-रखाव की कमी के कारण दोबारा से पहले वाली हालत में पहुंच चुका है। नव-निर्माण करवाने वाली कम्पनी द्वारा स्मारक की मुरम्मत के कार्य से सम्बन्धित जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए लगाए बोर्डों पर भी कालिख पोत दी गई है। यह भी गौरतलब है कि कंस्ट्रक्शन तकनीक नामक कम्पनी जिस द्वारा नव-निर्माण का कार्य करवाया जा रहा है, के अधिकारियों द्वारा लगभग दो माह पहले दावा किया गया था कि स्मारक के बाहरी व अन्दरूनी ढांचे का निर्माण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है और मई माह में इसको पूरी तरह से मुकम्मल कर लिया जाएगा। जबकि समर पैलेस पर इसकी ड्योढ़ियों के नव-निर्माण का कार्य किसी भी तरह से मुकम्मल होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा। 84 एकड़ भूमी में फैले उक्त बाग के बीच के आलीशान महल के निर्माण पर सिख शासन के समय एक लाख 25 हज़ार रुपये की लागत आई थी, जबकि मौजूदा समय में पिछले लगभग 13 वर्षों से इसकी करवाई जा रही मुरम्मत पर 12 करोड़ 25 लाख रुपए खर्च किए जाने के बाद भी इसका कार्य मुकम्मल नहीं हो सका है।